भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। पंचायती चुनाव अंतिम चरण में जा रहे हैं। कल चार जिलों में पंचायती चुनाव होंगे और 25 को जिला परिषद को तथा 27 को आएगा परिणाम।

प्रदेश भाजपा ने निर्णय लिया था कि यह चुनाव चुनाव चिन्ह पर लडऩा है या नहीं, इसका फैसला जिला संगठन करेंगे। गुरुग्राम में चुनाव चुनाव चिन्ह पर लड़ा गया है। इसके पीछे भी बड़ा रहस्य नजर आता है, क्योंकि पहले तो जिला भाजपा ने बिना सिंबल के ही चुनाव लडऩे का निर्णय लिया था लेकिन अंतिम क्षणों में उन्होंने सिंबल पर लडऩे की घोषणा की। ऐसा हुआ क्यों? यही रहस्य है।

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इसकी शुरुआत जिला परिषद के वार्ड नंबर 9 में जब विधायक सत्यप्रकाश जरावता ने मधु सारवान को आशीर्वाद दिया तब से हुई। विचारनीय है कि जब उन्होंने मधु सारवान का समर्थन किया, तब मधु सारवान भाजपा की सदस्य भी न थी। इसके पीछे चर्चाओं से ज्ञात हुआ राव इंद्रजीत सिंह हैं। वैसे भी माना जाता है कि पटौदी राव इंद्रजीत सिंह का समर्थक क्षेत्र है और ऐसे में यह संभावनाएं लग रही थीं कि जिला परिषद पर राव इंद्रजीत के समर्थकों का बहुमत आ जाएगा।

इसी बात को सोचते हुए राव इंद्रजीत के विरोध में राजनीति करने वाले सक्रिय हुए, जिसमें राव नरबीर का नाम भी लिया जा रहा है। माना यह जा रहा है कि मधु सारवान सत्यप्रकाश जरावता की नहीं अपितु राव नरबीर की पसंद थी और राव नरबीर के निर्देशानुसार सत्यप्रकाश जरावता ने उनका समर्थन किया तथा इनके विपक्ष में राव इंदजीत सिंह समर्थक चुनाव न लड़ सकें, इसलिए हाईकमान से बात कर चुनाव चुनाव चिन्ह पर लडऩे का फैसला लिया। इससे जिन्हें भाजपा का टिकट मिल गया, वह तो चुनाव लड़ें और जो दूसरे भाजपाई चुनाव लडऩा चाहते थे, वे इसलिए न लड़ पाएं कि पार्टी का अनुशासन भंग होगा और अनुशासन भंग की सजा उन्हें पार्टी से निष्कासित कर भी मिल सकती है। कुछ नामांकन चुनाव चिन्ह आवंटित करने के बाद भाजपा द्वारा वापिस भी कराए गए।

चुनाव में यह स्पष्ट दिखाई दिया कि पूर्व मंत्री राव नरबीर सिंह वहां प्रचार करके आए, जबकि जिला संगठन की ओर से जिला अध्यक्ष या उनकी टीम द्वारा औपचारिकता निभाती ही नजर आई। चुनाव के बारे में कहा जाता है कि मुकाबला कांटे का है। अब भी यह माना जा रहा है कि मुकाबले पर राव इंद्रजीत सिंह समर्थक ही हैं।

ऐसी स्थिति में चुनाव परिणाम यदि भाजपा के पक्ष में न आए तो इसके मंथन में इस निर्णय के लिए किसे जिम्मेदार माना जाएगा हाईकमान को, राव नरबीर को, जिला कार्यकारिणी को या फिर सत्यप्रकाश जरावता को?

सत्यप्रकाश जरावता अपने गुरू लगातार बदलते रहे हैं। पहले उदित राज फिर राव बीरेंद्र सिंह, राव इंद्रजीत सिंह और वर्तमान में मुख्यमंत्री मनोहर लाल या राव नरबीर। कहते तो वह मुख्यमंत्री मनोहर लाल को गुरू हैं। कहा जाता है कि पीछे से लडऩे वालों का हार-जीत में नाम नहीं आता और भुगतना सामने वाले मोहरे को ही पड़ता है।

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