दोनों पार्टियों ने वोट बैंक के दृष्टिगत राजनीतिक बिसात बिछाई …………. 2024 का चुनाव है महत्वपूर्ण
जेजेपी, बीजेपी को छोड़ दें और कुछ जाट वोट हथियाने में सफल तो नुकसान कांग्रेस को फायदा बीजेपी को

अशोक कुमार कौशिक

पहले एक नज़र इन बयानोें पर-

– 23 अप्रैल, 2023. उत्तर प्रदेश में गैंगस्टर अतीक अहमद की हत्या के बाद दुष्यंत चौटाला बयान देते हैं. उन्होंने कहा मामला गंभीर है जांच होनी चाहिए.चौटाला ने कहा कि ये कानून व्यवस्था का गंभीर उल्लंघन है.

– 4 जून, 2023. बिप्लव देव जींद की उचाना कलां विधानसभा जाते हैं. और कहते हैं कि पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह की पत्नी प्रेमलता उचाना कलां की अगली विधायक होंगी. गौर करने वाली बात ये कि इसी सीट से दुष्यंत चौटाला विधायक हैं.

– 5 जून, 2023. बिप्लव के बयान के तुरंत बाद दुष्यंत चौटाला उचाना कलां से चुनाव लड़ने का ऐलान कर देते हैं. साथ में ये भी कहते हैं कि तीन-तीन लोगों के पेट में दर्द हो रहा है लेकिन मैं चुनाव उचाना कलां से ही लड़ूगा.

– 6 जून, 2023. दुष्यंत के बयान के बाद बिप्लव पलटवार करते हैं और कहते हैं कि गठबंधन करके जेजेपी ने कोई एहसान नहीं किया है.

– जेजेपी के महासचिव दिग्विजय चौटाला चंडीगढ़ में किसानों से मिलने जाते हैं. किसान उनसे नाराज़गी जताते हैं. तो दिग्विजय कहते हैं कि अभी हम गठबंधन में हैं. जेजेपी की सरकार बनवा दीजिए. सारी बातें मान ली जाएंगे.

– दिग्विजय चौटाला के बयान पर मनोहर लाल खट्टर पलटवार करते हैं. खट्टर कहते हैं कि ये सरकार बीजेपी की है, जेजेपी की नहीं.

हरियाणा में ऊचाना विधानसभा सीट को लेकर बीजेपी और जेजेपी गठबंधन में दरार पड़ती दिख रही है. हरियाणा बीजेपी के प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लव देव का बयान इसकी वजह बना है. हरियाणा में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने जनता से अपील करते हुए कहा था कि ‘2024 विधानसभा चुनाव में इस सीट से प्रेमलता को जिताकर विधानसभा भेजने की जिम्मेदारी आपकी है.

ऊचाना से ही जीतकर डिप्टी सीएम बने हैं दुष्यंत चौटाला

दरअसल ऊचाना वही विधानसभा सीट है, जहां से अभी के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला चुनावी मैदान में उतरे थे और उन्होंने बीजेपी की उम्मीदवार प्रेमलता को 47452 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. प्रेमलता पूर्व केंद्रीयमंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह की पत्नी हैं और उनके बेटे वर्तमान में हिसार से सांसद ब्रिजेंद्र सिंह हैं. चौधरी वीरेंद्र सिंह का परिवार पिछले कुछ समय से बीजेपी से नाराज चल रहा है और कई बार पार्टी लाइन से हटकर पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले बयान भी देता रहा है. पहलवान आंदोलन के बीच भी उनकी तल्खी उभरकर सामने आई थी तो वहीं किसान आंदोलन के दौरान भी वह पार्टी की लीक से हटते दिख रहे थे.

बिप्लव देव के बयान से गरमायी सियासत

बिप्लव देव ने चौधरी वीरेंद्र सिंह के परिवार की नाराजगी को दूर करने के लिए ऊचाना सीट से 2024 के विधानसभा चुनाव में प्रेमलता को जिताने की अपील की थी. उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बिप्लव देव के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि किसी के पेट में दर्द है तो मै दर्द की दवाई तो नहीं दे सकता, न तो मेरे पेट में दर्द है और न ही मैं डॉक्टर हूं. बस फिर क्या था दुष्यंत चौटाला के बयान पर बिप्लव देव ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए तल्खीभरा जवाब दिया कि जेजेपी ने समर्थन देकर बीजेपी पर कोई एहसान नहीं किया है. उसके बदलें उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया है और महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए हैं .

