अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर संगोष्ठी आयोजित

पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है-पूर्व सत्र न्यायाधीश राकेश यादव
छोटे समाचार पत्र ग्रामीण पत्रकार के उत्थान के लिए उठाए सरकार कदम

पत्रकारिता पर अघोषित सेंसरशिप पर चिंता व्यक्त

भारत सारथी / कौशिक

नारनौल। अंतर्राष्ट्रीय प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर स्थानीय रेवाड़ी मार्ग स्थित एसवीएन स्कूल में संगोष्ठी का आयोजन सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश राकेश यादव द्वारा किया गया।

संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश राकेश यादव ने कहा कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस कई कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण,यह लोकतंत्र, मानवाधिकारों और सतत विकास को बढ़ावा देने में एक निर्भीक और स्वतंत्र मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह दिन पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों के काम को स्वीकार करने और जश्न मनाने का अवसर प्रदान करता है, जो जनता को सटीक और विश्वसनीय जानकारी अक्सर जोखिम और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए प्रदान करने का प्रयास करते हैं।

उन्होंने कहा कि पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है। देश की मीडिया के माध्यम से ही लोगों को अपने अधिकारों व कर्तव्यों तथा देश विदेश की जानकारी मिलती है। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में सत्ता पक्ष हमेशा हावी रहता है। विपक्ष का कार्य सत्ता पक्ष द्वारा किए जा रहे अन्याय को जनता के सामने लाना होता है। जिससे लोगों में जागरूकता आए। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातांत्रिक देश है। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज ये सभी स्तंभ कमजोर और राजनीति के दबाव में है। हालांकि इन सबके अपने कर्तव्य तथा कार्य क्षेत्र है। आज इनकी स्वतंत्रता पर चिंतन की जरुरत हैं। मीडिया पर औद्योगिक घरानों का कब्जा है और यह औद्योगिक घराने सत्तापक्ष से प्रभावित रहते हैं। इसी कारण है देश में प्रेस की स्वतंत्रता प्रभावित हो रही है।

श्री यादव ने कहा कि पत्रकारिता करते हुए पत्रकारों को कई बार काफी चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके तमाम उदाहरण दुनियाभर में हैं। सच को सामने लाने और अपनी जिम्मेदारी को अच्छे से निभाने के लिए पत्रकार अपनी जान को जोखिम में डालने से भी नहीं हिचकते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे किसी भी प्रकार की जानकारी हो, उसको आम जन तक पहुंचाने के लिए मीडिया का अहम रोल रहता है। इसके अलावा, विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस सेंसरशिप, उत्पीडऩ, धमकी और हिंसा सहित दुनिया भर में पत्रकारों और मीडिया कर्मियों के सामने आने वाली कई चुनौतियों और खतरों पर ध्यान आकर्षित करने का एक अवसर है। यह दिन पत्रकारों की अधिक सुरक्षा के लिए आह्वान करने और प्रेस की स्वतंत्रता की रक्षा करने और सूचना के मुक्त प्रवाह को सुनिश्चित करने वाले सुधारों की वकालत करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। छोटे समाचार पत्र व ग्रामीण पत्रकारों के लिए सरकार को विशेष ध्यान देना चाहिए।

पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सरकार को पत्रकारों के हितों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। सरकार द्वारा लगाए गए टोल टैक्स पर पत्रकारों के वाहनों का टोल टैक्स माफ किया जाए। सरकार की ओर से उन्हें उचित पेंशन राशि दी जाए। उन्होंने बताया कि कई बार देखने में आया है कि पत्रकारों को खबरों को लेकर मुकदमे बाजी का भी सामना करना पड़ता है। इसलिए सरकार को कानून बनाकर पत्रकारों के हितों को देखते हुए सेवानिवृत्त न्यायाधीश व अखबार के संपादक या वरिष्ठ पत्रकार का एक पैनल बनाकर उनके मुकदमों का निपटारा कराना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने सभी पत्रकारों को विश्व प्रेस दिवस की बधाई दी।

इस अवसर पर विभिन्न संस्थानों के पत्रकार उपस्थित थे। संगोष्ठी में विभिन्न पत्रकारों ने प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर अपने उद्गार व्यक्त किये। अनेक पत्रकारों ने सरकार व प्रशासन के अघोषित सेंसरशिप के बारे में भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि आज सोशल मीडिया, पोर्टल, यूट्यूबर और स्वतंत्र पत्रकार पत्रकारिता की शाख बचाए हुए हैं। गोष्ठी में इस बात को लेकर चिंता व्यक्त की गई कि आजकल जन समस्याओं को प्रमुखता न देकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया द्वारा अपराधों की खबरों को प्रमुखता से परोसा जाता है। सत्ता पक्ष की खबरों को मालिक के संपादक स्तर पर रोक दिया जाता है। संगोष्ठी में पत्रकारिता पर पत्रकारों द्वारा अघोषित सेंसरशिप पर चिंता व्यक्त की गई।

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