नारनौल , अटेली या कोसली कहां से मैदान में उतरेगी आरती राव?
26 फरवरी को युवा नेता आरती का जिला महेंद्रगढ़ के रामबांस में तीसरा कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित
अटेली के बाद रामपुरा हाउस की मुफीद सीट जाटुसाना (कोसली)
 ‘भाग्यशाली’ सीट से मैदान में उतरेगी आरती राव ?
क्या भाजपा की टिकट पर होगी राजनीति में एंट्री या कुछ नया करेंगे राव राजा

अशोक कुमार कौशिक 

नारनौल। फरवरी माह का अंतिम सप्ताह जिले की सियासी सरगर्मियां बढ़ा रहा है। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव की जिले में सक्रियता ने भाजपा विधायकों के साथ-साथ अन्य पार्टियों से भी चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं के बीच खलबली मचा दी है। पहले नांगल चौधरी हलके के गांव नायन, फिर नारनौल और अब अटेली हलका के गांव रामबास में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित कर आरती राव ने अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। नायन सम्मेलन में उन्होंने यह कहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी कि चाहे पार्टी टिकट दे या न दे।

रामपुरा हाउस के ‘राव राजा’ दशकों से दक्षिणी हरियाणा की राजनीति का केंद्र बिंदु बने रहे है। जब भी रामपुरा में कार्यकर्ताओं की भीड़ एकत्रित होती है, तो राजनीति की भावी और प्रभावी रणनीति के संकेत होते है। अहीरवाल के क्षत्रप केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने 11 फरवरी को अपने जीवन के 72 वर्ष पूरे कर लिए। अपने जन्मदिवस पर राव राजा ने कार्यकर्ताओं का मन टटोला। 26 फरवरी को युवा नेता आरती जिला महेंद्रगढ़ के कनीना क्षेत्र के गांव रामबांस में तीसरा कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करेंगी।

लोकसभा चुनाव करीब आ रहे हैं। सक्रिय राजनीति से ‘संन्यास’ से पहले बेटी आरती को विधानसभा या लोकसभा में भेजना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती है। 

यह परंपरा कोई नई नहीं है। इससे पूर्व दिवंगत अहीर राजा राव बिरेंद्र सिंह ने सक्रिय राजनीति में रहते हुए वर्ष 1977 में अपने बड़े बेटे राव इंद्रजीत सिंह को राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में जाटूसाना हलके से विधायक बनाने का कार्य कर दिया था। वर्ष 1996 में राव बिरेंद्र सिंह सक्रिय राजनीति से अलग हो गए थे। जिला महेंद्रगढ़ के नारनौल के बाद विगत दिनों कोसली विधानसभा क्षेत्र के लगभग डेढ़ दर्जन गांवों में दौरा कर, राव की बेटी आरती ने इस क्षेत्र की राजनीति में नई चर्चाओं को जन्म दिया है। अटेली और नारनौल के बाद यहां भी आरती राव का जिस तरह से स्वागत हुआ, उससे यह साफ हो चुका है कि क्षेत्र की राजनीति का हस्तांतरण एक पीढ़ी आगे बढ़ रहा है।

इस दौरान राव बिरेंद्र सिंह केंद्र और इंद्रजीत प्रदेश की राजनीति में आगे बढ़ते रहे। जब तक राजा राव बिरेंद्र सिंह सक्रिय राजनीति से अलग हुए तब तक इंद्रजीत राजनीति के मैदान में पूरी तरह परिपक्व हो चुके थे। राजनीतिक विरासत के हस्तांतरण में जिस तरह से राव बिरेंद्र सिंह कुशलतापूर्वक अपना काम कर गए थे, ठीक वैसी ही उम्मीद चेहते भक्त राव इंद्रजीत सिंह से लगाए हुए हैं।

– आने वाला लोकसभा चुनाव सक्रिय राजनीति से विदाई या लड़ाई?

