भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। आज शहर के आजाद चौक में दो अलग-अलग कार्यक्रमों में चंद्रशेखर आजाद को पुष्पांजलि अर्पित कर उनको याद किया गया।

पहले कार्यक्रम में “मैं आजाद हूं- मै आजाद ही रहूंगा” के प्रणेता महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के बलिदान दिवस पर ऐतिहासिक आजाद चौक में प्रतिमा पर पुष्पांजलि कार्यक्रम आजाद चौक युवा संगठन के तत्वाधान में आयोजित किया गया। इस अवसर पर आजाद चौक युवा संगठन के पदाधिकारियों और गणमान्य नागरिकों द्वारा संयुक्त रुप से पुष्पांजलि अर्पित की गई।

संगठन के प्रधान लोकेश शर्मा ने कहा चंद्रशेखर आजाद भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान स्वतंत्रता सेनानी थे| उनके देश भक्ति के संदेश युवा पीढ़ी को हमेशा प्रेरित करते रहेंगे। उन्होंने कहा चंद्रशेखर आजाद का बलिदान देश के इतिहास में हमेशा अजर अमर रहेगा| चंद्रशेखर आजाद 14 वर्ष की आयु में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़े गए थे ।

संगठन के संरक्षक विजय जिंदल ने कहा “मैं आजाद हूं आजाद रहूंगा” के प्रणेता चंद्रशेखर आजाद का बलिदान देश के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेंगा| चंद्रशेखर आजाद को गिरफ्तारी के बाद 14 कोड़ो की सजा सुनाई जिसमें हर कुड़े की सजा पर “वंदे मातरम”और गांधीजी की जय का स्वर बुलंद किया । चंद्रशेखर आजाद ने आखिरी समय में उन्होंने अपना नारा “आजाद हूँ – आजाद ही रहेंगे” अर्ताथ न पकड़े जाएंगे न ही ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दें सकेगी को याद किया| इस तरह उन्होंने पिस्तौल की आखरी गोली खुद को मार ली और मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी।

हम आजाद भारत में जी रहे हैं,वह कई देश भक्तों की देशभक्ति और त्याग की बेदी से सजी हुई है । उन्होंने कहा भारत में ऐसे भी काफी देशभक्त थे,जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही देश के लिए अतुलनीय त्याग और बलिदान देकर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में अंकित करवाया, इन्हीं देशभक्तों में चंद्रशेखर आजाद थे। इस अवसर पर भगत सिंह सैनी, मोहित जिंदल, मुकेश जैन, हर्ष तनेजा, बाल किशन सैनी, हेमंत आहूजा, प्रिंस अरोड़ा, हर्ष सैनी, हिमांशु सोनी, राजकुमार चौधरी कार्यकारिणी के सदस्य और विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारीगण विशेष रुप से उपस्थित थे।

एक अन्य कार्यक्रम में दिनेश कुमार उर्फ पालाराम ने अपने साथियों के साथ जाकर शहीद चंद्रशेखर आजाद को पुष्पांजलि अर्पित कर अपने साथियों के साथ नमन किया।

दिनेश कुमार उर्फ पालाराम ने आजाद के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनका जन्म 23 जुलाई 1906 में हुआ था और उनकी मृत्यु 27 फरवरी 1931 में प्रयागराज में हुई थी । आज भी प्रयागराज में उनके नाम से पार्क बना हुआ है ,उनके पूर्वज ग्राम बद्रका का वर्तमान उन्नाव जिला बांसवाड़ा से थे। आजाद के पिता पंडित सीताराम तिवारी अकाल के समय अपने पैतृक निवास बद्रका को छोड़कर पहले कुछ दिनों मध्य प्रदेश अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते थे। फिर जाकर भंवरा गांव में बस गये। यही बालक चंद्रशेखर का बचपन बीता।

चंद्रशेखर आजाद के जीवन में हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें अपने देश की रक्षा के लिए बलिदान देने के लिए सदा तैयार रहना चाहिए। हमें किसी भी स्थिति में घबराना नहीं चाहिए तथा वीरता और सांस के साथ हर संकट का सामना करना चाहिए। आज उनके बलिदान दिवस पर नारनौल के युवा साथी उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने हर्षित, राहुल, अंशुल, अभिनंदन, निखिल, शंकर, निशांत, मोहित, सुभम, कमल, प्रिंस, सचिन, रवि, हर्ष आदि आजाद चौक पर पहुंचे।

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