टूटी बैंच पर पढ़ाई करने को मजबूर हैं होनहार

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। प्रदेश सरकार की ओर सरकारी स्कूलों में बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ अच्छी सुविधा उपलब्ध कराने के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन धरातल सरकार के ये दावे धराशाही हो जाते हैं। शिक्षा सत्र 2022-23 बीतने वाला हैं। लेकिन अभी सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के खाते में ड्रैस के पैसे नहीं आए हैं। वहीं अक्टूबर माह में विभाग की ओर से स्कूलों से ड्यूल डेस्क की डिमांड मांगी गई थी। लेकिन अभी स्कूलों को ड्यूल डेस्क नहीं मिली हैं। ऐसे में सरकारी स्कूल के विद्यार्थी टूटी डेस्क पर हीं पढ़ाई करने के मजबूर हैं।

शिक्षा निदेशालय के आदेश अनुसार एक माह में ही डिमांड अनुसार ड्यूल डेस्क भेजे जाने थे, लेकिन अभी तक सभी स्कूलों में डेस्क नहीं भेजे गए। इसे लेकर शिक्षा निदेशालय ने एक बार फिर से जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर 31 जनवरी तक ड्यूल डेस्क भेजने के आदेश दिए थे। लेकिन अभी स्कूलों में ड्यूल डेस्क नहीं पहुंची हैं।

एसएमसी मेंबर को दिया था खरीद का अधिकार

पहले शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में बच्चों की इस सुविधा के लिए ड्यूल डेस्क खरीदने का जिम्मा स्वयं लिया था। फिर जिला स्तर से रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन बाद में शिक्षा निदेशालय ने ड्यूल डेस्क खरीदने की जिम्मेदारी एसएमसी को दे दी थी। ये कहा गया था कि एसएमएसी के मेंबर बीईओ के माध्यम से डिमांड करेंगे। इसके बाद विभाग एसएमएसी को धन मुहैया कराया जाएगा। पत्र जारी होने के बाद नोटिफिकेशन के आधार पर कमेटी का गठन किया गया, लेकिन अभी तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई।

मॉडल संस्कृति स्कूलों में भी आने हैं डेस्क

प्रदेश के सभी स्कूलों में डेस्क आने हैं। इसमें मॉडल संस्कृति स्कूलों को भी शामिल किया गया है। यमुनानगर और करनाल के बाद सभी जिलों से 52 ब्लॉक प्रोजेक्ट के तहत चयनित किए गए। हर जिले से एक ब्लॉक ड्यूल डेस्क के लिए चुना गया। दूसरे चरण में 22 जिलों के 27 ब्लॉक का चयन किया गया। इसके माध्यम से सभी स्कूलों में ड्यूल डेस्क भेजे जाने थे। लेकिन अभी स्कूलों में ड्यूल डेस्क नहीं पहुंचने के कारण बच्चों को परेशानी उठानी पड़ रहीं हैं।

नहीं मिले है ड्रेस की रकम

सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों को विभाग की ओर सितंबर-अक्टूबर माह में किताबें उपलब्ध करा दी गई थी। राजकीय स्कूलों के शिक्षकों का कहना है कि हर साल मार्च में विभाग की ओर से विद्यार्थियों के खाते ड्रैस के लिए 605 रुपये की राशि डाली जाती हैं। लेकिन इस बार यह सत्र बीतने वाला हैं। लेकिन अभी बच्चों के खाते में ड्रेस के पैसे नहीं आए हैं। स्कूलों की ओर से मार्च माह में ही बच्चों के फार्म ऑनलाइन कर दिए गए थे।

विद्यार्थियों को उठानी पड़ रहीं है परेशानी

हेमसा के प्रदेश प्रवक्ता सुजान मालड़ा ने बताया कि जिले के काफी स्कूलों में बच्चों के बैठने के लिए डेस्क नहीं हैं। ऐसे में विद्यार्थियों को परेशानी उठानी पड़ रहीं हैं। इसके अलावा विद्यार्थियों को अभी तक ड्रैस के भी पैसे नहीं मिले हैं। विभाग को विद्यार्थियों की परेशानी को समझते हुए जल्द ही दोनों डिमांड को पूरा करना चाहिए।

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