गुरुग्राम, 06 मार्च। श्री माता शीतला देवी श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ के अध्यक्ष पंडित अमरचंद भारद्वाज ने बताया कि हिंदू धर्म में होलिका दहन का खास महत्व है कहा जाता है हिरण्यकशिपु की बडे बेटे प्रह्लाद भगवान विष्णु के परम भक्त थे पिता हिरण्यकशिपु के लाख मना करने के बाद भी प्रह्लाद विष्णु की भक्ति करना बंद नहीं किए राक्षस का बेटा होने के बाद भी नारद मुनि ने प्रह्लाद को पढ़ाया जिसके बाद वह महान नारायण भक्त बने । असुराधिपति हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को मारने के लिए कई बार कोशिश की लेकिन भगवान नारायण स्वयं उनकी रक्षा करते रहे । इतना ही नहीं हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका द्वारा प्रह्लाद को मारने के लिए बुलाया क्योंकि होलिका के पास भगवान शंकर की ऐसी चादर थी जिसे ओढ़ने पर अग्नि उसे जला नहीं सकती थी होलिका उस चादर को ओडकर प्रह्लाद को लेकर बैठ गई प्रह्लाद पर भगवान विष्णु की कृपा हुई कि वह चादर होलिका से उड़कर भक्त प्रह्लाद के ऊपर आ गई विष्णु भक्त प्रह्लाद जिन्दा बच गए होलिका अग्नि में जलकर स्वाहा हो गई , होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की शुभ बेला में करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है ऐसी भी मान्यता है कि होलिका में सर्वप्रथम अग्नि उसी व्यक्ति को जलानी चाहिए जो पुरोहित हो अथवा जिनके माता-पिता अब इस दुनिया से विदा हो चुके हैं वैसे इसमें क्षेत्रीय परंपराओं का अपना अलग-अलग मत और महत्व होता है इस वर्ष 2023 में फाल्गुन पूर्णिमा 7 मार्च 2023 मंगलवार को होने की वजह से होलिका दहन शुभ मुहूर्त सायं करीब 6:24 से शुरू हो रहा है रात 8:51 के बीच समय होलिका दहन के लिए बेहद शुभ है । होलिका पूजन एवं दहन कष्टों से मुक्ति पाने के लिए अत्यंत ही महत्वपूर्ण है दोपहर में होलिका दहन स्थल को पवित्र जल से शुद्ध करने के साथ उसमें लकड़ी, छेद वाले सूखे उपले, छेद वाली गोबर की गूलरी और सूखे काटें डालें । शाम के समय पूजन करें , होलिका के पास और किसी मंदिर में दीपक जलाएं होलिका में कपूर भी डालें ताकि चलते समय कपूर की धुँआ वातावरण को शुद्ध कर सके , शुद्ध जल सहित अन्य पूजा सामग्रियों को एक-एक कर होलिका को अर्पित करें । होलका दहन के समय परिवार के सभी सदस्यों को होलिका की तीन अथवा सात बार परिक्रमा करें इसके बाद घर से लाए हुए जौ, , गेहूँ, चने की बालों को होली की ज्वाला में डाल दें होली की अग्नि और भस्म लेकर घर आएं घर में पूजा स्थल पर रखें । इस अनुष्ठान से सर्वसिद्धि योग की प्राप्ति होगी । पंडित अमर चन्द भारद्वाज ने कहा कि सुख समृद्धि और उन्नति के लिए श्रद्धालु होलिका की पूजा करते हैं कहते हैं होलिका मन की बुरी नहीं थी लेकिन अपने भाई हिरण्यकशिपु के प्रभाव की वजह से प्रह्लाद को चिता पर लेकर बैठ गई थी ताकि प्रह्लाद अग्नि में जलकर परलोक चला जाए लेकिन देवयोग से होलिका स्वयं जलकर मृत्यु को प्राप्त हो गई । लेकिन ब्रह्मा जी की कृपा से होलिका को भी पूज्यनीय स्थान प्राप्त हो गया और होलिका दहन के लिए इकट्ठी की गई लकड़ियों के बीच होलिका, भगवान विष्णु और अग्नि देव की पूजा की जाती है इसके बाद होली का उत्सव मनाया जाता है । Post navigation गुरुग्राम में जौ उत्पादक दिवस” के चौथे संस्करण पर आयोजित किसान मीट को कृषि मंत्री ने किया संबोधित समर्थनम ट्रस्ट दिव्यांग विद्यार्थियों को बना रहा है सशक्त: डा. सुधा यादव