– अपनी एक महीने की बुढ़ापा, विधवा, विकलांग पेंशन मुख्यमंत्री कोष में जमा करवाएंगे  
– अपने स्तर पर चंदा एकत्रित कर चुकाएंगे वन विभाग के पैसे –
वन विभाग में फंड जमा करवाने में सरकार कर रही नुकताचीनी, ग्रामीणों ने लिया फैसला यदि सरकार पैसा जमा नहीं करवा रही तो ग्रामीण अपने स्तर पर वन विभाग को करेंगे पैसों की अदायगी

हिसार 13 अप्रैल : रोड बचाओ संघर्ष समिति व ग्रामीणों द्वारा तलवंडी राणा बाई पास पर दिए जा रहे धरने के 66वें दिन बृहस्तिवार को ग्रामीणों ने बड़ा फैसला लिया। रोड बचाओ संघर्ष समिति के प्रधान एडवोकेट ओमप्रकाश कोहली ने बताया कि हमें ज्ञात हुआ है कि वन विभाग में स्थायी सडक़ मार्ग की फाइल इसलिए लटकी हुई है क्योंकि वन विभाग द्वारा दी जा रही जमीन में खड़े पेड़ों की जो राशि बनती है उसे देने में सरकार देरी और नुकताचीनी कर रही है। इसी वजह से फाइल वहां इतने दिनों से अटकी हुई है। धरने पर ग्रामीणों ने फैसला लिया कि यदि सरकार के पैसे नहीं हैं तो वन विभाग को पेड़ों के बदले में जो राशि दी जानी है उसे ग्रामीण अपनी एक महीने की बुढ़ापा, विधवा, विकलांग पेंशन देकर व चंदा एकत्रित करके अदा कर देंगे और यह राशि मुख्यमंत्री कोष में जमा करवा दी जाएगी।  कोहली ने बताया कि क्योंकि यह मामला उनके बच्चों के भविष्य व रोड से जुड़े दर्जनों गांवों की तरक्की से जुड़ा हुआ है इसलिए ग्रामीण किसी भी कीमत पर यह रास्ता लेकर रहेंगे। सरकार चाहे इसमें कितनी ही बाधाएं खड़ी कर ले लेकिन जब तक हमें स्थायी सडक़ मार्ग नहीं मिल जाता हम पीछे नहीं हटेंगे और न ही धरने से एक ईंच भी हिलेंगे।

कोहली ने बताया कि सर्वप्रथम सरकार को वर्तमान अस्थायी सडक़ मार्ग बंद करने से पहले ही हमें स्थायी मार्ग उपलब्ध करवाना चाहिए था लेकिन ग्रामीणों द्वारा दो माह से भी अधिक धरने पर बैठे होने के बावजूद भी सरकार स्थायी सडक़ मार्ग देने में देरी कर रही है जिससे आस-पास के सभी गांवों में भारी रोष है। ग्रामीण अब आर-पार की लड़ाई लडऩे के मूड में हैं चाहे जो भी हो अब हम सडक़ मार्ग बनने के बाद ही धरने से उठेंगे।

उन्होंने बताया कि खुद सरकार के अनेक नेता धरने पर आकर और विधानसभा तक में आवाज उठाकर कह चुके हैं कि ग्रामीणों की मांग जायज है और बिना किसी देरी के ग्रामीणों को सडक़ दी जानी चाहिए। इसके बावजूद भी सरकार मूक दर्शक बनी बैठी है और ग्रामीणों की दु:ख तकलीफों से उसे कोई लेना-देना नहीं है। एयरपोर्ट से जुड़ी हर फाइल और कार्य को तो द्रुत गति से दौड़ाया जा रहा है लेकिन स्थायी सडक़ मार्ग की बात आते ही सरकार व अफसरों के हाथ सुन्न पड़ जाते हैं और फाइल आगे ही नहीं बढ़ाई जाती। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं व सत्ता में बैठे नेता, मंत्री व अफसर यहां आकर ग्रामीणों की हालत खुद देखेंगे तो उन्हें पता चलेगा कि ग्रामीणों के लिए बिना सडक़ के एक-एक दिन कैसे दूभर होकर गुजर रहा है। ग्रामीण कोई शौक के तौर पर धरने पर नहीं बैठे हैं गांव का हर बच्चा, बूढ़ा, जवान, महिला, युवा इस रोड के बंद होने से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं और सभी धरने को अपना समर्थन देने रोजाना पहुंच रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार स्थायी रोड से जुड़ी फाइल को आगे बढ़ाए और वन विभाग के पेड़ों की राशि को ग्रामीण अपनी बुढ़ापा, विकलांग, विधवा पेंशन व चंदा एकत्रित कर अदा करने के लिए तैयार हैं।

धरने पर मुख्य रूप से रामसिंह, मनफूल, किशन लाल, हरिसिंह फौजी, कलिराम, विनोद खटाणा, रमेश जुगलान, कलीराम जांगड़ा, भारीरथ शर्मा, भारत मित्तल, ठंडू राम, विनोद भाटिया, राजू गोरशी, बलबीर बिश्नोई, औमप्रकाश चौपड़ा, रोशनी, पार्वती, रामरति, बबलू, राजबाला, कृष्णा सहित फसल कटाई का सीजन होने के बावजूद भी सैकड़ों की संख्या ग्रामीण मौजूद रहे।

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