राव राजा इंद्रजीत सिंह के लिए आगामी निर्णायक चुनाव होगा। भाजपा में उम्र की सीमा को देखते हुए उनके अगले लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर भले ही संशय की स्थिति पैदा की हो, परंतु राव गत वर्ष 23 सितंबर को पटौदा रैली में यह स्पष्ट कर चुके हैं कि वह पूरी तरह फिट हैं। वह एक लोकसभा चुनाव और लड़ने के लिए तैयार हैं। वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा नहीं दिखाई देता कि भाजपा उनको फिर से मैदान में उतारेगी। साथ ही उनका बेटी आरती राव को आने वाले चुनावों में हर हाल में विधानसभा या लोकसभा में भेजना जरूरी हो चुका है। पिछले विधानसभा चुनावों में रेवाड़ी सीट से आरती राव की टिकट को भाजपा की ‘ना’ ने राव का सपना पूर पांच साल पीछे धकेल दिया था।

– एक साथ टिकट की राह नहीं आसान

भाजपा में रहते हुए राव और उनकी ‘लाडली’ आरती दोनों के एक साथ टिकट की राह आसान नहीं है। दोनों के लिए आने वाले चुनावों में खड़े होना लाजमी है। अहीरवाल में राव की मजबूत पकड़ से भाजपा हाईकमान अच्छी तरह से वाकिफ है। आगामी चुनावों में अहीरवाल में पिछला प्रदर्शन दोहराने के लिए पार्टी के लिए राव का साथ जरूरी है। इस क्षेत्र में राव की नाराजगी पार्टी का खेल बिगाड़ने का काम कर सकती है। क्षेत्र की कई सीटों पर राव नाराजगी की स्थिति में भाजपा का खेल बिगाड़ सकते हैं। 

– क्या पिता की राजनीति शुरुआत सीट से मैदान में उतरेगी आरती राव ?

अतीत से ‘रामपुरा हाउस’ के लिए अटेली के बाद दूसरी चहेती सीट जाटूसना रही है जो अब कोसली और अटेली का नए परिसीमन के बाद हिस्सा है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में जाटूसाना हलके के ही गांव हैं। 

पूर्व सीएम और अहीरवाल के दिवंगत राजा राव बिरेंद्र सिंह की राजनीतिक विरासत में जाटूसाना व अटेली हल्का सबसे मजबूत किला बना रहा। उनके सक्रिय राजनीति से अलग होने से पहले ही राव इंद्रजीत सिंह ने रामपुरा हाउस के मजबूत किले को और अधिक मजबूती प्रदान करने का काम किया। वर्ष 1977 में राजनीति में पूरी तरह एक्टिव होते हुए बडे राव राजा ने राव इंद्रजीत सिंह ने जिस जाटूसाना विधानसभा क्षेत्र के रास्ते विधानसभा की दहलीज पर कदम रखा था‌। 

खुद केंद्र की राजनीति में प्रवेश करने के बाद राव ने अपने छोटे भाई राव यादुवेंद्र सिंह को वर्ष 2005 के विधानसभा चुनावों में जाटूसाना के रास्ते चंडीगढ़ पहुंचाने का काम किया था। वर्ष 2009 के विधानसभा चुनावों से पहले जाटूसाना की जगह कोसली नया हलका बन गया था। इन चुनावों में एक बार फिर रामपुरा हाउस समर्थकों ने राव यादुवेंद्र सिंह को विधानसभा में भेजने का काम किया था।

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को अलविदा करने के साथ ही राव इंद्रजीत सिंह और उनके भाई राव यादुवेंद्र सिंह के राजनीतिक रास्ते बदल चुके थे। राव यादवेंद्र सिंह ने अपने भाई का साथ छोड़कर भूपेंद्र सिंह हुड्डा का दामन थाम लिया।

भाजपा में आने के बाद कोसली हलके से राव इंद्रजीत सिंह ने बिक्रम ठेकेदार को न सिर्फ पार्टी की टिकट दिलाई, बल्कि उन्हें विधानसभा में भेजने के लिए भाई को हार का रास्ता दिखा दिया था। इस चुनाव रामपुरा हाउस समर्थक दो भाग हो गए थे। इसके बाद दोनों भाइयों के बीच राजनीतिक मतभेद भी पैदा हो गए थे। दो बार विधायक बनने के बावजूद यादुवेंद्र इस क्षेत्र में मजबूत पैठ स्थापित करने में नाकाम रहे। इसके बाद वह पूर्व सीएम चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमे में शामिल हो गए।

