आरती राव – नारनौल व अटेली हलका सेफ! भारत सारथी/ कौशिक नारनौल। साल-2024 में हरियाणा में लोकसभा व विधानसभा के चुनाव होने तय हैं। अब साल-2022 का अंतिम पड़ाव है। राजनीति में चुनाव लड़ने के इच्छा रखने के लिए साल-2023 अहम रहेगी। एमपी और एमएलए के दावेदार जनता को अपनी ओर रिझाने के लिए नेता अब धरातल पर अपनी राजनीतिक बिसात बैठाने लगे है। अभी हाल में एक बात की चर्चा बड़े जोरों पर रही की राव राजा के साथ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व उनके कट्टर विरोधी नांगल चौधरी से विधायक डॉ अभय सिंह की आपसी सुलह हो गई है। सुनने में तो यह आया है कि डॉ अभय सिंह यादव को भविष्य में भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा के उम्मीदवार के तौर पर उतारा जा सकता है। अभी इस चर्चा का दोनों तरफ से किसी तरह का कोई बयान नहीं आया है। इनमें सबसे बड़ा नाम है अहीरवाल के रावराजा केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव का है। विरासत में मिली राजनीति के सहारे आरती राव ने भी दादा-पिता के पुराने गढ़ महेंद्रगढ़ जिला में राह तलाशनी शुरू कर दी है। आपको बता दे जब जनता पार्टी की हवा में राजा राव वीरेंद्र ने अटेली से जनता पार्टी के गैर अहीर उम्मीदवार एडवोकेट ठाकुर लक्ष्मनसिंह चौहान को हरा कर अपना परचम लहराया था। यह दीगर बात है कि पुरानी और आज की राजनीति में बड़ा बदलाव आ गया है। इस बदलाव की राजनीति में ‘पगड़ी’ व ‘पोटली’ का चलन खत्म सा हो गया है। अब का युवा वोटर विकास के साथ धर्म की चासनी में रंगकर हिन्दू मुस्लिम और पाकिस्तान के एजेंडे की बात करने लगा है। गांव धौलेड़ा में हाल ही में पिछले माह जब केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत बेटी आरती राव के साथ आए थे तो मंच से राव इंद्रजीत सिंह ने कहा था कि बेटी आरती तो खुद ही ऐलान कर चुकी कि अगला इलेक्शन लड़ेगी। अब कहां से लड़ेगी, यह तो लोगों से सलाह मशवरा करेंगे। लेकिन इलेक्शन लड़वाने की बात है कि दो बार जीत सकती थी, पर नहीं जीती। तीसरी बार इलेक्शन लड़ने की तैयारी में है तो यह इलेक्शन जनता के सहयोग से ही लड़ पाएगी। इंद्रजीत के इस बेबाक बोल के बाद भाजपा की जहां अंदरूनी टेंशन बढ़ी। वहीं इस बयान के बाद आरती राव भी जिला में सक्रिय होने लगी है। गुरुवार को जब आरती राव लोक निर्माण विश्राम गृह में पहुंची तो कहा कि ‘सब बोलते है कि मैंने बुलाया-मैंने बुलाया। आज किसी ने बुलाया नहीं आरती खुद आई है। मैं इसलिए आई हूं कि सब बोलते है रेवाड़ी में बैठी रहती है। अब महीने में एक बार मैं नारनौल जरूर आउंगी। उन्हें बीच में टोकते हुए एक बुजुर्ग ने कहा कि महीने में एक बार नहीं सप्ताह में एक बार आए। इस पर जवाब देते आरती राव ने कहा कि रेवाड़ी भी देखना है गुड़गांव भी देखना है। हलके सारे हैं मेरे। मेरे अंदर से आवाज निकली आरती यहां जरूर जा। काफी सन्देश आ रहे थे कि बहनजी रेवाड़ी बैठी रहती है नारनौल चलो। मैंने सोचा विश्राम गृह सबसे अच्छी जगह है। वह आज हर एक कार्यकर्ता से मुलाकात करने आई है। हलका वाइज सभी कार्यकर्ताओं से वह मिलेगी। अब मिलना जुलना पड़ेगा। हमारा तालमेल बढ़ेगा और हमारी नींव ओर मजबूत होगी। भूतकाल की बात एडीओ साहब ने की और अब वर्तमान की बात करेंगे, तभी तो आपका साथ चाहिए।’ नारनौल व अटेली सुरक्षित महेंद्रगढ़ जिले में चार विधानसभा सीट हैं। इनमें आरती राव के लिए सबसे सुरक्षित जगह नारनौल व अटेली विधानसभा मानी जा रही है। अटेली को लेकर हम ऊपर चर्चा कर चुके हैं। इसके पीछे राजनीति के जानकार बताते है कि नारनौल व अटेली में राव इंद्रजीत समर्थक ही एमएलए है। बाकी अन्य हलकों की बात करें तो नांगल चौधरी से डा. अभयसिंह यादव व महेंद्रगढ़ से विधायक राव दानसिंह व राव इंद्रजीतसिंह के राजनीति विरोधी है। यह अलग बात है कभी रामपुरा उसके नजदीकी कहे जाने वाले दान सिंह अब उनसे दूर है। पीछे यह चर्चा जोरों पर रही कि वह नांगल चौधरी से भी चुनाव लड़ सकती हैं राव राजा और डॉक्टर अभय सिंह के बीच सुलह की चर्चाएं जोरों पर है पर इसकी अभी पुष्टि नहीं हो पाई है। अगर सुलह हो भी गई फिर भी वहां गुर्जर और जाट मतदाता का रुझान अहमियत रखेगा। वैसे राजनीति में कहा जाता है कोई किसी का स्थाई दुश्मन नहीं, कोई किसी का स्थाई मित्र नहीं, कब उलटफेर हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता। यह भी चर्चा जोरों पर है जजपा से जुड़े एक पुराने राजनीतिक परिवार के नेता का मोह भंग होने की खबर है। इन दोनों हलकों में जीत की राह भी कठिन है। ऐसे में अगर महेंद्रगढ़ जिला से आरती राव चुनाव लड़ती है तो उनके लिए सबसे उपयुक्त जगह नारनौल या अटेली रहेगी। हालांकि अभी यह सब बाते भविष्य के गर्त में है। वैसे अहीर मतदाताओं को अब राजनीति का इतना खुमार चढ गया है या यूं कहे स्वाद आ गया है कि वह गैर अहीर उम्मीदवार को पचा ही नहीं पाता। Post navigation दी महेंद्रगढ़ केंद्रीय सहकारी बैक की तिजौरी की चाबी हुई गुम, डुप्लीकेट से खोलने पर 19 लाख मिले गायब हरियाणा ने देश को सिखाई पदयात्राएं, ताऊ देवीलाल, चौटाला, हुड्डा पदयात्रा कर पहुंचे सत्ता के शिखर पर…