-कमलेश भारतीय

संसद चौथे दिन भी ठप्प रही । भाजपा का दवाब है कि राहुल गांधी ने विदेश में जो देश के बारे में कहा और दिश कै छवि धूमिल की , उस पर माफी मागें । इसके साथ ही भाजपा पूरे देश में इसके विरोध में प्रदर्शन भी करने की योजना बना रही है जबकि राहुल गांधी का कहना है कि सरकार अडाणी मुद्दे पर डर गयी है और इससे ध्यान हटाने के लिये यह बहस शुरू की गयी है । यह ध्यान भटकाने का प्रयास है । सरकार और प्रधानमंत्री अडाणी मुद्दा से डरे हुए हैं । मैं लोकसभा अध्यक्ष से मिला कि मुझ पर चार मंत्रियों ने आरोप लगाये हैं तो मेरा हक है कि सदन में अपनी बात रखूं । मुझे नहीं लगता कि बोलने का समय दिया जायेगा । दूसरी ओर रविशंकर प्रसाद कह रहे हैं कि राहुल ने विदेश में भारत के लोगों को अपमानित किया है । बेबुनियाद बातें करना इनकी फितरत है । उनका अहंकार देश से बड़ा नहीं है । इस तरह दोनों तरफ है आरोपबाजी ! राहुल लोकसभा से जनसभा की ओर बढ़ना चाहते हैं जिससे कि अपनी बात रख सकें । राहुल ने यह आरोप भी लगाया था कि उनके फोन में पेगासस है यानी उनके फोन की जासूसी करवाई जा रही है । भाजपा ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया ।

संसद का इस तरह ठप्प रहना लोकतंत्र के हित में नहीं है । चाहे यह भाजपा करती रही या फिर अब कांग्रेस कर रही है । संसद को सबसे बड़ी पंचायत कहा जाता है और वह पंचायत अगर काम ही नहीं करेगी और बात बात पे स्थगित होती रहेगी तो देश के मुद्दों की चर्चा कब हो पायेगी ! यह करोड़ों रुपये का नुकसान है प्रतिदिनऔर बिना किसी वजह से ! इस बहस बहस के खेल में जनता पिस रही है और मुद्दे पीछे छूटते जा रहे हैं । भाजपा सांसद निशिकांत दुबे कह रहे हैं कि लोकसभा राहुल गांधी की सदस्यता समाप्त करने पर विचार करे ! क्यों भाई , साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की बयानबाजी कः समय क्या ऐसा विचार दिया था ? नहीं न ! क्या विरोध की आवाज सुनने को तैयार नहीं ? विरोध की आवाज खत्म तो लोकतंत्र कहां ? लोकतंत्र की यही खूबसूरती है कि विरोध को भी सुना जाता है । यह परंपरा बनी रहने दीजिए । इससे आने वाले समय में भी समरसता , सद्भाव बना रहेगा । कौन जीता , कौन हारा यह कहानी फिर सही । फिलहाल तो संसद चलने दीजिए ।

-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

error: Content is protected !!