किसान कर सकेंगे अपनी भूमि पर खेती…………….. जून में किए जाएंगे टेंडर

गुरुग्राम। इंडरी खंड के गांव मानुवास व आसपास के गांव की करीब 400 एकड़ भूमि पर भरे रहने वाले बरसाती पानी की निकासी के लिए सिंचाई विभाग की ओर से योजना तैयार कर सर्वे किया जा रहा है और जून माह में इसके टेंडर आमंत्रित कर समस्या का समाधान किया जाएगा। यह जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि सोमवार को चंडीगढ़ में प्रदेश के मुख्य सचिव व अन्य अधिकारियों के साथ हुई बैठक में सिंचाई विभाग से जुड़े मुद्दों की चर्चा करते हुए मानुवास गांव की करीब 400 एकड़ भूमि पर निरंतर भरे रहने वाले बरसाती पानी से किसानों को होने वाली परेशानी व नुकसान के बारे में विचार किया गया।

राव ने बताया कि इंडरी खंड के गांव मानुवास व आस-पास के गांव में उनके खेतों में खड़े रहने वाले बरसाती पानी से नुकसान का ब्योरा देते हुए कहा कि गांव के लोगों ने बताया कि करीब साढ़े तीन सौ एकड़ से अधिक भूमि पर खेती नहीं कर पा रहे हैं यहां बरसात का पानी लगातार भरा रहता है। जिसके कारण किसानों की भूमि खेती विहीन होती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार करीब 20 से 25 वर्ष से गांव के किसान अपनी जमीन पर खेती नहीं कर पा रहे हैं। चंडीगढ़ बैठक में राव द्वारा उठाए गए इस मुद्दे पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी है कि मानुवास गांव की करीब साढ़े तीन सौ एकड़ से अधिक जमीन पर बरसात का पानी मानसून के दौरान भर जाता है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों का तर्क था कि यह जमीन लो एरिया में होने के चलते बरसात का पानी यहां काफी मात्रा में एकत्र हो जाता है। अधिकारियों ने बैठक में अवगत करवाया की गांव में जाकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने सर्वे किया है और चंडीगढ़ रिपोर्ट भेजी जा रही है। सिंचाई अधिकारियों का कहना था कि जलभराव वाले क्षेत्र से करीब सवा किलोमीटर दूरी पर नूंह डेन निकल रही है ।

सिंचाई विभाग ने योजना तैयार की है कि भूमिगत पाइप लाइन दबाकर जलभराव वाले क्षेत्र के पानी को नूंह डेन में पहुंचाया जाएगा। सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने जानकारी दी कि 10 मई तक सर्वे की रिपोर्ट सिंचाई विभाग के अधिकारियों द्वारा भेज दी जाएगी । जिसके बाद प्रशासनिक मंजूरी के लिए सरकार को भेजा जाएगा। विभाग के अधिकारियों का कहना था की प्रशासनिक मंजूरी मिलने के बाद जून माह के अंदर पाइप लाइन बिछाने का टेंडर कर किया जाएगा। सिंचाई विभाग के अनुसार इस योजना पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च आने का अनुमान लगाया गया है। केंद्रीय मंत्री को सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भूमिगत पाइप लाइन के जरिए नूंह डेन में बरसाती पानी की निकासी की जाएगी जिसके बाद मानुवास गांव के निचले क्षेत्र में भरने वाले इस पानी की समस्या को दूर किया जा सकेगा।

केंद्रीय मंत्री ने मुख्य सचिव संजीव कौशल को निर्देश दिए कि वे योजना की लगातार मॉनिटरिंग करते रहे और प्रशासनिक मंजूरी व बजट मंजूर करवा कर जल्दी से योजना पर काम शुरू करवाएं।

मेवात फीडर कैनाल पर खर्च होंगे करीब 1000 करोड़
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने बताया कि बैठक में मेवात फीडर कैनाल के बारे में भी विस्तृत चर्चा हुई जिसमें सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया कि योजना का संसोधित प्लान 2050 को दृष्टि में रखते हुए बनाया गया है। सिंचाई अधिकारियों ने केंद्रीय मंत्री को बताया कि योजना की डीपीआर बनाने का कार्य वेपेस्को को जून 2022 में दे दिया गया था, जिसकी रिपोर्ट 30 जून तक जमा की जाएगी।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार पहले बनाई गई योजना के अनुसार मेवात फीडर कैनाल चैनल की कैपेसिटी 390 क्यूसेस अनुमानित थी , जिसे बढ़ाकर अब 686 क्यूसेस किया गया है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस योजना पर करीब 1000 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि नवंबर – दिसंबर माह तक इस योजना के शुरू होने का अनुमान लगाया गया है। बजट की मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजा जा रहा है।

error: Content is protected !!