फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद राशी को 72 घंटे में बैंक खातों में पहुंचाने का दावा एक जुमलेबाजी : विद्रोही

धरातल की वास्तविकता यह है कि चाहे खरीफ फसल हो या रबी फसल खरीद हो, किसी भी फसल खरीद का पैसा किसानों के बैंक खातों में 72 घंटे में आने की बजाय 10 से 20 दिनों में आया है : विद्रोही
मुख्यमंत्री बताये कि वर्ष 2021 की खरीफ फसल बाजरे की सरकारी खरीद का भावांतर योजना के तहत अकेले रेवाडी जिले के ही 500 से ज्यादा किसानों का पैसा एक साल से ज्यादा समय होने पर भी उनके बैंक खातों में क्यों नही आया? विद्रोही

29 दिसम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य खरीद राशी को 72 घंटे में किसानों के बैंक खातों में पहुंचाने का हरियाणा विधानसभा शीतकालीन सत्र में मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का दावा एक जुमलेबाजी के अलावा कुछ नही है। विद्रोही ने कहा कि धरातल की वास्तविकता यह है कि चाहे खरीफ फसल हो या रबी फसल खरीद हो, किसी भी फसल खरीद का पैसा किसानों के बैंक खातों में 72 घंटे में आने की बजाय 10 से 20 दिनों में आया है। वहीं भावांतर योजना में खरीफ फसल का पैसा तो बहुत से किसानों का आज तक भी नही मिला है। वर्ष 2021 खरीफ फसल से भाजपा-जजपा सरकार ने बाजरे की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की बजाय भावांतर योजना में डाला। लम्बी-चौडी डींगे हांकने वाले मुख्यमंत्री बताये कि वर्ष 2021 की खरीफ फसल बाजरे की सरकारी खरीद का भावांतर योजना के तहत अकेले रेवाडी जिले के ही 500 से ज्यादा किसानों का पैसा एक साल से ज्यादा समय होने पर भी उनके बैंक खातों में क्यों नही आया? 

विद्रोही ने कहा कि 2021 खरीफ फसल में बाजरे की सरकारी खरीद का भावांतर पैसा तो फिर भी कुछ ठीक-ठाक रहा, लेकिन वर्ष 2022 में खरीफ फसल बाजरा खरीद भावांतर योजना के तहत हुई है, लेकिन आधे के करीब किसानों को भावांतर योजना की राशी दो माह होने पर भी नही मिली। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 2022 खरीफ फसल बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बिक्री के लिए रेवाडी जिले के लगभग 46 हजार किसानों ने अपनी लगभग डेढ़ लाख एकड़ जमीन का रजिस्टेऊशन मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर करवाया, जिसके तहत रेवाडी जिले के 46 हजार किसानों की डेढ़ लाख एकड़ बाजरे की फसल को प्रति एकड़ में 8 क्विंटल बाजरे को 2350 रूपये न्यूनतम समर्थन मूल्य के अनुसार भावांतर योजना के तहत किसानों से खरीदना था। पहले तो किसानों को भावांतर के नाम पर लूटा गया, भाजपा सरकार ने प्रति क्विंटल पर भावांतर मूल्य 450 रूपये रखा। जहां बाजरे का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2350 रूपये प्रति क्विंटल था जबकि बाजरे का भाव का खुले बाजार में 1350 से 1750 रूपये प्रति क्विंटल में किसानों से लूटा गया। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य से 600 से 1000 रूपये प्रति क्विंटल भाव कम मिला जबकि सरकार ने भावांतर योजना के तहत केवल 450 रूपये प्रति क्विंटल दिया। इस तरह पहले तो किसान को भावांतर के नाम पर 150 से 600 रूपये प्रति क्विंटल बाजरे का कम भाव दिया और उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य से कहीं कम भाव पर बाजरे का व्यापारियों को देने को मजबूर किया। 

विद्रोही ने कहा कि अकेले रेवाडी जिले में 46 हजार किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पार्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद भी आज तक 26 हजार किसानों को ही भावांतर योजना के तहत 450 रूपये प्रति क्विंटल राशी सरकार की ओर से मिली है। लगभग 20 हजार किसानों को दो माह होने पर भी खरीफ फसल 2022 के बाजरे की भावांतर राशी नही मिली जो साबित करती है कि भावांतर योजना किसानों को ठगने व लूटने की योजना है जो ना केवल उसे न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित करती है और अनाज व्यापारियों को उसका फसल उत्पादन मनमाने भाव पर लूटने का अवसर देेती है। विद्रोही ने कहा कि जब बाजरा भावांतर योजना का यह हाल एक जिले रेवाडी का ऐसा है तो प्रदेश के अन्य सभी जिलों को मिलाकर स्थिति क्या होगी यह बताने की जरूरत नही। 

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