– आक्रामक दौरों ने बढ़ाई बेचैनी

हालांकि विधानसभा चुनावों में अभी 1 साल से ज्यादा का समय बाकी है, लेकिन महेन्द्रगढ़ में आरती जनता के बीच जाकर उनका मन टटोल रही है, अपनी पैठ बना रही हैं। जिसको देख कर उनके जिले के किसी हलके से चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर हैं।

खास बात यह है कि आरती राव ये सभी कार्यकर्ता सम्मेलन पिता राव इंद्रजीत सिंह के बिना आयोजित कर रही हैं, जिसमें जुट रही भारी भीड़ विपक्ष की बैचेनी बढ़ाने के लिए काफी है। यही वजह है कि उनको टक्कर देने के लिए अब विपक्षी दल विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

26 फरवरी को युवा नेता आरती जिले में तीसरा कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करेंगी। यह सम्मेलन अटेली हलके के कनीना क्षेत्र में हो रहा है। अटेली से आरती के दादा राव बीरेंद्र सिंह व उनकी बहन भी चुनाव जीत चुके हैं। पहले नांगल चौधरी हलके के गांव नायन, फिर नारनौल और अब अटेली हलका के गांव रामबास में कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित कर आरती राव ने अपनी सक्रियता और बढ़ा दी है। नायन सम्मेलन में उन्होंने यह कहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी कि चाहे पार्टी टिकट दे या न दे।

हालांकि विधानसभा चुनावों में अभी 1 साल से ज्यादा का समय बाकी है, लेकिन महेन्द्रगढ़ में आरती जनता के बीच जाकर उनका मन टटोल रही है, अपनी पैठ बना रही हैं। जिसको देख कर उनके जिले के किसी हलके से चुनाव लड़ने की चर्चाएं जोरों पर हैं।

खास बात यह है कि आरती राव ये सभी कार्यकर्ता सम्मेलन पिता राव इंद्रजीत सिंह के बिना आयोजित कर रही हैं, जिसमें जुट रही भारी भीड़ विपक्ष की बैचेनी बढ़ाने के लिए काफी है। यही वजह है कि उनको टक्कर देने के लिए अब विपक्षी दल विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं।

26 को करेंगी जिले में तीसरा सम्मेलन

26 फरवरी को युवा नेता आरती जिले में तीसरा कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करेंगी। यह सम्मेलन अटेली हलके के कनीना क्षेत्र में हो रहा है। अटेली से आरती के दादा राव बीरेंद्र सिंह व उनकी बहन भी चुनाव जीत चुके हैं।

आरती ने जिस तरह से विगत दिनों एक के बाद एक कई गांवों में दौरे किए, इससे उनकी कोसली क्षेत्र में आक्रामक सक्रियता सामने आई है। विधानसभा में प्रवेश करने के लिए पिता की तर्ज पर वह इस क्षेत्र को प्राथमिक आधार बनाने की रणनीति पर काम करने के संकेत दे रही हैं। उनका इस क्षेत्र में एक्टिव होना उनके चाचा के लिए तो परेशानी बढ़ाने वाला हो ही सकता है, साथ ही मौजूदा विधायक लक्ष्मण सिंह यादव के लिए भी यह खतरे की घंटी से कम नहीं माना जा सकता। लक्ष्मण सिंह यादव को विधायक बनाने में राव ने उनका खुलकर साथ दिया था। इसके बाद लक्ष्मण सिंह ने इस क्षेत्र को सुरक्षित बनाने के लिए जमीनी स्तर पर मजबूत जनाधार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

– कार्यकर्ताओं में नजर आया पूरा जोश

आरती के कोसली हलके के गांवों में दौरों को लेकर ज्यादा प्रचार नहीं किया गया था। दौरों का कार्यक्रम भी अचानक ही फाइनल किया गया था। उनकी सभाओं में जिस तरह से राव समर्थकों ने जोश और उत्साह दिखाया, उससे यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि आरती को विधानसभा में पहुंचाने के लिए क्षेत्र के राव समर्थक पूरी ताकत झोंकने के लिए तैयार हैं। राव के लिए अपने इस पुराने और मजबूत किले को आरती के नाम करने में ज्यादा परेशानी नहीं आएगी। देखना यह होगा कि आने वाले समय में इस क्षेत्र की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठने वाला है।

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