भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा की राजनीति आजकल विशेष चर्चाओं में चल रही है। एक तरफ तो भाजपा के मुख्यमंत्री तक बदलने की चर्चाएं हैं और दूसरी ओर कांग्रेस में चर्चा है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के पर कतरे जा रहे हैं। क्या वहां भी बदलाव संभव है?

इसी प्रकार आप पार्टी अभी हरियाणा में अपना प्रभाव नहीं दिखा पाई है परंतु कल के दिन से उन्हें बड़ी आशाएं हैं। इसी प्रकार जजपा के बारे में भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह भाजपा से गठबंधन जारी रहेगा?

कल 7 तारीख है और दिल्ली में एमसीडी चुनावों की गिनती होनी है। उसमें यदि भाजपा को मुंह की खानी पड़ी तो उसका असर हरियाणा की राजनीति पर भी कहीं न कहीं पडऩा अवश्यसंभावी है।

दिल्ली और हरियाणा की सीमाओं में विशेष अंतर है नहीं। लगभग एक चौथाई हरियाणा तो दिल्ली से ही सटा हुआ है। अत: इसका प्रभाव हरियाणा में न हो, ऐसा संभव है नहीं। 

8 तारीख का विशेष महत्व है। उस दिन हिमाचल और गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम आने हैं और उन परिणामों का असर पूरे देश की राजनीति पर पडऩा ही है। अत: हरियाणा भी अछूता नहीं रहेगा। वैसे रूझान हिमाचल में कांग्रेस और भाजपा की टक्कर दिखा रहे हैं तथा गुजरात में भाजपा की एकतरफा जीत बताई जा रही है। हिमाचल में यदि कांग्रेस आती है तो यह भाजपा के लिए भारी झटका साबित होगा।

अब बात करें 9 तारीख की तो 9 तारीख को जजपा ने स्थापना दिवस मनाने की घोषणा कर रखी है और उनका दावा है कि हर जिले से 25 हजार आदमी अवश्य आएंगे और वह अपने नेता दुष्यंत चौटाला को भावी मुख्यमंत्री प्रस्तुत कर रहे हैं। इस रैली पर सभी दलों की निगाहें टिकी हुई हैं। 

भाजपा और जजपा गठबंधन के साथी हैं लेकिन फिर भी बीच-बीच में इनके विवादों की बात सामने आती ही रहती हैं। 

दूसरी ओर दुष्यंत चौटाला को जाट नेता माना जाता है और हरियाणा में जाट नेता के वर्चस्व की जंग चल रही है, जिसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा और अभय चौटाला के नाम भी लिए जाते हैं। ऐसे में उनकी यहां नजर होना लाजिमी है।

चर्चाएं यह भी सुनी जा रही हैं कि जजपा का दावा ढाई लाख की उपस्थिति का टांय-टांय फिस्स हो जाएगा। राजनैतिक चर्चाकारों का कहना है कि यह गिनती 50 हजार और लाख के मध्य ही रहेगी।

वर्तमान में भाजपा पूरी तरह 2024 के लोकसभा चुनावों की तैयारी में लगी है। अत: उसी को देखते हुए यह चर्चाएं बलवती हैं कि मुख्यमंत्री को बदला जाएगा। 

सूत्र बताते हैं कि भाजपा में यह मंथन बहुत जोर से चल रहा है कि दुष्यंत चौटाला को अपने साथ रखने से लाभ होगा या नहीं। यह भी मंथन किया जा रहा है कि पिछले तीन उपचुनाव में और वर्तमान में जिला परिषद और पंचायत चुनाव में जजपा के साथ रहने से हमें कितना लाभ हुआ या नहीं?

यह भी मंथन किया जा रहा है कि जब हुड्डा और अभय जाट नेता के रूप में स्थापित हैं तो यदि दुष्यंत अलग भी लड़े तो भाजपा को कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि उनके पास भी जाट नेता के रूप में ओमप्रकाश धनखड़, सुभाष बराला, कैप्टन अभिमन्यु जैसे जाट हैं।

अत: यह कहा जा सकता है कि आगामी समय में अप्रत्याशित घटनाएं देखने को मिल सकती हैं।

कांग्रेस के बदलाव की बात शायद भारत जोड़ों यात्रा के बाद संपन्न हो लेकिन जिस प्रकार कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला को कांग्रेस हाईकमान द्वारा शक्तिशाली बनाया जा रहा है और नया प्रदेश प्रभारी दिया गया है, उससे चर्चा यह है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को इतना समय दिया जा चुका है लेकिन वह अपना संगठन भी खड़ा नहीं कर सके और आदमपुर की कांग्रेस की सीट भी गंवा बैठे। अब शायद इनका फैसला राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का हरियाणा में किस प्रकार स्वागत होता है, उस पर भी विचार किया जाएगा और फैसले शायद यात्रा की समाप्ति पर लिए जाएंगे। बहरहाल जो भी है हरियाणा की राजनीति में उठापटक होने की संभावना को नकारा नहीं जा सकता।

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