अपने कमीशन के चक्कर में अधिकारियों के आदेश को भी किया अनदेखा
कारगिल शहीद की विधवा पत्नी को अलाट प्लाट और उसमें लगा बोर्ड भी गायब कर दिया
मुख्यमंत्री, नगर निकाय मंत्री और नगर निगम कमिश्नर से जांच की मांग

भारत सारथी

गुरुग्राम। नगर निगम गुरुग्राम की यह तीसरी घटना जब एचएसवीपी की जमीन पर बिना परमिशन के निर्माण किया है। और एचएसवीपी ने उस निर्माण को तोड़कर वापसी कब्जा लिया है। जिस से करोड़ों रूपए का नगर निगम को चूना लगा चुके हैं। इससे निगम को करोड़ों रुपए का हुआ नुकसान। अपने कमिशन के चक्कर में अंधे हो रहे हैं नगर निगम का इंजिनियरीग विभाग। आरोप है कि बिना जिला नगर योजनाकार व अन्य विभागों को जमीन की जानकारी दिए स्वयं अपने स्तर ही योजना बनाकर उस पर काम कर रहे हैं। गुरु ग्राम की जागरूक महिलाओं ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नगर निकाय मंत्री और निगमायुक्त से पूरे मामले की जांच कराने की मांग की है।

पालम विहार C ब्लाक की निवासी मीता शर्मा अधिवक्ता हाई कोर्ट दिल्ली और निवासी सिनियर सिटीजन श्रीमती अन्नू , पेनी तथा माधरी शरण अग्रवाल ने बताया कि नगर निगम पार्षदों का कार्यकाल पुरा होने से चंद रोज पहले आनन फानन में पालम विहार C ब्लाक में 80 मुसतील की 4/2 खेवट की 3 कनाल 11 मरला भूमि पर एक बैडमिंटन कोर्ट का शिलान्यास किया गया था। नगर निगम के चीफ इंजीनियर और अन्य अधिकारी इस निर्माण कार्य को शुरू करने मे इतने उतावले व जल्दबाजी में थे की उन्होंने यह भी नहीं देखा की जिस जमीन पर वह यह निर्माण कार्य शुरू कर रहे है, वह जमीन निगम की है या नहीं।

आरोप है कि यह निर्माण कार्य करते समय बिना वन विभाग की अनुमति के अंधाधुंध पेड़ों की कटाई शुरू कर दी गई। इस पर पालम विहार C ब्लाक के कुछ निवासियों ने 112 नम्बर पर काल कर के पुलिस को सुचना दी। परन्तु पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। ठेकेदार ने चार – पांच पेड़ काट दिए और ग्रीन बेल्ट को भी तहस नहस कर के बाउंड्री के अन्दर ले लिया। बाद में इस की शिकायत जिला वन अधिकारी को लिखित में दी गई। परन्तु न जाने क्यों वन अधिकारीयों ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।

जब इस निर्माण कार्य के सम्बन्ध में शिकायतकर्ता निगम कमिश्नर मुकेश आहुजा से मिले तो उन्होंने बताया कि यह जमीन निगम की नहीं है। इस पर निर्माण कार्य रोकने के लिए उन्होंने चीफ़ इंजीनियर राधेश्याम शर्मा को फोन भी किया । राधेश्याम शर्मा ने कमिश्नर से फोन पर तो हां कर दी परन्तु बाद तक निर्माण कार्य बंद नहीं कराया।

चार महीने से हम पालम विहार के रिहायशी सिनियर सिटीजन नगर निगम आयुक्त और चीफ़ इंजीनियर के कार्यालय में चक्कर काट काट कर थक गऐ। तब हमने विरेन्द्र यादव चेयरमैन जिला अध्यक्ष भाजपा किसान मोर्चा गुरुग्राम के माध्यम से गत 9 जनवरी को जिला कष्ट निवारण समिति में इस केस को रखा। जिला ग्रीवेंस कमेटी में अध्यक्ष ने चीफ इंजीनियर राधेश्याम शर्मा को एक सप्ताह में अप्रूवल नक्शा और जमीन से सम्बंधित सभी दस्तावेज साइड पर लगा देने को कहा। आश्चर्य की बात तो यह है कि एक माह का समय पुरा होने को है अभी तक निगम अधिकारियों ने नक्शा व कोई भी कागजात शिकायतकर्ता को नहीं दिखाया और न हीं निर्माण साइड पर लगाया है। इस विषय में फिर से चीफ इंजीनियर से बात की तो वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं है।

निवासियों ने बताया कि जिस जमीन पर यह निर्माण कार्य चल रहा है उस जमीन पर प्लाट नं 1850 के साथ लगता प्लाट कारगिल शहीद सुशील आयमा की विधवा पत्नी को अलाट हुआ था। उसके नाम का एक बोर्ड भी इस प्लाट में लगा था। अब न जाने वह प्लाट कहा गया, यह भी एक सस्पेंस बना हुआ है।

इस जमीन का सस्पेंस और ज्यादा बनने पर पालम विहार के निवासियों ने जब एचएसवीपी के आफिस में रिवेन्यू विभाग में जानकारी की तो पता चला कि 80 मुसतील की/4/2 की 3 कनाल 11 मरला भूमि यह जमीन तो एचएसवीपी की है, नगर निगम की नहीं है। इस निर्माण कार्य की जानकारी जब एचएसवीपी के स्टेट आफिसर विकास ढांडा को दी तो उन्होंने तुरंत साइड पर अधिकारी भेज कर निर्माण कार्य बंद करा दिया और एक पर्चा लगा दिया है कि यह जमीन एचएसवीपी की है और इस पर निर्माण कार्य अवैध है।

आरोप है कि इस से साफ़ लगता है कि इस निर्माण कार्य में चीफ इंजीनियर राधेश्याम शर्मा का कोई निजी स्वार्थ है। वह अपने सीनियर अधिकारियों को गुमराह कर के इतना गोलमाल कर रहे हैं जो ग्रीवेंस कमेटी के अध्यक्ष के फैसले को भी नहीं मानते हैं।

दिल्ली हाईकोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता नीता शर्मा श्रीमती अन्नू पैनी और माधुरी शरण अग्रवाल ने मुख्यमंत्री, नगर निकाय मंत्री और नगर निगम कमिश्नर से मिडिया के माध्यम से मांग करते हैं कि इस निर्माण कार्य को ध्वस्त कर के सारा खर्चा नगर निगम चीफ इंजीनियर राधेश्याम शर्मा से वसुला जाए। ताकि भविष्य में कोई भी अधिकारी गैर जबाबदेही वाला काम न करें, जिससे विभाग को बदनामी और शर्मिंदगी न झेलनी पड़े। भविष्य में उम्रदराज महिलाओं और लोगों को इस प्रकार अधिकारियों के कार्यालयों में चार चार महीने तक धक्के न काटने पड़े।

error: Content is protected !!