अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ ने एसपी, एसएचओ, जाँच अधिकारी आदि के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने के लिए दी शिकायत

अधिवक्ताओं पर दर्ज एफआईआर का विवाद… – अपने गलत कृत्य को छुपाने के लिए पुलिस ने की गोपनीयता भंग

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने को लेकर उपजा विवाद, थमता नजर नहीं आ रहा है। जिला बार एसोसिएशन नारनौल के अधिवक्ता पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य से विरक्त हैं तथा उनके समर्थन में तीन दिन से महेन्द्रगढ़ बार एसोसिएशन तथा एक दिन कनीना बार एसोसिएशन ने भी न्यायिक कार्य नहीं किया है। बीते रोज अधिवक्ताओं ने भारी संख्या में एकत्रित होकर पुलिस अधीक्षक के विरूद्ध नारेबाजी करके, जिलाधीश को ज्ञापन दिया है।

अब नए घटनाक्रम में जिला बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण, एसएचओ थाना शहर सुरेन्द्र सिंह, मुख्य सिपाही रामकुमार, अधिवक्ता पर हमला करने वाले संदीप यादव घाटासेर व अन्य अज्ञात व्यक्तियों के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 166, 166ए, 211, 217, 218, 469, 120बी व धारा 66ई व 72 आईटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज करने के लिए, थानाधिकारी, थाना शहर, नारनौल की विभागीय ईमेल पर शिकायत भेजी है।

अधिवक्ता मनीष वशिष्ठ का कहना है कि पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण, निरीक्षक सुरेन्द्र सिंह एसएचओ, मुख्य सिपाही रामकुमार ने संदीप के साथ आपराधिक षड़यन्त्र में लिप्त होकर, उसे व उसके साथी अधिवक्ताओं को झूठे मुकदमें में फंसाने के लिए कानून के प्रावधानों का उल्लघंन किया है तथा अपने गलत कृत्य को छुपाने के लिए किसी कथित सीसीटीवी फुटेज को व्यापक स्तर पर वायरल किया है।  

मनीष वशिष्ठ ने अपनी शिकायत में कथन किया है कि 26 अप्रेल को विरोधी पक्षकार संदीप यादव वासी घाटासेर ने उसका साशय अपमान करने की नीयत से गालियाँ दी तथा उसे गंभीर रूप से प्रकोपित किया तथा हमला किया। इसके बाद पुलिस ने संदीप के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करके, उस संदीप को गिरफ्तार कर लिया। किन्तु मनीष वशिष्ठ का आरोप है कि एसएचओ ने एसपी की शह से,जानबूझ कर उस एफआईआर में धारा 504 आईपीसी अंकित नहीं की। उनका कहना है कि यह लोप उसे व अन्य अधिवक्ताओं को छति पहुँचाने की नीयत से किया है। उन्होंने बताया कि धारा 504 आईपीसी के अनुसार यदि कोई व्यक्ति जानबूझ कर किसी का अपमान करने के आशय से गम्भीर रूप से प्रकोपित करता है, तथा जानता है कि उसे प्रकोपन से किसी सार्वजनिक स्थल की शांति भंग हो जाएगी या कोई दूसरा अपराध घटित हो जाएगा, तो वह प्रकोपन देने वाला व्यक्ति ही धारा 504 आईपीसी का अपराध करता है। इस बारे दिनांक 8 मई को जाँच अधिकारी को धारा 504 आईपीसी जोड़ने बारे दरखास्त दे दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई तथा 12 मई को संदीप यादव के साथ आपराधिक षड़यन्त्र में लिप्त होकर, पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण की सहमति से अधिवक्ताओं के प्रति बदनीयत रखते हुए उन्हें झूठे मुकदमें में फंसाने के लिए, उनके विरूद्ध ही 12 मई को एफआईआर नम्बर 327 दर्ज कर दी। उन्होंने कहा कि संदीप यादव के विरूद्ध दर्ज की गई एफआईआर में धारा 504 आईपीसी अंकित कर दी जाती तो अधिवक्ताओं के विरूद्ध एफआईआर दर्ज ही नहीं हो सकती थी।

वकीलों ने जब एसपी विक्रांत भूषण के इस कृत्य की निन्दा की तथा न्यायिक कार्य से विरक्त रहने का निर्णय लिया तो पुलिस ने न्यायालय परिसर में हुई घटना की कथित वीड़ियो को 17 मई को सोशल मीडिया पर विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुपों में व्यापक स्तर पर वायरल करवा दिया। यदि उक्त कथित सीसीटीवी फुटेज न्यायालय परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे की थी, तो वह साधारण व्यक्ति की पहुँच के बाहर थी, क्योकि उस सीसीटीवी का नियन्त्रण जिला एवं सत्र न्यायाधीश, नारनौल के अधीन है। यदि उक्त सीसीटीवी फुटेज को पुलिस ने किसी मुकदमें की तफतीश में बजरिए फर्द कब्जा में लिया था, तो उक्त सीसीटीवी फुटेज पुलिस अधीक्षक या थानाधिकारी या जाँच अधिकारी की कब्जे में थी। किन्तु मुकदमें की जाँच में लिए गए उस महत्वपूर्ण व गोपनीय दस्तावेज को, जानबूझ कर आम जनता की नजरों में अधिवक्ताओं की छवि को बदनाम करने, आमजन की सहानुभूति पाने, पुलिस द्वारा अपने गलत कृत्य को सही ठहराने व अधिवक्ताओं को गुण्डा तत्व साबित करने की बदनीयत से वायरल कर दिया। उक्त कथित सीसीटीवी फुटेज में आवाज नहीं है, किन्तु यह स्पष्ट दिख रहा है कि उक्त संदीप, शिकायतकर्ता अधिवक्ता को प्रकोपित कर रहा है।

किसी मुकदमा की तफतीश में लिए गए दस्तावेज जो चालान पेश करने तक गोपनीय दस्तावेज की श्रेणी में आते है, की गोपनियता को धोखाधडी के उद्देश्य से अपने निहित स्वार्थ हेतु साशय भंग किया है। उक्त सीसीटीवी फुटेज को प्रारंभिक स्तर पर वायरल करने वाले तथा इसे व्यापक स्तर पर फॉरवर्ड करने वाले अज्ञात व्यक्तियों का भी इस अपराध को करने में योगदान रहा है, जिसकी पहचान इस अपराध की जाँच में हो पाएगी।

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