-मालाबार चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से कार्यक्रम में कही यह बात

गुरुग्राम। गुरुग्राम के विधायक सुधीर सिंगला की धर्मपत्नी सुनीता सिंगला ने मालाबार चैरिटेबल ट्रस्ट संस्थान द्वारा आयोजित मेधावी बच्चों को स्कॉलरशिप प्रदान करने के कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। इस दौरान उनके साथ पूर्व डिप्टी मेयर परमिंदर कटारिया, जुगल रैना, रणवीर यादव, पवन, साफा, पुष्पेन्द्र, एसएम भारद्वाज, ईश्वर सिंह, तेज पाल, अनिल शर्मा, सुभाष कटारिया, नरेंद्र कटारिया, कोमल भटनागर, गीता देवी, ममता शर्मा, सुदेश कटारिया, रतन यादव आदि मौजूद रहे।

अपने संबोधन में सुनीता सिंगला ने बच्चों को शिक्षित होकर समाज में अपनी एक अहम भूमिका बनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के बिना व्यक्ति का जीवन शून्य है। महिलाओं को उन्होंने सामाजिक, आर्थिक, मानसिक रूप से मजबूत होने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि महिलाएं देश-दुनिया में हर क्षेत्र में अपना श्रेष्ठ योगदान दे रही हैं। इस बात को नकारा नहीं जा सकता की आज के समाज में महिलाओं का योगदान पुरुषों के बराबर रहा है बल्कि वे पुरुषों से भी आगे निकल गयी हैं। शिक्षा के क्षेत्र से लेकर हेल्थ सेक्टर और ऐसे ही कई क्षेत्रों में जिसकी कल्पना पहले की सामाजिक स्थिति में करना नामुमकिन सा था, उन सभी क्षेत्रों में महिलाओं का विशेष योगदान रहा है। दुख की बात है कि अभी भी समाज में कुछ ऐसे लोग हैं, जिन्हें महिलायें सिर्फ घर की चार दीवारी में ही अच्छी लगती हैं। अभी भी भारत ही नहीं, बल्कि विकासशील देशों में महिलाओं की स्थिति में कोई सुधार नहीं आया है।

उन्होंने कहा कि समाज में फैली कुरूतियों का सबसे अधिक प्रभाव यदि किसी पर पड़ा है तो वह महिलाएं ही हैं। सभी देशों में महिलाओं की स्थिति विचार करने योग्य है। 21वीं शताब्दी में भी आजकल महिलाएं अपने अधिकारों से वंचित हैं। महिलाओं द्वारा अपने अधिकारों के लिए कई प्रयास कई सदियों से किये जा रहे हैं और आज भी वे अपने मूलभूत अधिकारों के लिए लड़ रही हैं। भारत एक ऐसा देश है, जहां शुरू से ही पुरुष का वर्चस्व रहा है। महिलाओं के वजूद को दरकिनार पहले से ही किया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि यह देखा गया है कि महिलाओं को वो सम्मान नहीं प्राप्त हुआ है, जिनकी वो हकदार रही हैं। वह सभी प्रथाएं जो महिलाओं के अधिकारों को कुचल रही हैं। उनमें समय के साथ साथ कुछ परिवर्तन किये तो गए हैं, पर जमीनी तौर पर उन पर कार्य नहीं किया जाता है।

सुनीता सिंगला ने कहा कि शिक्षा के अधिकार से अभी भी न जाने कितनी ही बालिकाएं कोषों दूर हैं। बालिकाओं को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है या उन्हें बेच दिया जाता है। उन्हें बोझ समझा जाता है, जो कि अभी भी समाज में चल रहा है।

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