भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा के राजनैतिक हलकों में आजकल बड़ी चर्चा यही चल रही है कि हरियाणा विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होंगे? इस पर कुछ वरिष्ठ राजनैतिज्ञों से बात की, जिनसे उनका सार निकलकर जो आया उसमें यह स्पष्ट हो नहीं पाया। 

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भाजपा के अंतरिम सर्वे में निकलकर आया कि भाजपा की स्थिति वर्तमान में अच्छी नहीं है। संभव है कि वह जब प्रधानमंत्री मोदी हरियाणा के प्रभारी थे, उस स्थिति में या उससे 50 प्रतिशत से अधिक की स्थिति में पहुंच पाए और इससे भाजपा खेमा चिंतित हुआ और नई-नई रणनीतियां बनने लगीं, जिससे कि जनता को अपनी ओर आकर्षित कर परिणाम अच्छे निकाल सकें। 

इसी कड़ी में सर्वप्रथम तो हम कहेंगे कि मुख्यमंत्री का जनसंवाद आता है। उसके पश्चात 2019 के चुनाव में जिन विधायकों की टिकट कटी थी, उन्हें मनाने का सिलसिला आरंभ हो चुका है। इसके अतिरिक्त जो वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए थे और अब तक किनारे किए हुए थे, उनसे भी संपर्क किया जा रहा है। 

अब बात करें सांसदों की तो वर्तमान में बहुत सांसदों के मुख्यमंत्री से संबंध मधुर नहीं हैं। उन्हें मधुर करने का प्रयास जारी हो चुका है और यह भी सुना जा रहा है कि सांसदों का कहना है कि विधानसभा चुनाव यदि  लोकसभा के साथ होते हैं तो विधायकों पर जनता के गुस्से का असर हम पर भी पड़ सकता है। सांसदों यह भी मत है कि विधानसभा चुनाव साथ होने से वर्कर हमें अधिक मिल जाएंगे। अत: उससे कुछ लाभ भी हो सकता है। कुल मिलाकर असमंजस की स्थिति है। यही स्थिति विधानसभा चुनाव साथ कराने की है। अर्थात गहन मंथन चल रहा है। 

यह तो हुई भाजपा की बात। अब अन्य दलों की बात करें तो वहां भी उनके सर्वे में सूत्र बताते हैं कि यह निकलकर आया कि इनेलो और जजपा भी अपना प्रभाव नहीं बना पाएंगी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर जाटों का विश्वास बड़ा है। आप पार्टी भी कोई अधिक पैंठ बनाती नजर आ नहीं रही। 

इन स्थितियों को देख भाजपा निराश तो नहीं है। उन्हें लगता है कि यदि तरीके से प्रयास किया गया तो हम तीसरी बार भी सरकार बना लेंगे। अब आप लोगों के दिमाग में प्रश्न यह आया होगा कि हमने लिखा कि जजपा भी अपना जनाधार खो चुकी है। आप सोच रहे होंगे कि जजपा से तो भाजपा का गठबंधन है तो जजपा की बात अलग कैसे?

तो सूत्र कहते हैं कि जजपा के गठबंधन में भाजपा चुनाव नहीं लड़ेगी। इस बात को बल पूर्व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यू के ब्यान से भी मिलता है। उन्होंने कहा है कि जजपा तो सरकार चलाने के लिए है, चुनाव में उसकी आवश्यकता नहीं है। 

इस प्रकार यह समझ आया कि भाजपा कुछ तो अपना जनाधार बढ़ाएगी, रूष्ट लोगों को मनाएगी, छोडक़र जाने वालों को बुलाएगी और फिर 4 पार्टियां (इनेलो, जजपा, आप, कांग्रेस) अलग-अलग चुनाव लड़ेंगी। इस स्थिति का पूर्ण लाभ भाजपा को मिलेगा। इस तरह 2019 की तरह फिर गठबंधन कर तीसरी बार सरकार बनाएंगे।

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