दैनिक भास्कर में छप चुका है 21 अक्टूबर को यह समाचार
विनोद हत्या मामले में दो आरोपियों को माननीय न्यायालय के द्वारा उम्र कैद की सजा व ₹ 1,00,000/- का जुर्माना लगाया।

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल। सरकार और अपने अधिकारियों की नजर में प्रशंसा लूटनी हो तो वह पुलिस विभाग के पीआरओ से सीख ले सकता है। यह महाशय इतने पारंगत हैं कि 1 माह पूर्व प्रकाशित समाचार को दोबारा से प्रेस नोट भेज कर वही वही लूटने में पीछे नहीं रहते। आज उनकी तरफ से जारी किया गया उपरोक्त समाचार निम्न है जो कि दैनिक भास्कर महेंद्रगढ़ संस्करण में 21 अक्टूबर को प्रकाशित हो चुका है।

विनोद पुत्र रामकिशन वासी खारीवाड़ा अटेली की हत्या मामले में दो आरोपियों को माननीय श्री सुधीर जीवन, अतिरिक्त सैशन जज नारनौल की कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्र कैद (धारा 302 भारतीय दंड संहिता के तहत कठोर कारावास और ₹ 1,00,000/- का जुर्माना ) की सजा सुनाई। कोर्ट ने दोनों आरोपियों पर कुल ₹ 1,00,000/- (पचास–पचास हजार रुपए दोनों) का जुर्माना भी लगाया।

इस मामले में थाना अटेली ने वर्ष 2018 में अभियोग पंजीबद्ध किया था। मामले की सुनवाई माननीय न्यायालय में हुई, सुनवाई के दौरान माननीय न्यायालय ने मामले को बहुत ही संगीन माना और दोषी की सजा में कोई नरमी नहीं बरती। मामले के अनुसार वर्ष 2018 में थाना अटेली को एक शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें मृतक विनोद के पिता ने थाना अटेली पुलिस को एक शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें शिकायतकर्ता ने बताया कि शाम के समय गांव में लाइट ना होने के कारण उसका बेटा छोटे बच्चे को गोद में खिला रहा था। उसी दौरान आरोपियों ने उसके बेटे को डंडे, पत्थरों से चोटे मारी थी। जो इलाज के दौरान विनोद की मृत्यु हो गई थी।

थाना अटेली पुलिस के द्वारा बिना किसी विलंब के अभियोग अंकित किया गया तथा जांच इकाई के द्वारा महत्वपूर्ण साक्ष्यों का आकलन कर अभियोग में प्रभावी कार्यवाही करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय के सम्मुख पेश किया गया था। जो माननीय न्यायालय ने अभियोग में सुनवाई करते हुए आरोपी मुंशी सिंह और आरोपी उमेश को उम्र कैद की सजा व पचास–पचास हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई गई।

यह समाचार तो पुराना है बहुत पहले प्रकाशित हो चुका है 20 अक्टूबर को अदालत ने सजा सुनाई थी 21 अक्टूबर को सभी समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुका है। अब कोई इनपीआर महोदय से पूछे कि इस समाचार को दोबारा से प्रकाशित करवाने का औचित्य क्या है?

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