भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। गुरुग्राम में नगर निगम चुनाव की चर्चा बहुत जोरों पर है। निगम चुनाव के बारे में भारत सारथी ने विधायक सुधीर सिंगला जी से बात की तो विधायक ने बताया कि एडहॉक कमेटी की रिपोर्ट गुरुग्राम से चंडीगढ़ भेजी जा चुकी है और चंडीगढ़ से जब वहां की स्वीकृति आ जाएगी तो उसके पश्चात 30 दिन का समय होगा, जिसमें आपत्तियां मांगी जाएंगी। और उसके पश्चात 21 दिन चुनाव प्रक्रिया में लगेंगे। अत: दो माह के अंदर-अंदर चुनाव हो जाएंगे। इस पर भारत सारथी ने पूछा कि आपने कहा था कि आपके 14 व्यक्ति पार्षद का चुनाव लडऩे के लिए तैयार हैं। इस पर उनसे सवाल पूछा गया कि क्या टिकट का वितरण आप ही कर देंगे? हमारी जानकारी के अनुसार टिकट वितरण में मुख्यमंत्री, प्रदेश अध्यक्ष, संसदीय चुनाव समिति की अध्यक्ष सुधा यादव और हो सकता है कि कुछ केंद्रीय मंत्री का भी हाथ हो? इस पर उनका उत्तर था कि ये स्थानीय निगम के चुनाव हैं, इनमें उनका कोई काम नहीं है। इस पूछा कि जिला अध्यक्ष का भी काम है या नहीं? तो उन्होंने कहा कि जिला अध्यक्ष सर्वेसर्वा है और मैंने यह बात इसीलिए कही है। इस पर मन में विचार आया कि सारे निगम क्षेत्र में इसकी बड़ी चर्चा है और चुनाव लडऩे के इच्छुक बड़े-बड़े नेताओं से संपर्क भी बना रहे हैं। दूसरी ओर प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने प्रदेश के स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता को गुरुग्राम का प्रभारी बनाया हुआ है और उनके साथ उप प्रभारी भी बनाए हुए हैं। तो क्या ये सभी नियुक्तियां केवल दिखावे के लिए की गई हैं? या टिकट वितरण के लिए ही ये नियुक्तियां की गई हैं। आप भी सोचिए क्या विधायक जी की बात उचित है? हरियाणा सरकार के बारे में यह प्रचलित है कि मुख्यमंत्री अपने प्रदेश के हर प्रकार के कार्यों पर नजर रखते हैं और उनसे कुछ छुपा नहीं रहता तथा हर मामले में वह अपनी राय जरूर प्रस्तुत करते हैं और उनकी राय को अब आदेश ही समझा जाता है। जब 2017 में निगम चुनाव हुए थे तो मुख्यमंत्री स्वयं आकर कई वार्डों में चुनाव प्रचार करके गए थे। तो क्या यह समझा जाए कि मुख्यमंत्री का चरित्र बदल गया है या भाजपा के नियम बदल गए हैं? भाजपा अनुशासनबद्ध पार्टी कही जाती है और पार्टी अध्यक्ष पार्टी की सभी गतिविधियों पर नजर भी रखता है और पार्टी को उचित तरीके से चलाने के लिए सभी कार्यकर्ताओं को निर्देश भी देता है। और जो पार्टी के अनुशासन को भंग करता है, उसे पार्टी से निष्कासित करने का अधिकार भी रखता है। और सभी जिला अध्यक्षों की नियुक्ति प्रदेश अध्यक्ष ही करते हैं तो जब प्रदेश अध्यक्ष ही जिला अध्यक्ष की नियुक्ति करते हैं और उसे कार्य करने के लिए निर्देश देते हैं तो यह कैसे माना जाए कि प्रदेश अध्यक्ष का इसमें दखल नहीं होगा। हमने विधायक से पूछा था कि अपने उन लोगों के नाम बता दें, जिन्हें आप टिकट दिलाएंगे तो उन्होंने इस पर सीधा-सीधा इंकार कर दिया। Post navigation मातृभूमि के लिए कुर्बानी के प्रतीक हैं महाराणा प्रताप-सतीश यादव बॉलीवुड अभिनेता सतीश कौशिक की मौत में नया ट्विस्ट