-कमलेश भारतीय जेल के नाम से अच्छे भले आदमी की रूह कांप जाती है । फिर मंत्री की क्या कहें या किसी बाबा की बात करें ! अभी दिल्ली के मंत्री सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल में बंद हैं और हरियाणा के दुष्कर्म आरोपी एक बाबा सुनारिया जेल में बंद हैं । पैरोल खत्म होने पर फिर से सलाखों के पीछे पहुंचे हैं । सत्येंद्र जैन ने अर्जी लगाई थी कि उन्हें उनकी धार्मिक आस्था के अनुसार घर से विशेष भोजन मंगवाने की इज्जत दी जाये जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि तिहाड़ जेल में पहले ही सत्येंद्र जैन की बहुत खातिरदारी हो रही है । कोर्ट ने कहा कि जेल के रिकाॅर्ड के अनुसार जेल अधिकारी उनकी खातिरदारी कर रहे थे । उन्हें मनपसंद फल , सब्जियां और ड्राई फ्रूट तक मुहैया करवा रहे थे ! मजेदार बात कि जैन ने लिखा कि उनका वजन 28 किलो कम हो गया है । इस पर जज ने कहा कि इसके लिए आप खुद जिम्मेदार हैं , जेल प्रशासन नहीं क्योंकि आप नियमित भोजन नहीं कर रहे ! यदि आप अपनी धार्मिक आस्था के अनुसार भोजन चाहते हैं तो लिखकर दे दीजिए , विचार किया जायेगा ! इस तरह सुनारिया जेल में बंद बाबा ने खेती करने की छूट मांगी थी ! कहा याचिका में कि किसान हूं और डेरे पर मेरी फसल खारिज हो रही है , मुझे वहां जाने की छूट दी जाये लेकिन कोर्ट ने यह बात नहीं मानी थी लेकिन बाबा अभी चालीस दिन की पैरोल काट कर आये हैं और इन चालीस दिनों में एक बार भी कहीं खेती संभालते हूए नजर नहीं आये ! हाँ , कोई और फसल जरूर काट रहे थे जिनके लिए उन्हें पैरोल दी गयी थी और ऑनलाइन सत्संग कर शुभाशीष जरूर दे रहे थे और जाने से पहले हनीप्रीत के साथ अपना नया गाना भी लांच करते गये ! है न जेल के नियम मजेदार ! अच्छे चाल-चलन की निशानी ! वैसे कभी हम उत्तरप्रदेश के राजा भैया और बिहार के पप्पू यादव के जेल के किस्से सुना करते थे कि कैसे ये नेता लोग अपना पूरा कारोबार जेल से ही चलाते थे और जेल के नियमों को धत्ता दिखाते थे । यहां तक कि जेल में पार्टियां तक होती थीं ! फिल्मो में भी ऐसे दृश्य आम दिखाये जाते रहे हैं । सबसे बड़े ठग चार्ल्स शोभराज ने एक बार बहुत ही मजेदार खुलासा किया था कि कैसे वह जेल से फरार होने में कामयाब हो जाता था ! शोभराज ने बताया था कि मैं जेल अधिकारियों की कमजोरी बारीकी से भांप लेता था और उन्हें उसी तरह खुश करता था और जेल से फरार होने में वे मेरी मदद करते थे । एक बार तो सिर्फ एक मिठाई के डिब्बे को भेंट कर मैं फरार होने में सफल हो गया था ! यह है जेलों के अंदर का सच । अब बाबा तो सिर्फ पैरोल पर ही जाते हैं और सत्येंद्र जैन ने तो सिर्फ घर का खाना ही मांगा है ! कोई हीरे मोती तो नहीं मांग लिये ! भाई घर का खाना ही मिलने लगा तो फिर जेल किस चिड़िया का नाम है ?-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation उत्तम स्वास्थ्य हमारे जीवन का सर्वश्रेष्ठ हिस्सा : डॉ कमल गुप्ता हरियाणा लेखक मंच ……….. हरियाणा की कथा व कविता पर विचार-मंथन