-उपभोक्ता फोरम ने संज्ञान लेकर लगाया है यह जुर्माना
-संयुक्त आयुक्त ने भी नहीं की कोई कार्रवाई

गुरुग्राम। नगर निगम की ओर से एक बिल को दुरुस्त करने में एक साल का समय लगा दिया गया। पीडि़त ने इसकी शिकायत जिला उपभोक्ता फोरम में की तो इस मामले में फोरम में कड़ा संज्ञान लिया। उपभोक्ता के हित में निर्णय देते हुए फोरम ने नगर निगम पर 15 हजार रुपये का जुर्माना ठोंका है। 

जानकारी के अनुसार समाजसेवी व जिला कष्ट निवारण समिति के सदस्य रविंद्र जैन एडवोकेट द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम में नगर निगम के खिलाफ शिकायत दी। जिला उपभोक्ता फोरम के प्रधान संजीव जिंदल द्वारा इस शिकायत का समर्थन किया गया। शिकायत में कहा गया कि एक बिल को ठीक करने के लिए नगर निगम से 12 महीने यानी एक साल का समय लगा दिया है। इससे उन्हें मानसिक परेशानी होने के साथ कानूनी खर्चे करने पड़े। 

रविंद्र जैन के अनुसार उनके घर का पानी का बिल 33000 रुपये का बिल आया था। वह पूरी तरह से गलत था। उनका पहले तो पानी की बिल 100-200 रुपये आता था, लेकिन 33000 रुपये का बिल भेजकर उन्हें मानसिक परेशानी में डाल दिया गया। इस बाबत उन्होंने नगर निगम के एसडीओ, एक्सईएन, संयुक्त आयुक्त आदि अधिकारियों से की। इसके बाद भी कोई कुछ नहीं कर पाया। छह महीने तक उनका मामला नगर निगम में अधिकारियों के बीच फंसा रहा। हारकर रविंद्र जैन ने जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया। तब नगर निगम आयुक्त मुकेश कुमार आहुजा ने आदेश देकर पिछले एवरेज के हिसाब से बिल दुरुस्त करने को कहा। ठीक करके बिल 5000 रुपये कर दिया गया। रविंद्र जैन ने यह मामला उपभोक्ता फोरम में डाल दिया। फोरम ने उनकी एडवोकेट प्रज्ञा गोयल की दलील पर नगर निगम पर लापरवाही पाते हुए कड़ा संज्ञान लिया। नगर निगम पर 15000 रुपये का जुर्माना ठोंका गया। साथ ही कहा गया कि उपभोक्ताओं को इस तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।

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