भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल/बहरोड़। दिल्ली एनसीआर क्षेत्र के कुख्यात बदमाश और कौशल गैंग का मुखिया कौशल को आज हरियाणा पुलिस बहरोड (अलवर) लेकर आई। जहां धोखाधड़ी के एक मामले में कड़ी सुरक्षा के बीच एसीजेएम 1 कोर्ट में पेश किया गया ।

एडवोकेट जितेंद्र शर्मा ने बताया कि कोर्ट ने आरोपी कौशल पर जालसाजी करते हुए फर्जी दस्तावेजों से पासपोर्ट बनाने के आरोप तय किए गए। अब अगली तारीख 1 अप्रैल लगाई गई है । आरोप तय होने के बाद अब न्यायालय में सुनवाई की जाएगी।

हरियाणा पुलिस बख्तरबंद गाड़ी में गुरुग्राम की भोंडसी जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच उसे लेकर बहरोड़ कोर्ट परिसर पहुंची। यहां बहरोड़ डीएसपी आनंदराव भी क्यूआरटी जाब्ते के साथ तैनात रहे। कोर्ट परिसर में लोगों की भीड़ जमा हो गई।

कौशल पुत्र नंदकिशोर गुरुग्राम के गांव नाहरपुर रूपा का रहने वाला है। यह एनसीआर क्षेत्र गुरुग्राम दिल्ली का मुख्य गैंगस्टर है , जो कौशल गैंग के नाम से गैंग चलाता है। यह वर्ष 2017 में फर्जी पासपोर्ट के जरिए भारत छोड़कर दुबई में जाकर छुपा था। इसक पासपोर्ट बहरोड अलवर सर्किल के मांढ़ण थाना इलाके के गांव अड़ींद निवासी नरेश जाट पुत्र राजेंद्र निवासी अड़ींद के नाम से आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र सहित अन्य आवश्यक दस्तावेज तैयार करवाए थे । इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर फर्जी पासपोर्ट बनवाया था।

गुरुग्राम हरियाणा के तत्कालीन क्राइम उपायुक्त अमित कुमार ने कौशल की गिरफ्तारी के बाद अलवर एसपी को रिपोर्ट भेजकर फर्जी पासपोर्ट का मामला 30 जनवरी 2019 में मांढ़ण थाने में दर्ज कराया था। मांढ़ण पुलिस उसे प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार करके भी लाई थी।

फरीदाबाद में जून 2019 में हुए हरियाणा कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश प्रवक्ता विकास चौधरी हत्याकांड में गैंगस्टर कौशल का नाम आया था। एक करोड़ की रंगदारी नहीं देने पर गैंगस्टर कौशल ने अपने गुर्गे विकास उर्फ माले और भोलू से विकास चौधरी की हत्या करवा दी थी। वर्ष 2016 में परोल पर जेल से बाहर आने के बाद से वह फरार हुआ था और दिसंबर 2017 में ही देश छोड़कर दुबई भाग गया था।

कौशल ने फर्जी दस्तावेज के आधार पर मांढ़ण (अलवर) इलाके के गांव अड़ींद निवासी नरेश जाट के नाम पर जयपुर से पासपोर्ट बनवाया था। वर्ष 2019 में गैंगस्टर कौशल को हरियाणा और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए दुबई से गिरफ्तार किया था। नरेश नाम के फर्जी पासपोर्ट पर वह दुबई में 90 दिन का विजिटिंग वीजा लेकर गया था। इस दौरान उसने 2 साल का वर्किंग वीजा बनवा लिया। उसने वहां अपने दोस्त के माध्यम से एक फैक्ट्री में अधिकारियों से सांठगांठ की थी। फैक्ट्री की तरफ से हर महीने उसके अकाउंट में वेतन डाला जाता था। वेतन की राशि निकालकर फैक्ट्री में अधिकारियों को वापस दे देता था। इस तरह वहां स्थानीय प्रशासन की आंखों में धूल झोंकता रहा।

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