हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार गीता महोत्सव के नाम पर सत्ता दुरूपयोग से सरकारी पैसे से भगवान श्रीकृष्ण के गीता उपदेश का प्रचार करने की बजाय संघी विचारधारा का प्रचार कर रही है। विद्रोही
सरकारी संसाधनों व पैसों से मनाया जाने वाला गीता महोत्सव कार्यक्रम पर केवल भाजपाई-संघीयों का ही कब्जा क्यों? विद्रोही
1 दिसम्बर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने आरोप लगाया कि हरियाणा भाजपा खट्टर सरकार गीता महोत्सव के नाम पर सत्ता दुरूपयोग से सरकारी पैसे से भगवान श्रीकृष्ण के गीता उपदेश का प्रचार करने की बजाय संघी विचारधारा का प्रचार कर रही है। विद्रोही ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में दिया कर्म का उपदेश ऐसा महान उपदेश है जो जब तक सृष्टि रहेगी, तब तक मानव जाति उससे प्ररेणा लेकर एक श्रेष्ठ दुनिया बनाने के लिए काम करती रहेगी। संघी हिन्दुत्व के पांखड व गीता उपदेश में दिन-रात का अंतर है। जो संघी सत्ता पाने भारत के समाज में साम्प्रदायिक उन्माद, नफरत, बटवारे की सोच पैदा कर रहे है, उनका भगवान श्रीकृष्ण के गीता उपदेशों से क्या लेना-देना। तभी तो हरियाणा संघ सरकार गीता उपदेश के बहाने चुन-चुन कर संघी हिन्दुत्व के स्वयंभू पांखडी अलम्बरदार धर्म गुरूओं को गीता उपदेश देने के बहाने सरकारी पैसों सेे बुलाकर सरकारी संसाधनों का दुरूपयोग करके बुलाई भीड़ के सामने गीता उपदेश देने की बजाय संघी हिन्दुत्व का साम्प्रदायिक उन्माद लोगों के मन व मस्तिक में भरकर नफरत व बटवारे की औच्छी व गंदी सोच फैला रहे है।
विद्रोही ने सवाल किया कि गीता महोत्सव में गीता के ज्ञान को समझने,े जानने वाले स्वतंत्र, निष्पक्ष विद्वानों को उपदेश के लिए बुलाने की बजाय चुन-चुनकर साम्प्रदायिकता से ओतप्रोत संघ से जुड़ेे धर्मगुरूओं व स्वयसेवकों को कथित गीता विद्वान के रूप में बुलाया जा रहा है। संघी हिन्दुत्व के कथित अलम्बरदार जो सनातन हिन्दू धर्म को भी नही समझते वे भगवान श्रीकृष्ण के कुरूक्षेत्र के मैदान में महाभारत के महायुद्ध के बीच अर्जुन को दिये गीता के कर्म उपदेश को क्या समझेंगे और क्या जनता को उपदेशे देंगे, यह बताना भी बेमानी है। वहीं विद्रोही ने सवाल किया कि सरकारी संसाधनों व पैसों से मनाया जाने वाला गीता महोत्सव कार्यक्रम पर केवल भाजपाई-संघीयों का ही कब्जा क्यों?े विपक्षी दलों व गैरसंघीयों को गीता महोत्सव आयोजन में शामिल क्यों नही किया जा रहा?