हरियाणा के पत्रकार सक्षम नहीं हरियाणा को समझने में?

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। यह कहावत मुझे याद आई तब जब हमारे मुख्यमंत्री ने पूरे देश से वरिष्ठ पत्रकारों को बुलाया और उन्हें अपनी उपलब्धियां बताईं और वरिष्ठ पत्रकारों ने उनकी प्रशंसा की तो मुझे हरियाणा की यही कहावत याद आई कि घर का जोगी जोगना और बाहर का जोगी सिद्ध।

प्रश्न यह भी मन में आया कि क्या हरियाणा में पत्रकार नहीं हैं? या वे पत्रकार इतने सक्षम नहीं हैं कि हरियाणा की स्थिति को समझ सकें? ऐसा शायद मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सोच हो, तभी तो उन्होंने देश के चुनिंदा पत्रकारों को अपना मेहमान बनाकर बुलाया और मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल से उनकी लंबी वार्ता कराई और उसके पश्चात स्वयं भी उनसे भेंट की।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने उन्हें बताया कि हमारे प्रदेश की अनेक अनूठी योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली और अन्य प्रदेशों ने भी हमारी योजनाओं को अपनाया। मुख्यमंत्री का कहना था कि परिवार पहचान पत्र योजना की सराहना हो रही है। विभिन्न प्रांतों से आए 20 से अधिक पत्रकारों को तीन दिनों तक प्रदेश का भ्रमण करा गुड गवर्नेंस से जुड़े कार्यक्रमों को जाकर दिखाया।

शायद मुख्यमंत्री और उनके अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. अमित अग्रवाल ने समझाया कि भावी पीढ़ी को विरासत में जल मिले इसके लिए योजना शुरू की। बिजली के लिए म्हारा गांव-जगमग गांव योजना आरंभ की और उनको मुख्यमंत्री ने अपने जीवन के अनेक अनुभव भी बताए। अर्थात मुख्यमंत्री की नजर में जो हरियाणा में अच्छे काम थे उनका वर्णन उन 20 पत्रकारों को किया।

हमारे हरियाणा में प्रचलित कहावत है कि अतिथ देवो भव: सो उन पत्रकारों का स्वागत इसी प्रकार किया गया लेकिन मन में यहां भी प्रश्न है कि अतिथि अर्थात जिसके आने की कोई तिथि न हो, यही भावार्थ है अतिथि का लेकिन जो बुलावे पर आए उसे क्या कहेंगे? यह समझ में नहीं आता।

हरियाणा की परंपरा है कि जो घर आए उसका स्वागत-मान करो और अपने घर की बुराईयों को छुपाओ और सत्कर्मों का बखान करो। वही शायद मुख्यमंत्री ने किया है। 

अब घर आए साथ ही कर्तव्य बनता है कि वह यजमान का पूर्ण सम्मान करें और उसकी कमियों को नजरअंदाज कर उसकी प्रशंसा करें। यही आए हुए पत्रकारों ने भी किया। प्रश्न यह खड़ा होता है कि हरियाणा में कार्यरत हरियाणा की माटी से जुड़े पत्रकार क्या हरियाणा को जानते नहीं? या मुख्यमंत्री उन्हें इस योग्य नहीं समझते कि अपना अतिथि बनाएं।

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