पंचायती राज संस्थाओं द्वारा विकास कार्य करवाने के सम्बन्ध में हिदायतें जारी

अपने फंड व ग्रांट-इन-एड में से विकास कार्य करवाने की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करने की दी गई शक्तियां

ग्रामीण क्षेत्रों का तीव्र गति से विकास सुनिश्चित करना व पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती देना सरकार का लक्ष्य  

चंडीगढ़, 20 जनवरी – ग्रामीण क्षेत्रों का तीव्र गति से विकास सुनिश्चित करना व पंचायती राज संस्थाओं को मजबूती देने के लक्ष्य को साधने के लिए हरियाणा सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य करवाने की प्रक्रिया के संबंध में नई हिदायतें जारी की हैं। जिनके अनुसार अब पंचायती राज संस्थाओं को अपने पास उपलब्ध धनराशि व सरकार द्वारा दी गई ग्रांट- इन-एड में से करवाये जाने वाले सारे विकास कार्यों के एस्टिमेट्स की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान करने की शक्ति होगी। सरकार द्वारा नई हिदायतें जारी करके इससे पूर्व जारी की गई सभी हिदायतों को निरस्त कर दिया है। पंचायती राज संस्थाओं में ग्राम पंचायत, पंचायत समितियां व जिला परिषद शामिल हैं. सरकार की ताज़ा हिदायतों से ग्रामीण क्षेत्रों का तीव्र गति से विकास सुनिश्चित होगा और पंचायती राज संस्थाएँ और मजबूत होंगी।

एक सरकारी प्रवक्ता ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि भविष्य में ग्राम पंचायत, पंचायत समिति तथा जिला परिषद द्वारा अपने-अपने फंड में से विकास कार्य इन्हीं हिदायतों के अनुसार करवाना सुनिश्चित करेंगी। इसके लिए सबसे पहले सम्बन्धित पंचायती राज संस्था द्वारा बजट की उलब्धता अनुसार प्रस्ताव पारित किया जाएगा कि वे कौन – कौन से विकास कार्य करवाना चाहते हैं। तत्पश्चात् पारित किए गए प्रस्ताव को पंचायती राज संस्था द्वारा सम्बन्धित तकनीकि अधिकारी को एस्टिमेट्स बनवाने हेतु भेजा जाएगा। ग्राम पंचायत स्तर पर पारित किए गए प्रस्ताव को ग्राम सचिव द्वारा सम्बन्धित कनिष्ठ अभियन्ता (जेई) को भेजा जाएगा। पंचायत समिति स्तर पर बीडीपीओ द्वारा तैयार प्रस्ताव उपमण्डल अधिकारी (पंचायती राज) को भेजा जाएगा। जिला परिषद स्तर पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी (जिला परिषद) द्वारा कार्यकारी अभियन्ता (एक्सईएन) को जिला परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव भेजा जाएगा।

प्रवक्ता ने बताया कि 2 लाख रुपये तक के विकास कार्यों के एस्टिमेट्स की तकनीकि स्वीकृति संबंधित जेई द्वारा अपने स्तर पर दी जाएगी। इससे अधिक राशि के विकास कार्य होने पर सक्षम अधिकारियों को स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजे जाएंगे। 25 लाख रुपये तक एस्टिमेट्स की तकनीकि स्वीकृति एसडीओ, 1 करोड़ रुपये तक के लिए एक्सईएन, 2.5 करोड़ रुपये तक के लिए एसई, तथा 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के एस्टिमेट्स की तकनीकि स्वीकृति चीफ इंजीनियर (पंचायती राज) द्वारा दी जाएगी। तकनीकि रूप से स्वीकृत एस्टिमेट्स प्राप्त होने के बाद संबंधित पंचायती राज संस्थात द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति दी जाएगी।
प्रवक्ता ने बताया कि 2 लाख रुपये तक की लागत के कार्य सभी पंचायती राज संस्थाबएं अपने स्तर पर बिना किसी टेंडर के (क्ओाटेशन के आधार पर) करवा सकेंगी। 2 लाख रुपये से अधिक लागत के सभी विकास कार्य ई. निविदा (ई-टेंडर) प्रणाली उपरांत करवाए जाएंगे। इसके लिए सक्षम प्राधिकारी यानी एसडीओ या एक्सईएन निविदा जारी करेंगे।

ई. निविदा हेतू निम्नलिखित प्रक्रिया रहेगी –

कार्य की अनुमानित लागतडीएनआईटी तैयार करने वाला तकनीकि अधिकारीडीएनआईटी स्वीकृत करने वाला सक्षम अधिकारी
25 लाख रुपये तककनिष्ठ अभियंता (जेई)उपमंडल अधिकारी, पंचायती राज (एसडीओ)
25 लाख रुपये से अधिक तथा 2.5 करोड़ रुपये तकउपमंडल अधिकारी (एसडीओ)कार्यकारी अभियंता, पंचायती राज (एक्सईएन)
2.5 करोड़ रुपये से अधिककार्यकारी अभियंता (एक्सईएन)अक्षीक्षक अभियंता, पंचायती राज (एसई)

प्रवक्ता ने बताया कि डीएनआईटी की स्वीकृति के उपरांत 25 लाख रुपये तक के विकास कार्य के लिए ई निविदा जारी करने की नोटिस अवधि 7 कार्य दिवस होगी। 25 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के कार्य के लिए नोटिस अवधि 15 दिन तथा 1 करोड़ रुपये से अधिक के कार्यों के लिए 21 दिन की अवधि होगी। 25 लाख रुपये तक के विकास कार्य के लिए ई-निविदा जारी करने हेतू उपमंडल अधिकारी (पंचायती राज) तकनीकि अधिकारी होगा तथा 25 लाख रुपये से अधिक के लिए कार्यकारी अभियंता (पंचायती राज) तकनीकि अधिकारी होगा।

प्रवक्ता ने बताया कि 25 लाख रुपये तक के कार्यों की टेक्निकल बिड के लिए संबंधित कॉट्रेक्टर को हरियाणा इंजीनियरिंग वक्र्स पोर्टल पर संबंधित दस्तावेज अपलोड करने होंगे। 25 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के लिए टेक्निक्ल बिड की स्वीकृति के लिए एक्सईएन की अध्यक्षता में कमेटी होगी, जिसमें एक एसडीई व सेक्शरन ऑफिसर/अकाउंट ऑफिसर/अकाउंटेंट/अकाउंटस एस्सिटेंट, इनमें से कोई भी, सदस्य होंगे। एक करोड़ रुपये से अधिक के कार्य के लिए तकनीकि बिड की स्वीकृति हेतू एसई कन्वीनर होंगे और एक्सईएन सदस्य सचिव, एक अन्य एक्सईएन तथा सेक्श्न ऑफिसर/अकाउंट ऑफिसर/अकाउंटेंट/अकाउंटस एस्सिटेंट, इनमें से कोई भी, सदस्य होंगे। तकनीकि रूप से स्वीकृत निविदाओं की ही फाइनेंशियल बिड खोली जाएगी, इसके लिए विभिन्न स्तर पर कमेटियां बनाई गई हैं।

प्रवक्ता ने बताया कि नई हिदायतों में प्रस्ताव पारित करने से लेकर उसके एस्टिमेट्स तैयार करने, संबंधित पंचायती राज संस्थाएओं द्वारा प्रशासकीय स्वीकृति देने, निविदाएं जारी करने, टेक्निक्ल इवेल्यूएशन, फाइनेंशियल बिड खोलने तथा वर्क ऑडर्र जारी करने की समय सीमा निर्धारित की गई है।

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