सक्रिय राजनीति में पहली बार आने पर मिले नए राजनीतिक अनुभव

लोकतंत्र में मतदाता का फैसला होता है सभी उम्मीदवारों के सर्वमान्य

यदि ग्रामीणों के द्वारा जिम्मेदारी सौंपी तो पूरी ईमानदारी से होगा काम

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम ।   जिला परिद चेयरमैन पद के लिए चौधर या फिर चेयर पर्सन के लिए मतगणना 27 नवंबर संडे को होना निश्चित हुआ है । इसमें सबसे महत्वपूर्ण पद जिला परिषद चेयरमैन का ही है । गौरतलब है कि जिला परिषद चेयरमैन पद महिला अनुसूचित वर्ग के लिए आरक्षित रहा और वार्ड नंबर 9 भी महिला अनुसूचित वर्ग के लिए ही आरक्षित रहा है। इसी वार्ड से विजेता महिला उम्मीदवार की ताजपोशी सीधी जिला परिषद चेयरमैन के पद पर होना तय है ।

वार्ड नंबर 9 पटौदी के ही पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी की पुत्री सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट पर्ल चौधरी के द्वारा पहली बार सक्रिय राजनीति में भाग लेते हुए पंचायती राज व्यवस्था और पंचायती राज एक्ट के तहत अपने निर्वाचन क्षेत्र के 27 गांवों के ग्रामीणों के बीच उनके मूलभूत अधिकार , किस प्रकार से ग्रामीण विकास कार्य करवाए जा सकते हैं और क्या-क्या पंचायती राज एक्ट और व्यवस्था में ग्रामीण विकास के लिए व्यवस्था कानून और पंचायती राज एक्ट में की गई है। इन्हीं मुद्दों को लेकर ग्रामीणों के बीच जन समर्थन जुटाया गया । यहां मुख्य मुकाबले में भारतीय जनता पार्टी की मधु सारवान , जननायक जनता पार्टी से विधानसभा चुनाव लड़ चुके दीपचंद की पुत्री दीपाली चौधरी, पूर्व एमएलए रामवीर सिंह की पुत्रवधू अनु पटौदी तथा अतीत में दीपचंद के जिला पार्षद चुनाव में उनके जबरदस्त मुकाबिल रहे महेश खनगवाल की पत्नी संगीता कुमारी के बीच मुकाबला आका जा रहा है । मतगणना के बाद फैसला 27 नवंबर संडे को आना है , ऐसे में सभी उम्मीदवार विशेष रुप से भाजपा खेमा चुनाव परिणाम को लेकर कुछ अधिक ही बेचौन और चिंतित महसूस किया जा रहा है। इसके एक नहीं विभिन्न कारण रहे । जिनका पहले खुलासा हो चुका , अब और अधिक गहराई में जाने की जरूरत भी नहीं । अभी तक जो वार्ड नंबर 9 से चर्चा निकलकर सामने आ रही है , उसमें सबसे अधिक पलड़ा भारी जननायक जनता पार्टी के नेता दीपचंद की पुत्री दीपाली चौधरी जिस के समर्थन में जननायक जनता पार्टी के ही दिग्विजय सिंह चौटाला के द्वारा चुनाव प्रक्रिया से पहले जिताने का आह्वान किया गया , उनकी दावेदारी को सबसे अधिक प्रबल माने जा रहा है । लेकिन जिस प्रकार से राव इंद्रजीत सिंह के कट्टर समर्थक कार्यकर्ता और कांग्रेस पार्टी के चुनाव लड़ने वाले नेताओं की खामोशी या फिर उनकी चुनाव प्रक्रिया से दूरी बनाए रखना भी कहीं ना कहीं एक प्रकार से साइलेंस बोर्ड के रूप में निर्णायक भूमिका के रूप में देखा जा रहा है ।

