भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। हरियाणा सरकार ने नई बीपीएल सूची जारी करते समय अनेक लंबे चौड़े दावे किए, लेकिन अधिकारियों ने इस कार्य में कितनी लापरवाही बरती इसका जीता जागता उदाहरण इस बात से सामने आता है कि जो लोग सरकारी नौकरी में पर कार्यरत हैं तथा दिल्ली पुलिस में नौकरी कर रहा हैं, उसका बीपीएल सूची में नाम आ गया। जिसके चलते वह अपना नाम हटवाने के लिए गुहार लगा रहा है। वहीं दूसरी ओर गरीब विधवा औरतों के नाम बीपीएल सूची में नहीं आने से वह परेशानी में है कि अगर उनका राशन बंद हो गया तो गुजारा कैसे होगा, क्योंकि इनके परिवार पहचान पत्र में आय लाखों रुपये दर्शाई गई है, जबकि सरकार की ओर से ऐसी महिलाओं को प्रतिमाह केवल ढ़ाई हजार रुपये पेंशन के दिए जा रहे हैं।

इस बीपीएल सूची में सरकार के दावों के विपरीत अनेक खामियां हैं। जिसमें ऐसे भी लोगों के नाम दर्ज हैं जो सरकारी कर्मचारी की पेंशन प्राप्त कर रहे हैं तथा उनके राशन कार्ड ऑनलाइन बनकर घर पर पहुंच चुके हैं। इस बारे में महेंद्रगढ़ जिले के कनीना खंड के बुचावास, झगड़ोली, गुढ़ा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि इस सूची को बनाने के लिए जो तरीका अपनाया गया है वह गलत है। सरकार को इस सूची को बनाने के बाद लागू करने से पहले इसका ऑडिट करवाना चाहिए था। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में सरकारी स्कूलों में अध्यापकों ने परिवार पहचान पत्र की आय को वैरीफाई किया है। जिसमें उन्होंने गरीबों की आय लाखों रुपये दर्ज कर दी तथा जो सरकारी कर्मचारी थे या है उनकी आय कम दिखाई है। इससे लगता है कि इस कार्य में लापरवाही की गई है। जिसके कारण सरकारी नौकरी वालों के नाम बीपीएल सूची में आए गए, जबकि गरीब इससे वंचित रह गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि सूची की जांच कर लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।

ग्रामीणों ने सरकार से मांग की, कि इस सूची को फिलहाल लागू न करते हुए, पहले इसका दोबारा वैरिफिकेशन किया जाए तथा जो पात्र नाम इस सूची में शामिल होने से रह गए हैं, उनका ऑनलाइन वैरिफिकेशन के बजाय मौके पर जाकर वैरीफाई करें, ताकि सच्चाई का पता लग सकें और पात्र व्यक्ति भी नहीं छूट सकें। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार ने फिलहाल सीएससी संचालकों को ऑनलाइन आवेदन करने के लिए छूट दे रखी हैं, जो गरीब लोगों से राशन कार्ड बनाने ऑनलाइन एप्लीकेशन डालने के नाम पर 100 वसूल रहे हैं, जो उनकी निर्धारित फीस से कहीं ज्यादा है। सीएससी संचालकों ने पहले तो हेल्थ कार्ड बनाने के नाम पर 100 लिए। इसके बाद ऑनलाइन राशन कार्ड निकालने के नाम पर 100 रुपये, अब एप्लीकेशन डालने के नाम पर 100 रुपये ले रहे हैं, यह गरीबों के साथ अन्याय हैं, सरकार इस पर भी संज्ञान लें।

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