डॉक्टर कुलदीप और विष्णु सरपंच ने की झूठी शिकायत देने वाले के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। बीती 17 मार्च को शहर थाना महेंद्रगढ़ में राजस्थान के अधिवक्ता वासुदेव की शिकायत पर दर्ज मुकदमा नम्बर 78 में अपहरण और फिरौती मांगने के आरोप पुलिस जांच में झूठे पाए गए हैं। पुलिस जांच पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने डॉक्टर कुलदीप, विष्णु डाबड सरपंच और महंत रामदास को जमानत पर रिहा कर दिया है। पीड़ितों ने इस सम्बंध में पुलिस अधीक्षक से झूठी शिक़ायत देने पर वासुदेव के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

क्या है मामला:

उल्लेखनीय है कि 17 मार्च को वासुदेव यादव एडवोकेट ने पुलिस को शिकायत देकर आरोप लगाया था 17 जनवरी को जब वह बस का इंतजार कर रहा था तो डॉक्टर कुलदीप, विष्णु सरपंच, महंत रामदास, मनोज कुमार, अभय चितौसा, राजेश व कालू आदि ने उसे महेंद्रगढ़ न्यायालय परिसर के सामने से जबरन गाड़ी में बैठाकर डॉक्टर कुलदीप के घर ले गए और उससे 18 लाख रुपये की फिरौती मांगी और मारपीट कर खाली कागज व परनोट पर दस्तखत करवाये, साथ ही हथियार दिखाकर धमकाया भी।

पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई:

मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए डॉक्टर कुलदीप, विष्णु सरपंच व महंत रामदास को हिरासत में ले लिया। 18 मार्च को न्यायालय से डॉक्टर कुलदीप व विष्णु सरपंच का दो दिन का पुलिस रिमांड लिया गया। नारनौल सीआईए में जांच के दौरान पुलिस ने पाया कि वासुदेव एडवोकेट खुद अपने साथी लालचंद के साथ डॉक्टर कुलदीप के घर गया था और ना तो उससे फिरौती मांगी गई और ना ही हथियार दिखाकर धमकाया गया।

सीआईए की रिपोर्ट पर मिली जमानत:

जिस पर पुलिस ने रिमांड खत्म होने पर न्यायालय को तथ्यों से अवगत करवाया व अपहरण और फिरौती मांगने के आरोप गलत साबित होने की जानकारी दी। जिस पर न्यायालय ने डॉक्टर कुलदीप, विष्णु सरपंच व महंत रामदास को जमानत पर रिहा कर दिया।

झूठी शिकायत देने पर हो कानूनी कार्रवाई:

पीड़ित डॉक्टर कुलदीप ने कहा की उन्हें आरंभ से पुलिस जांच पर पूरा भरोसा था। उसके द्वारा संचालित महाकाल ग्रुप द्वारा सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने के कारण ईर्ष्यावश उसके खिलाफ झूठी शिकायत दी गई थी। उन्होंने झूठी शिकायत देकर पुलिस को गलत परेशान करने व उसे और उसके साथियों को सामाजिक रूप से प्रताड़ित करने पर शिकायतकर्ता वासुदेव एडवोकेट के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग पुलिस अधीक्षक से की है।

सामाजिक प्रतिष्ठा को लगा धक्का:

पीड़ित विष्णु डाबड सरपंच ने कहा कि बीती योजना में वो गांव का सरपंच रहा है और राजनीतिक व्यक्ति है। उसकी प्रतिष्ठा और व्यापार से रंजिश रखते हुए उसके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए थे। लेकिन पुलिस की निष्पक्ष जांच ने साबित कर दिया कि सत्य की ही जीत होती है।

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