हरियाणा प्रभारी ने चौटाला को दिया ये संदेश

बयानों और आरोप-प्रत्यारोपों के बीच बिप्लव देव मोर्चा ने संभालते हुए धर्मपाल गोदार, राकेश दौलताबाद, रणधीर सिंह, सोमवीर संगवान, नयनपाल रावत, हरियाणा सरकार में मंत्री रणजीत सिंह चौटाला और हरियाणा लोकहित पार्टी से विधायक गोपाल कांडा से मुलाकात कर ट्वीट करके कहा सभी 7 निर्दलीय विधायकों ने पीएम मोदी पर विश्वास जताते हुए हरियाणा में बीजेपी सरकार का साथ देने की बात कही थी. यानी बिप्लव देव ने इशारों ही इशारों में दुष्यंत चौटाला को संदेश दे दिया कि उनके जेजेपी के समर्थन के बिना भी हरियाणा में बीजेपी की सरकार पूरी धमक और ठसक के साथ 2024 तक अपना कार्यकाल पूरा करेगी .

हरियाणा में जीत के लिए चाहिए 46 विधानसभा सीटें

हरियाणा में 90 विधानसभा सीटे हैं और बहुमत के लिए 46 का जादुई आकड़ा चाहिए. बीजेपी के पास 41 विधायक, कांग्रेस के पास 30, जेजेपी के पास 10, इनलो से अभय चौटाला, 8 निर्दलीय और हरियाणा लोकहित पार्टी से गोपाल कांडा हैं. 7 निर्दलीय विधायकों और गोपाल कांडा ने बिप्लव देव से मुलाकात कर बीजेपी को खुला समर्थन का इशारा कर दिया है. ऐसे में जेजेपी से गठबंधन टूट भी जाता है तो बीजेपी के पास 7 निर्दलीय विधायकों और गोपाल कांडा की पार्टी एचएलपी के साथ आने के बाद विधायकों की संख्या 49 पहुच जाएगी. यानी कि बहुमत से 3 ज्यादा.

2024 का चुनाव है महत्वपूर्ण

बीजेपी सूत्रों का कहना है कि जेजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा में 3 लोकसभा सीटें चाहती है. 2019 में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी. बीजेपी रणनीतिकारों की माने तों 2024 का लोकसभा चुनाव बहुत महत्वपूर्ण है. क्योंकि पीएम मोदी और बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एक-जुट होकर चुनाव लड़ सकता है, ऐसे में बीजेपी 2024 के चुनाव में किसी भी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. इसलिए सभी 10 लोकसभा सीटो पर अपना उम्मीदवार उतराना चाहती हैं .

राजनीति में जो दिखता है वो होता नहीं है और जो असल में होता वो कभी बताया नहीं जाता. दरअसल, ये पूरा खेल सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है. हरियाणा की राजनीति को नज़दीक से समझने वाले बताते हैं कि बीजेपी ने हरियाणा में एक सर्वे कराया. इस सर्वे में पता चला है कि जाट दुष्यंत चौटाला की जेजेपी से उतने ही नाराज़ हैं जितने बीजेपी से. यानी जेजेपी जब चुनाव में उतरेगी तो नॉन जाट ही उसका वोट होगा. और यही फंसता है पेच. क्योंकि बीजेपी के पास भी नॉन जाट वोट ही बचता है. यानी जेजेपी दूसरे वोट बटोरने के बजाए बीजेपी के वोट बैंक में ही सेंध लगा सकती है. और यही वजह है कि बीजेपी ने जेजेपी से किनारा करने का मूड बना लिया है.

बताया जाता है कि हरियाणा का जाट समाज बीजेपी से खासा नाराज़ है. पहले किसान आंदोलन और अब पहलवानों का प्रदर्शन, इन दोनों विवादों ने जाट समाज को बीजेपी से लगभग पूरी तरह दूर कर दिया है. यहां जाट समाज के लोग कहते हैं कि हम नोटा दबा देंगे लेकिन बीजेपी को वोट नहीं देंगे.

