आराधना को यूएस चैप्टर ऑफ आईसीएआई की पहली महिला चेेयरमैन बनने का भी गौरव हासिल
अमेरिका में युनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया में डायरेक्टर ऑफ फायनेन्स के पद पर पर रह चुकी है आराधना अग्रवाल

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। हरियाणा के जिला महेन्द्रगढ के छोटे से कस्वे नारनौल के निवासियों ने कभी सोचा भी नहीं था कि साधारण सी दिखने वाली आराधना असाधारण प्रतिभा दिखाते हुए अपने कस्बे एवं देश का नाम अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर रोशन करेगी।

नारनौल निवासी साधारण अध्यापक शिवचरण गोयल के घर जन्म लेने वाली आराधना अग्रवाल भाई बहनों में सबसे छोटी थी। अध्यापक माता-पिता का सपना बेटी को उच्च शिक्षा प्रदान कर उच्च मुकाम तक पहुॅंचाना था। मगर आर्थिक तंगी के कारण आराधना का दाखिला नारनौल के सरकारी स्कूल में ही करवाना पडा।

धार्मिक और रूढीवादी परिवार से लाल्लुक रखने वाली आराधना ने हाई स्कूल तक की पढाई नारनौल स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विधालय नारनौल से पास की। इसके बाद उन्होने बी0 कॉम डिग्री राजकीय महिला महाविधालय नारनौल से प्राप्त की।

आम लडकियों से हटकर महिलाओं की सशक्त बनाना था लक्ष्य

होनहार बिरबान के होत चिकने पात की कहावत को चरितार्थ करती हुई आराधना शुरू से ही मेधावी थी एवं अपनी कक्षा में हमेशा प्रथम आती थी। आराधना स्कूल-कालेज में पढाई करते हुए भी भू्रण हत्या का विरोध एवं सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन पर भाषणों के माध्यम से अपनी जंग लडती रहती थी । उन्हे भाषण प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर अनेको बार पुरस्कृत किया गया।

लेकिन आराधना का लक्ष्य तो आम लडकियों से हटकर कुछ नया करने का था। दृढ निश्चयी मन ने उन्हे चैन से नहीं बैठने दिया। आर्थिक तंगी एवं विपरित हालातों के चलते आराधना ने लर्न विद अर्न को अपनाकर बच्चों को टयूशन पढाते हुए अपनी पढाई जारी रखी। इसके बाद कॉमर्स में मास्टर डिग्री महर्षि दयानन्द विश्वविधालय के रिजनल सैन्टर रेवाडी से से प्राप्त की। इसके बाद उन्होने सीए कोर्स में दाखिला लिया और नई दिल्ली में छोटी सी कम्पनी में काम सीखना शुरू किया। इसके अलावा इन्होने नारनौल में एक निजी स्कूल में एकाउन्टिंग पढाना भी षुरू किया।  1999 में आराधना र्चार्टड एकाउन्टेन्टस की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली जिला महेन्द्रगढ की पहली महिला थी। वे 1999 में आईसीएआई की सदस्य बनी एवं इसके बाद अमेरिका चली गई।

ये है उपलब्धियां 

आराधना मुश्किलों को झेलते हुए जिस मुकाम पर पहुॅंची वह किसी के लिए एक सपने से कम नहीं है। उनकी उपलब्धियों पर उन्हे कभी वूमैन ऑफ टॉप, हरियाणा में पली अमेरिका में धौंस, हरियाणवी छोरी का अमेरिका में जलवा, आराधना ने अमेरिका में लहराया है परचम, जैसे शीर्षक हिन्दी एवं अग्रेंजी अखबारों की सुर्खिया बने रहे। 

नारनौल में लडकियों को उच्च शिक्षा तो दूर, शिक्षा के लिए भी उनके माता-पिता मुश्किल से भेजते थे, उस समय आराधना र्चार्टड एकाउन्टेन्टस की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली हरियाणा में सबसे पिछडे कहे जाने वाले जिला महेन्द्रगढ की पहली महिला थी जो क्षेत्र की लडकियों के लिए प्रेरणा बनी।

आराधना ने अमेरिका में पहले ही प्रयास में पब्लिक एकाउन्टेसीं का सर्टीफिकेट प्राप्त किया। आराधना हमेशा से ही उॅंचे सपने देखा करती थी। अपनी योग्यता के बल पर आराधना अमेरिका स्थित युनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया में डायरेक्टर ऑफ फायनेन्स बनी।  वे यह पद प्राप्त करने वाली पहली भारतीय के साथ-साथ पहली महिला थी। इन पदों का निर्वहन करते हुए आराधना ने विश्वविख्यात वार्टन स्कूल ऑफ मैनेजमैन्ट से प्रबन्धन में मास्टर की शिक्षा प्राप्त की। इतना हीं नहीं आराधना यूएस चैप्टर ऑफ आईसीएआई की पहली महिला चेेयरमैन बनने का भी गौरव हासिल है। इतना ही नहीं वर्ष 2011 में अमेरिका स्थित वैटनरी मैनेजमैन्ट ग्रुप की फॉयनेन्स कमेटी की चेयरपर्सन चुनी गई। अमेरिका का न0 1 न्यूज चैनल एबीसी टेलीविजन फायनेन्सियल एक्सपर्ट के तौर पर आराधना अग्रवाल के डिबेट व अन्य कार्यक्रम प्रसारित करता रहता है।

माता-पिता के आर्शीवाद से मिली सफलता

आराधना अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देती है। उनका कहना है कि उनके माता-पिता की दूर दृष्टि, प्रेरणा एवं सहयोग से ही वे यह मुकाम हासिल कर पाई है। उनका कहना है कि उनके माता-पिता ने उन्हे अवसर न दिया होता तो वे अपने आप को कभी साबित नहीं कर पाती। सालों साल की मेहनत और चुनौतियों को लेकर आराधना कहती है कि सफलता सिर्फ विजन और परेशानियों से तत्काल निजात पाने की क्षमता पर निर्भर करता है। यह सामान्य चीजों से असामान्य सफलता का प्रतीक है।

काम करने की चाह

आराधना चाहती है कि महिलाओं को समाज में उचित स्थान मिले तथा महिलाएं भी पुरूषों के साथ कधें से कधां मिलाकर चले। वे चाहती है कि महिलाओं को उनके अधिकार मिलें। उनका सपना लडकियों को शिक्षित करना, कन्या भ्रूण हत्या रोकना, एवं बेटी बचाओ – बेटी पढाओ को वास्तविक रूप में सार्थक बनाना है। उन्होने लडकियां एवं महिलाओं को आहवान करते हुए कहा कि अपनी सोच को ऊंचा रखिये तथा मंजिल को प्राप्त करने के लिए लगातार मेहनत करें। अगर हमने ऐसा कर लिया तो निश्चित तौर पर हमें मजिंल मिलेगी।

आज जिला महेन्द्रगढ की काफी लडकियॉं एवं महिलाएं आराधना अग्रवाल को अपना आदर्श मानकर उच्च श्क्षिा ग्रहण कर उच्च पदों पर विराजमान है।

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