-कमलेश भारतीय

दुष्यंत कुमार का यह शेर याद आ गया :
कैसे कैसे मंजर सामने आने लगे हैं
गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं !

क्या रोहतक के महर्षि दयानंद विश्विद्यालय में जो मंजर मुख्यमंत्री के सामने आया क्या वे इसे टाल सकते थे ? वे महर्षि दयानंद सरस्वती के द्विशताब्दी समारोह को संबोधित करने ही लगे थे कि छात्राओं ने नारेबाजी शुरू कर दी । सरकार पर महिला विरोधी होने के नारे लगने लगे । बेशक मुख्यमंत्री ने इसे थोड़ा हल्के से लेते कहा कि इससे राजनैतिक कार्यक्रम का जोश आ गया है लेकिन छात्राएं नहीं रुकीं । छात्राओं की मांग इतनी थी कि वे गांवों से आती हैं तो कोई महिला बस लगाई जाये ! यह मांग बहुत बार अधिकारियों के सामने रखी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई ।

दूसरी ओर इसी कार्यक्रम में ईटेंडरिग के मारे सरपंच भी देवीलाल पार्क में काले झंडे लेकर पहुंच गये । वे काले झंडे लहराते एमडीयू के गेट तक पहुंच गये और नारेबाजी करने लगे ।

तीसरी ओर महिला समिति , किसान सभा , छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय के गेट पर नारेबाजी की और मंत्री संदीप सिंह को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की । आखिर इन सवालों या मुद्दों से कब तक सरकार बचती रहेगी या आंख चुराती रहेगी ? भिवानी में भी भाजपा की राज्य कार्यकारिणी की बैठक के बाहर लगभग यही मंजर देखने को मिला था । उधर पंचकूला में आप पार्टी के कार्यकर्त्ताओं ने भी संदीप सिंह को बर्खास्त किये जाने की मांग पर प्रदर्शन किया । इन प्रदर्शनों को पुलिस बल से कब तक दबाते रहोगे ? जहां भी जाओगे ये मुद्दे पीछा करते रहेंगे । इनका हल तो खोजना होगा । कब तक यह स्थिति चलती रहेगी ? हर जगह ईटेंडरिग का विरोध हो रहा है । हर जगह यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाई रही है । महिला आयोग क्या कर रहा है ? सरकार मूकदर्शक क्यों बनी हुई है ? इस तरह देर करने से मामले खत्म नहीं होते । ये प्रदर्शन सरकार की लोकप्रियता के गिरते ग्राफ के सूचक तो नहीं ?

सोचना होगा कि
गाते गाते लोग चिल्लाने क्यों लगे हैं !
-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । 9416047075

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