दूसरी ओर विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के पास भूपिंदर हुड्डा जैसा कद्दावर नेता है. राजनीतिक एक्सपर्ट कहते हैं कि जाट समाज के अलावा किसानों में भी हुड्डा के लिए सॉफ्ट कॉर्नर देखा जा रहा है. ऐसे में अगर जेजेपी, बीजेपी का साथ छोड़ती है और कुछ जाट वोट अपने खेमें में ले जाती है तो नुकसान कांग्रेस और फायदा बीजेपी का होगा. अगर जेजेपी, कांग्रेस और इनेलो अगर अलग-अलग चुनाव लड़ते हैं तो आपस में वोट बंट सकता है. ऐसी परिस्थिति में बीजेपी मौका भुनाने की कोशिश करेगी.

जेजेपी में नहीं लोकसभा चुनाव जीतने का आधार

बीजेपी के रणनीतिकारों का ये भी मानना है कि जेजेपी एक क्षेत्रीय दल है, वो भी हरियाणा जैसे प्रदेश में जहां बीजेपी और कांग्रेस के बीच में सीधा मुकाबला है, इनेलों से टूटकर बने जेजेपी में लोकसभा चुनाव जीतने का जनाधार नहीं हैं. इसलिए लोकसभा में बीजेपी को सभी 10 सीटों को जीतने की तैयारी अभी शुरू कर दी है. बीजेपी के रणनीतिकारों का मानना है कि
2024 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव जेजेपी के साथ गठबंधन में मिलकर गठबंधन में लड़े जा सकते हैं.

क्या कहते हैं जानकार

वैसे भाजपा सूत्रों का ये भी मानना है कि लोकसभा चुनाव से पहले यदि जेजेपी के साथ गठबंधन टूट जायेगा तो इसमें ना सिर्फ बीजेपी का फायदा बल्कि जेजेपी का भी लाभ है. इसके पीछे पार्टी सूत्रों का मानना है कि जेजेपी हरियाणा में जातीय समीकरणों के हिसाब से जाटों की राजनीति करती है. 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने भी कांग्रेस को जाटों का सबसे बड़े हितैषी के रूप में प्रस्तुत किया है. राजनैतिक पंडितों का मानना है कि हरियाणा में बीजेपी जाट विरोधी राजनीति करती हैं.

ये हो सकता है बीजेपी का प्लान

यदि जेजेपी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले अलग होती है तो अपने जाट वोट में कांग्रेस के द्वारा सेंध लगाने से बच सकती है. जेजेपी के जाने से बीजेपी जाट विरोधी छवि का फायदा उठाकर जातीय समीकरणों को साधते हुए बाकी जातियों को एक करके 2024 के चुनाव में 10 की 10 लोकसभा सीटें जीतकर 2019 का इतिहास दोहरा सकती है. जेजेपी सूत्रों की मानें लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा बीजेपी के प्रभारी बिप्लव देव के इन बयानों के पीछे कारण हैं. लोकसभा सीटों पर समझौते से पहले जेजेपी पर दबाव बनाया जाए, जिससे जेजेपी को उनकी डिमांड से कम सीटें दी जाएं.

आज नहीं तो कल ये गठबंधन टूटेगा जरूर. दोनों पार्टियों की भलाई इसी में है कि अलग-अलग चुनाव लड़ें. जेजेपी अगर बीजेपी के साथ लड़ेगी तो जाट वोट मिलना मुश्किल है. अगर अलग लड़ेगी मिलेगी तो जाट वोट बंटेंगे. इससे फायदा बीजेपी को भी होगा. और यही वजह है कि बीजेपी गठबंधन तोड़ना चाहती.

इस बीच आज, 10 जून को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मुख्यमंत्री खट्टर गठबंधन के सवाल को टालते नजर आए. खबर के मुताबिक खट्टर ने गेंद बिप्लव देव के पाले में डाल दी. उन्होंने कहा कि भविष्य का फैसला राज्य के प्रभारी करेंगे.

एक तरफ विपक्षी एकता के जवाब में बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व 2024 से एनडीए का कुनबा बढ़ाने पर जोर दे रहा है, एनडीए छोड़कर गए पुराने एनडीए के सहयोगी दलों गठबंधन के साथ लाने और छोटे-छोटे नए दलों को एनडीए में जोड़ने का प्रयास कर रहा हैं. अब देखना ये है कि हरियाणा में जेजेपी गठबंधन तोड़ेगा या फिर लोकसभा चुनाव में जेजेपी कम सीट देने का दबाव बना रहा है.

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