-अमित नेहरा

*डिस्क्लेमर (वैसे तो यह अंत में दिया जाता है, पर देश के माहौल के चलते शुरुआत में देना उचित लगता है) : मुझे अतीक अहमद या उस जैसे किसी भी अपराधी के साथ कोई हमदर्दी नहीं है।

1973 में रिलीज फिल्म ‘बॉबी’ उस दौर की सबसे बड़ी हिट फिल्म थी। बताते हैं कि देश की जनता इस फिल्म को देखने के लिए बुरी तरह पागल थी और इसका यह क्रेज आगामी एक दशक तक बना रहा। ऐसे माहौल में देश में 25 जून 1975 को इमरजेंसी की घोषणा हो गई। जनवरी 1977 में देश में इमरजेंसी लागू हुए 19 महीने हो चुके थे। अचानक इंदिरा गांधी ने 18 जनवरी 1977 को ऑल इंडिया रेडियो पर लोकसभा चुनाव कराने का ऐलान कर दिया। ऐसे में इमरजेंसी से नाराज अनेक विपक्षी पार्टियों ने एक साथ एक बैनर तले चुनाव लड़ने का फैसला किया।

आनन-फानन में 23 जनवरी 1977 को जनता पार्टी का गठन हुआ। जनता पार्टी के गठन के 10 दिन बाद बाबू जगजीवन राम ने भी केंद्र सरकार से इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा झटका था। कांग्रेस से इस्तीफा देकर जगजीवन राम ने कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी नाम से नई पार्टी बनाकर जनता पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया।

बाबू जगजीवन राम ने दिल्ली में 6 मार्च 1977 को विशाल जनसभा को संबोधित करने का ऐलान किया। इस रैली में जयप्रकाश नारायण उर्फ जेपी को भी भाग लेना था। इस जनसभा में भीड़ न आये इसके लिए सत्तारूढ़ कांग्रेस ने एक बेहद शातिराना चाल चली। तत्कालीन सूचना और प्रसारण मंत्री वीसी शुक्ला ने इसका ताना-बाना बुना। केन्द्र सरकार ने 6 मार्च को ठीक उसी वक्त, जो बाबू जगजीवन राम की जनसभा का समय था, सुपरहिट फिल्म ‘बॉबी’ का दूरदर्शन पर प्रसारण कराने का ऐलान करवा दिया।

गौरतलब है कि 1977 में सिर्फ दूरदर्शन ही एकमात्र टीवी चैनल था। उसका नियंत्रण पूरी तरह से केंद्र सरकार के हाथ में था। अगर आम दिनों में यदि बॉबी फ़िल्म दूरदर्शन पर प्रसारित हो रही होती तो दिल्ली की आधी से ज्यादा जनता टीवी के इर्द-गिर्द ही सिमटी रहती।

लेकिन, 6 मार्च 1977 को ऐसा नहीं हुआ। लोगों का सैलाब बाबू जगजीवन राम और जयप्रकाश नारायण की रैली में उमड़ पड़ा। दिल्ली की जनता के लिए उस दिन बॉबी के कोई मायने नहीं थे, जनता सरकार की मंशा भांप चुकी थी अतः बॉबी को कोई भाव नहीं मिला। एक अखबार ने अगले दिन इस घटना पर हेडलाइन बनाई कि ‘बाबूजी ने बॉबी पर जीत हासिल की’।

इस ऐतिहासिक घटना का यहाँ विवरण देना इसलिए आवश्यक है कि सत्ता हमेशा जनता के दिमाग से खेलती रहती है। यह जनता के विवेक पर निर्भर करता है कि वह उसके ट्रैप में फंसे या नहीं।

गौर फरमाइयेगा कि परसों ही भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री और इस सरकार के दौरान बिहार, जम्मू कश्मीर, गोवा व मेघालय के गवर्नर रहे सत्यपाल मलिक’

ने एक यू ट्यूब चैनल द वायर में वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को 1 घण्टा 9 मिनट लंबा इंटरव्यू दिया है। उन्होंने इस विस्तृत इंटरव्यू में ऐसे-ऐसे रहस्योद्घाटन व आरोप लगाए हैं कि जिनको जनता सीरियस ले ले तो सत्ताधारी दल के सामने भयंकर संकट की स्थिति आ सकती है।

मसलन उन्होंने पुलवामा अटैक के बारे में बताया है कि केंद्र सरकार व प्रधानमंत्री को इस बारे में सारी जानकारी थी और प्रधानमंत्री ने उन्हें इस बारे में मुँह बन्द रखने को बोला था। उन्होंने तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सीआरपीएफ के जवानों को लाने के लिए 5 विमानों का बंदोबस्त नहीं किया। उन्होंने कहा कि 300 किलोग्राम आरडीएक्स से भरी कार 10-12 दिन तक घटनास्थल के आसपास घूमती रही लेकिन इसे किसी ने भी नहीं पकड़ा। सीआरपीएफ के काफिले के रास्ते को सुरक्षित नहीं किया गया जिससे यह लोमहर्षक घटना हुई।

मलिक ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भ्रष्टाचार से नफरत नहीं है। उन्होंने आरएसएस के बहुत बड़े नेता राम माधव पर 300 करोड़ के भ्रष्टाचार में लिप्त होने की कोशिश का आरोप लगाया है। उन्होंने जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने को गलत ठहराया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास सटीक सूचनाओं की कमी है। यही नहीं उन्होंने उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। इस लंबे इंटरव्यू में पूर्व गवर्नर ने जो खुलासे किए हैं वे निश्चित तौर पर देश की राजनीति में उबाल लाने वाले हैं।

सत्यपाल मलिक को पता था कि वो जो इतना बड़ा आरोप बम फोड़ रहे हैं उसका बहुत बड़ा और व्यापक असर होने वाला है। संभावना थी कि सभी विपक्षी पार्टियां और न्यूज चैनल इस स्कूप को हाथों हाथ ले सकते हैं। मलिक ने आरोप ही ऐसे लगाए हैं कि जनता उनका जवाब मांगती ही मांगती।

लेकिन 15 अप्रैल 2023 की रात 10:30 बजे इलाहाबाद में उत्तरप्रदेश के माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ का ऑन कैमरा मर्डर कर दिया गया। ये मामला होते ही कोई ऐसा न्यूज चैनल नहीं बचा जिस पर इस मर्डर के अलावा किसी और बात पर चर्चा हो रही हो। अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ के लाइव मर्डर ने सतपाल मलिक के इंटरव्यू के आरोपों को नेपथ्य में डाल दिया है। देश की जनता को ऑन कैमरा मर्डर दिखाकर मस्त किया जा रहा है ताकि बड़े मुद्दे बिल्कुल दब जाएं। जनता को आरोपों का पता ही नहीं चलेगा तो वह सवाल क्यों और कैसे करेगी?

इस बार की नई बॉबी वाकई में सुपरहिट हो गई है!

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