गुरुग्राम। प्रसिद्ध कथाकार एवं उपभोक्ता अदालत के अर्द्ध-न्यायिक प्राधिकारी मुकेश शर्मा ने कहा है कि मनुष्य ने धरती से चाँद तक का सब कुछ सीख लिया, लेकिन वह अपने जीवन को ढ़ंग से जीना नहीं सीख पाया।वे यहां साउथ सिटी टू स्थित पैशियो क्लब में स्वर लहरी मंच के तत्वावधान में लेखिका सविता स्याल के लघुकथा संग्रह ‘ताश का घर’ पर केंद्रित परिचर्चा समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाज सेविका डॉ नलिनी भार्गव ने की, जबकि प्रसिद्ध कथाकार मुकेश शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्रम में प्रसिद्ध लेखिका सविता चड्ढा, हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक डॉ मुक्ता और रेडियो निदेशक मुकेश गम्भीर विशेष अतिथियों के रूप में शामिल हुए। इस अवसर पर मुख्य अतिथि मुकेश शर्मा ने कहा कि सोशल मीडिया में लेखन के नाम पर परोसे जा रहे मैटर को मद्देनजर रखते हुए अब कलमकारों को ‘न लिखना’ सीखना चाहिए। उन्हें यह पता होना चाहिए कि कब लिखना सार्थक होता है और कब लेखन के नाम पर रस्म अदायगी मात्र होता है।हर छोटी, मोटी बात पर कथित लेखन इसे उबाऊ बना देता है। उन्होंने कहा कि आज लेखकों के सामने फेसबुक, यूट्यूब, गूगल आदि जैसी बड़ी चुनौतियां हैं। ऐसे में लेखक अपनी किताब को तभी छपवायें,जब उनके पास कहने के लिए कोई नयी बात हो। कोई ऐसा मैटर हो कि जिसका पुस्तक रूप में छपना बहुत ज़रूरी हो। कागज़ों के ढ़ेर मात्र और अच्छी किताब के बीच के फर्क को समझना होगा। कार्यक्रम की विशेष अतिथि सविता चड्ढा ने लिव इन रिलेशनशिप की आलोचना करते हुए कहा कि इस विषय पर नये सिरे से विचार करने की ज़रूरत है। ऐसे सम्बन्ध समाज और संस्कृति के लिए घातक सिद्ध हो रहे हैं।इस अवसर पर स्वर लहरी मंच द्वारा आयोजित साहित्यिक प्रतियोगिता के प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया, जबकि विभिन्न रचनाकारों द्वारा लेखिका सविता स्याल की लगभग बीस लघुकथाओं का पाठ किया गया। Post navigation एडीसी की अध्यक्षता में यौन उत्पीड़न निरोधक अधिनियम-2013 के तहत जिला स्तर पर गठित स्थानीय समिति की समीक्षा बैठक आयोजित जी-20 को लेकर साइबर हब में हुआ फ्लैश मॉब इवेंट