कहा: जरूरतमंद की सेवा करना परमात्मा की सेवा करना है : कंवर साहेब
सेवा से ही सिद्धि है और सेवा से ही सफलता है
चरखी दादरी/बहल जयवीर फौगाट,
28 नवंबर, सेवा ना केवल भक्ति अपितु सामाजिक जीवन की उन्नति के लिए भी अति आवश्यक है। सेवा के अनेक रूप हैं। उपासना सहित सेवाएं और उपासना रहित सेवाएं। एनएसएस में सेवक के रूप में आप जो सेवा दे रहे हो वो परहित के लिए और समाज की भलाई के लिए है। आपको देख कर और लोग भी सेवाभाव के लिए प्रेरित होंगे। यह सत्संग वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब जी महाराज ने बहल के जीडीसी मेमोरियल कॉलेज में बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी द्वारा चलाए जा रहे एनएसएस के राष्ट्रीय शिविर में देशभर से आए स्वयं सेवको को दर्शन और सत्संग फरमा रहे थे।
हुजूर महाराज जी ने कहा कि कॉलेज स्तर पर ही सेवा भाव जिस इंसान में जाग जाता है वो समाज के लिए अति उपयोगी है। उन्होंने कहा किं परमार्थ में तो सेवा का और भी ज्यादा महत्व है। जो सेवक नहीं है वो शिष्य भी नहीं है। धन नहीं है तो तन से करो, तन नहीं है तो मन से करो लेकिन सेवा करो। विद्यार्थियों को सेवा का महत्व बताते हुए हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि किसान खेत में सेवा करता है बदले में अनाज पाता है। विधार्थी विद्या की सेवा करता है बदले में ज्ञान पाता है। कोई पैसे के चाह में सेवा करता है तो कोई किसी अन्य वस्तु की चाह में इसीलिए बिना चाह सेवा तो और भी ज्यादा फलदाई है।
हुजूर ने कहा कि जरूरतमंद की सेवा करना परमात्मा की सेवा करना है। सेवक जब सेवा का वजन ना माने और सेवा से यदि उसको प्रसन्नता और सतुष्टि मिले तो ये सेवा उपासना रहित सेवा है। सेवा से ही सिद्धि है और सेवा से ही सफलता है। गुरु महाराज जी ने कहा कि बिन मांगे वस्तु मिले तो वो अमृत के समान है। यदि मांग कर वस्तु लेते हो तो पानी के समान है और जबरदस्ती मांगी गई या ली गई वस्तु तो भिष्टा के समान है। गुरु महाराज जी ने कहा कि जीवन चाहे एक दिन का क्यों ना हो लेकिन नेक काम करो।