भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। सूचना मिली कि भूतेश्वर मंदिर में किराये की एक दुकान में बहुत बड़ा निर्माण हो रहा है। सूचना देने वाले से जब यह पूछा कि यह अवैध निर्माण है आपको इसका ज्ञान कैसे? तो उत्तर मिला कि हम यहीं के रहने वाले हैं, किराये की दुकान है, किरायेदार इसमें कई बदल चुके हैं और अब यह निर्माण हो रहा है। तो पूछा कि आपके तो विधायक जी से अच्छे संबंध हैं तो आप उनसे क्यों नहीं कहते? तो उत्तर मिला कि उनकी जानकारी में है, आप देखिए पत्रकार के नाते मैंने आपको सूचना दी है। अब पता नहीं इसमें कितना सच है और कितना झूठ।

मैंने यह जानकारी पता करने के लिए निगम के इंफोर्समेंट विंग के एसडीओ संजोग शर्मा को फोन किया तो वहां से ज्ञात हुआ कि यह क्षेत्र उनके एरिया में नहीं आता। यह जोन-1 में पड़ता है। उस पर जोन-1 के इंफोर्समेंट विंग एसडीओ संत सुहाग को फोन किया तो वहां से भी पहले तो उत्तर मिला कि मैंने अपने जेई और सुपरवाइजर को भेजा है, वे ज्ञात करके बताएंगे। कुछ समय पश्चात उनका फोन आया और बताया कि यह क्षेत्र हमारे एरिया में नहीं आता है, जोन-2 में आता है। इस फिर जोन-2 के एसडीओ संजोग शर्मा को फोन किया तो उनका उत्तर फिर यही मिला कि यह हमारे एरिया में नहीं आता है जोन-1 में आता है।

इस पर फिर जोन-1 के एसडीओ संत सुहाग को फोन किया तो उन्होंने फिर यही कहा कि यह हमारे एरिया में नहीं आता है लेकिन कुछ समय बाद उनका फोन आया कि मेरे जेई और सुपरवाइजर ने यह निर्माण अवैध हो रहा था, वह रुकवा दिया है लेकिन वहीं से जिसने सूचना दी थी उसका कहना था कि यहां तो कोई आया ही नहीं। अब पता नहीं क्या खेला है।

बड़ा प्रश्न यह है कि कहीं भी निर्माण होते हैं, वह अपनी आवश्यकतानुसार किए जाते हैं। बनाने वाला सदा अपना लाभ देखता है लेकिन सरकारी नियम जो हैं, उनका पालन भी करना होता है और सरकार के कर्मचारी जानें क्यों अवैध निर्माण होते देखकर भी मौन रहते हैं। यह निर्माण भूतेश्वर मंदिर की दुकानों में हो रहा है और गुरुग्राम निवासी जानते हैं कि वहां से रोज लाखों व्यक्ति गुजरते हैं और निगम के जिनकी जिम्मेदारी है, वह भी अवश्य गुजरते होंगे तो उनको इतना निर्माण होते हुए भी नजर क्यों नहीं आया? और अब भी समय बताएगा कि यह निर्माण रुकेगा या अनवरत होता रहेगा।

यह एक छोटी-सी घटना है, ऐसी घटनाएं गुरुग्राम में आमतौर पर होती रहती हैं और इसकी जानकारी विधायक, निगम अधिकारियों और निगम कमिश्नर को न हों, ऐसा माना नहीं जा सकता। बड़ा प्रश्न यही है कि इन लोगों की आंखें ऐसे समय में बंद क्यों रहती हैं?

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