प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ रहे सामाजिक आयोजन

नप और पुलिस की खुलकर सामने आई खामियां

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। शहर में समय दर समय विभिन्न आयोजन होते रहते हैं , इनमें शोभा यात्रा , महिला कलश यात्रा के साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा शहर के प्रमुख मार्गों होकर झांकी आदि का आयोजन होता रहता है। लेकिन प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इन सामाजिक आयोजनों की शोभा शहर में फैली अव्यवस्था तथा प्रशासनिक लापरवाही के कारण परेशानी का कारण बन जाती है । जनता ने शहर की सुंदरता को बरकरार रखने का जिम्मा नगर परिषद के हवाले किया हुआ है । वोट के जरिए चुनी जाने वाली शहर की छोटी सरकार द्वारा भी इन पहलुओं पर गौर नहीं किया जाता , जो वास्तविक रूप से लोगों की परेशानी का सबब बनते जा रहे हैं। शहर के प्रमुख मार्गों पर फैले सीवर लाइन जाल बिछा हुआ है , लेकिन इन सीवर लाईन के मेन पॉइंट खुले हुए होने के कारण दुर्घटना का अंदेशा बना रहता है। हाल ही में आयोजित ब्रह्म समाज द्वारा आयोजित भगवान परशुराम जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रम में भी कुछ इस तरह का नज़ारा देखने को मिला। शहर के प्रमुख बाजारों में सीवर लाइन के विभिन्न प्वाइंट पर ढक्कन आदि नदारद मिले। जबकि प्रशासन को इस बात की जानकारी भी रहती है कि जिला मुख्यालय होने के कारण यहां विभिन्न आयोजन होते रहते हैं।

अब बात की जाए सुरक्षा व्यवस्था की तो यहां भी कुछ खामियां आयोजनकर्ता के जी का जंजाल बनती देखी गई हैं। हालाकि बड़े आयोजनों में पुलिस जाब्ता पुख़्ता नजर आता है , लेकिन रोड़ मैप तैयार करने के मामले में बरती गई ढिलाई । शोभायात्रा में पुलिस व्यवस्था न के बराबर नजर आई। पुलिस बल गाड़ियों में बैठा शोभायात्रा के साथ शामिल तो था लेकिन शोभायात्रा के रूट पर ट्रैफिक को डायवर्ट करने का इन्होंने कोई भी इंतजाम नहीं किया। कहीं भी बैरीकेट नहीं लगाए गए और ना ही रास्ता वनवे किया गया। शोभा यात्रा के दौरान ट्रैफिक व्यवस्था विप्र वालियटंरो ने संभाल रखी थी। पर दोपहिया तथा चार पहिया वाहन चालक आग्रह के बावजूद भी शोभायात्रा के बीच में आ रहे थे। जिसकी वजह से जाम की स्थिति बनी रही। जिस पुलिस को जनता को परेशानी से बचाने के लिए यातायात व्यवस्था संभालनी चाहिए थी वह नदारद थी। पुलिस की इस प्रकार की कुव्यवस्था केवल इस आयोजन में ही नही रही अपितू पिछले भी काफी आयोजनों में देखने को मिली। वाहनों का आना-जाना आयोजनकर्ताओं की परेशानी का कारण बन जाती है।

इन तमाम पहलुओं को देखते हुए सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों का सुझाव है कि शहर के प्रमुख बाजारों और मार्गों पर खुले सीवर को ढकने के i इंतजाम किए जाए, वहीं विभिन्न सामाजिक आयोजनों के तहत निकलने वाली यात्राओं के रोड़ मैप को संभालने में पुलिस प्रशासन को भी अपनी भुमिका सुनिश्चित करनी होगी , ताकि सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं को कुछ राहत मिल सके।

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