इसी कड़ी में पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी की पुत्री सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट पर्ल चौधरी के द्वारा संडे को होने वाली चुनाव परिणाम के लिए मतगणना से पहले हुई बातचीत के दौरान उन्होंने साफ साफ शब्दों में कहा की लोकतंत्र में मतदाता और वोटर ही सर्वाेपरि ताकत होता है । जोकि अपने एक-एक वोट का बहुत ही सोच समझ कर अपने क्षेत्र के विकास सहित नेताओं की योग्यता और उनके पारिवारिक पृष्ठभूमि को भी ध्यान में रखकर ही आज के समय में मतदान करने के लिए प्राथमिकता प्रदान करने में विश्वास करता है । उन्होंने कहा मुझे न तो जिला परिषद चुनाव परिणाम में जीत मिलने की स्थिति में किसी प्रकार की पहले से ही कोई उमंग है और यदि चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं भी रहते हैं , तो इस बात की कोई टेंशन भी नहीं है । सही मायने में सक्रिय राजनीति में आने का उनका यह पहला अनुभव रहा । हालाकी वह सीधे-सीधे राजनीतिक पृष्ठभूमि के परिवार से संबंध रखती हैं और उनके पिता पूर्व एमएलए भूपेंद्र चौधरी लंबे समय से सक्रिय राजनीति में रहते हुए पटौदी का हरियाणा की विधानसभा में प्रतिनिधित्व करते हुए अनेक विकास कार्य जोकि मील के पत्थर साबित हो रहे हैं , उनके द्वारा किए भी गए हैं । पर्ल  चौधरी ने कहा अब इस बात का खुलासा या फिर फैसला 27 नवंबर संडे को ही होगा , जोकि वार्ड नंबर नौ के विभिन्न 27 गांव के ग्रामीणों और मतदाताओं के द्वारा चुनाव मैदान में उतरे सभी नौ उम्मीदवारों के लिए किया जा चुका है ।

उन्होंने इतना जरूर विश्वास के साथ कहा जिस प्रकार से चुनाव प्रचार के दौरान ग्रामीणों का विशेष रुप से गरीब पिछड़े वर्ग सहित 36 बिरादरी का समर्थन मिलता दिखाई दिया , उसे देखते हुए पूरी तरह से चुनाव परिणाम को लेकर निराश भी नहीं है । उन्होंने कहा यदि जिस प्रकार से ग्रामीणों के द्वारा अपना भरोसा और विश्वास पर्ल चौधरी पर जाहिर किया गया है , उसे देखते हुए ग्रामीणों के विश्वास की कसौटी पर खरा उतरते हुए चुनाव परिणाम पक्ष में सकारात्मक रहते हैं, तो मिलने वाली नई जिम्मेदारी के लिए वह पूरी तरह से तैयार भी है । लेकिन जीत निश्चित है , इस बात का दावा करना मतगणना का परिणाम आने से पहले कतई भी राजनीतिक दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता । क्योंकि आज के समय में बड़ी संख्या ऐसे मतदाता अथवा वोटर की है , जोकि अपने निर्णायक वोट अंतिम समय में ही किस उम्मीदवार को देने हैं , इसका फैसला करने में अधिक विश्वास भी करते दिखाई दे रहे हैं ।

उन्होंने कहा लेकिन इतना अवश्य है कि जिला परिषद के चुनाव परिणाम जो भी रहे, आने वाले समय में पटौदी देहात के ग्रामीण इलाके में योजनाबद्ध तरीके से काम करने, ग्रामीणों को जागरूक करने ,शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, स्वरोजगार , सेल्फ स्टडी ग्रुप अन्य विषयों को लेकर पूरी तरह से होमवर्क किया गया है। इन्हीं मुद्दों को लेकर आने वाले समय में ग्रामीणों के बीच में नियमित सिर पहुंचकर देहात में एक प्रकार से ग्रामीणों के मूलभूत अधिकारों सहित सरकार के द्वारा उपलब्ध करवाई जा रही सुविधाओं को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाने का संकल्प अवश्य किया हुआ है। जिससे कि ग्रामीण अंचल के लोग विशेष रूप से युवा वर्ग , युवतियां और महिलाएं शिक्षा , स्वास्थ्य और स्वावलंबन के क्षेत्र में जागरूक हो सके । मुख्य रूप से इसी मुद्दे पर ही काम किया जाने की योजना तैयार की गई है। 

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