भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा में अस्थाई स्कूलों की मान्यता का मामला वर्षों से लटका आ रहा है और वर्ष एक साल की एक्सटेंशन मिल जाती है लेकिन इस वर्ष अभी तक सरकार की ओर से एक्सटेंशन नहीं मिली है। इस वर्ष विद्यालय शिक्षा निदेशालय की ओर से 23 मार्च को एक पत्र जारी किया था, जिसमें लिखा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2022-23 में अराजकीय विद्यालयों को साल दर साल दी जाने वाली अस्थाई संबंधिता माननीय मुख्यमंत्री के अनुमोदनपरांत इस शर्त पर प्रदान की गई है कि संबंधित विद्यालय आगामी शैक्षणिक सत्रों में केवल उन्हीं कक्षाओं में छात्रों का दाखिला करेंगे, जहां तक विद्यालय स्थाई मान्यता प्राप्त हैं।

वह उन कक्षाओं में छात्रों का दाखिला नहीं करेंगे, जिन कक्षाओं के संबंध में संबंधित स्कूल को निदेशालय द्वारा स्थाई मान्यता प्रदान नहीं की गई है, जब तक कि विद्यालय उन कक्षाओं के लिए निदेशालय से स्थाई मान्यता प्राप्त नहीं कर लेंगे। इस पत्र की जानकारी सरकार और उसके विभागों तक तो है लेकिन आम जनता को नहीं। 

गुरुग्राम की बात लें तो यहां अनेक विद्यालय अस्थाई मान्यता प्राप्त हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें कोई मान्यता प्राप्त नहीं है लेकिन वह सब छात्रों के दाखिले गत वर्षों की प्रकार कर रहे हैं। प्रश्न उठता है कि यदि उन स्कूलों को शिक्षा निदेशालय से मान्यता नहीं मिली है तो बच्चे जब उस स्कूल से निकलेंगे तो वह स्कूल क्या ट्रांसफर सर्टिफिकेट दे पाएंगे और यदि वे देते भी हैं तो उसे मानेगा कौन?

कुछ सूत्रों से जानकारी मिली है कि अस्थाई मान्यता प्राप्त स्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों से तालमेल करके अपने बच्चों को उन स्कूलों का विद्यार्थी दिखा शिक्षा दिला देते हैं। क्या इस वर्ष शिक्षा निदेशालय के इस पत्र से कोई अंतर पड़ेगा? हमारे विचार से तो नहीं।

ऐसा भी जानकारी में आया कि कोई स्कूल मालिक अपने एक स्कूल की मान्यता प्राप्त कर लेता है सरकार के नियमों को पूरा कर लेकिन साथ ही वह कई और स्थानों पर अपने स्कूल के नाम से ही उसकी शाखाएं खोल देता है, जो शिक्षा निदेशालय के नियमों को पूरा नहीं करते और शिक्षा निदेशालय के पास उनकी सूची भी नहीं होती। ऐसे में यदि हरियाणा शिक्षा निदेशालय ने कड़ी कार्यवाही की तो उन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों का क्या होगा?

ऐसा कदापि नहीं माना जा सकता कि इसकी जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को ना हो। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि जिला शिक्षा अधिकारी इन आदेशों के पश्चात भी इसी प्रकार आंखें मूंदे रहेगा या इन पर कोई कार्यवाही करेगा।

बड़ा प्रश्न फिर वही है कि जिला शिक्षा अधिकारी यदि इन स्कूलों को बंद कराते हैं तो उन स्कूलों में दाखिला लेने वाले बच्चों का क्या होगा?

गैर मान्यता प्राप्त और अस्थाई मान्यता प्राप्त स्कूलों ने अपने परिणाम घोषित कर दिए है और बच्चों के दाखिले करने भी आरंभ कर दिए हैं। शिक्षा निदेशालय के अनुसार नया सत्र एक अप्रैल से आरंभ होता है। शायद यही कारण है कि इन स्कूलों ने दाखिले समय से पूर्व ही करने आरंभ कर दिए हैं। यदि शिक्षा निदेशालय की इस ओर से कड़े कदम उठाकर उन स्कूलों को बंद कराया तो इन बच्चों का भविष्य क्या होगा?

इन स्थितिओं को देखते हुए हम अभिभावकों को बिन मांगी सलाह देना चाहेंगे कि जब वह किसी स्कूल में अपने बच्चे का दाखिला कराने जाएं तो उस स्कूल वाले से यह अवश्य पता करें कि वह स्कूल मान्यता प्राप्त है या नहीं और है तो किस कक्षा तक। अपने बच्चों के भविष्य के लिए यह जानकारी अवश्य जुटा लें।

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