माजरा के अन्य किसानों ने अभूतपूर्व त्याग करके अपनी जमीन क्षेत्र हित में कोडियों के भाव एम्स के नाम पर करवा दी है तो बचे हुए लोगों को भी अन्य किसानों का अनुशरण करते हुए वैसी ही त्याग भावना दिखानी चाहिए : विद्रोही
एम्स निर्माण के लिए मुख्यमंत्री की खुद की नीयत में खोट है। यह तो अहीरवाल की जनता के संघर्ष का प्रतिफल है कि उन्हे मजबूरी में माजरा एम्स निर्माण प्रोजेक्ट को न चाहते हुए भी आगे बढाना पड़ रहा है : विद्रोही

17 मई 2023 – माजरा गांव के जिन किसानों ने अभी तक लगभग ढाई एकड़ जमीन की रजिस्ट्री एम्स के नाम पर नही करवाई है, उनसे स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने विनम्र आग्रह किया कि वे हठधर्मिता छोडकर अहीरवाल की स्वास्थ्य सेवाओं के दीर्घकालिक हितों के लिए अपनी बची जमीन की रजिस्ट्री तत्काल एम्स के नाम पर करवाये। विद्रोही ने कहा कि माजरा एम्स प्रोजेक्ट अहीरवाल की वर्तमान व भावी पीढियों के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में एक ऐसा मील का पत्थर साबित होगा जिसका लाभ इस क्षेत्र के साथ हरियाणा व सीमावर्ती राजस्थान के हर आम व खास को एक समान रूप से मिलेगा। माजरा एम्स प्रोजेक्ट को मात्र ढाई एकड़ जमीन के लिए लटकाना पूरे अहीरवाल के साथ अन्याय है। जब माजरा के अन्य किसानों ने अभूतपूर्व त्याग करके अपनी जमीन क्षेत्र हित में कोडियों के भाव एम्स के नाम पर करवा दी है तो बचे हुए लोगों को भी अन्य किसानों का अनुशरण करते हुए वैसी ही त्याग भावना दिखानी चाहिए। 

विद्रोही ने कहा कि एक ओर मुख्यमंत्री व उनकी भाजपा सरकार पहले ही विकास मामलों में अहीरवाल से राजनीतिक कारणों से द्वेष रखकर भेदभावपूर्ण सौतेला व्यवहार करती है। एम्स निर्माण के लिए मुख्यमंत्री की खुद की नीयत में खोट है। यह तो अहीरवाल की जनता के संघर्ष का प्रतिफल है कि मुख्यमंत्री खट्टर जी नीयत साफ नही होते हुए भी उन्हे मजबूरी में माजरा एम्स निर्माण प्रोजेक्ट को न चाहते हुए भी आगे बढाना पड़ रहा है। यदि यही के लोग एम्स निर्माण में रोड़े अटकायेगे तो खट्टर सरकार को तो इसको लटकाने का बहाना अपने आप मिल जायेगा। विद्रोही ने कहा कि अहीरवाल की जनता के भारी दबाव के कारण भाजपा सरकार को भी बची ढाई जमीन का भूमि अधिग्रहण कानून के तहत जमीन अधिग्रहित करनी होगी।

माजरा के जिन किसानों की ढाई एकड़ जमीन 210 एकड़ के इस प्रोजेक्ट के बीच में आ रही है, वे परिस्थितियों का बेजा फायदा उठाकर एक तरह से अपनी मातृभूमि के साथ अन्याय कर रहे है जो किसी भी तरह उचित नही है। विद्रोही ने कहा कि ऐसी स्थिति में आदर्श स्थिति यही है कि माजरा के जिन किसानों की ढाई एकड़ जमीने एम्स की प्रस्तावित जमीन के बीच में आ रही है, वे उदारता का परिचय देकर अहीरवाल के हित में अपनी ढाई एकड़ जमीन की रजिस्ट्री एम्स के नाम पर करवाकर माजरा एम्स निर्माण का रास्ता साफ करे।

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