– बंदियों को कानूनी सहायता मुहैया करवाने की प्रक्रिया की करी समीक्षा गुरूग्राम, 15 नवंबर। कार्मिक, सार्वजनिक शिकायत तथा कानून एवं न्याय के लिए गठित संसदीय स्थाई समिति ने राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण अधिनियम के तहत जेल में बंदियों को दी जा रही कानूनी सहायता के कार्य की समीक्षा करने लिए मंगलवार को गुरूग्राम जिला की मॉडल जिला जेल भौंडसी का दौरा किया। समिति ने देखा कि किस प्रकार से जेल बंदियों को विधिक सेवाएं प्राधिकरण कानूनी सहायता मुहैया करवाकर मदद कर रहा है। राज्य सभा सांसद तथा बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता में इस 11 सदस्यीय समिति ने भौंडसी जेल का दौरा कर यह समझने का प्रयास किया कि जेल मंे बंद बंदियों को किस प्रकार से कानूनी सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। उसकी प्रक्रिया क्या है, जेल में बंदियों से अधिवक्ता कैसे संपर्क करते हैं आदि विषयों को समिति ने बारीकि से समझा। समिति के अन्य सदस्यों में राज्यसभा सांसद श्री के रविंद्र कुमार, श्रीमति दर्शना सिंह, श्री पी विलसन के अलावा लोकसभा सांसद श्री कल्याण बेनर्जी, श्रीमति वीना देवी, श्री जसबीर सिंह गिल, श्री रघुराम कृष्ण राजु कनुमुरू, श्री मलुक नागर, श्री उपेंद्र सिंह रावत, श्रीमति संध्या रे शामिल थे। इस समीक्षा के दौरान इस संसदीय समिति ने जेल के विभिन्न हिस्सों जैसे जेल रेडियों, स्किल डिवलेपमेंट सैंटर, धुन प्रोजेक्ट, लीगल केयर एवं स्पोर्ट सैंटर, महिला बैरेक, भोजनालय, अस्पताल आदि जगहों का निरीक्षण किया। इस दौरान समिति के समक्ष नालसा के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन ने नालसा की गतिविधियों पर आधारित प्रेजेंटेशन दी। हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण तथा डीएलएसए गुरूग्राम की ओर से सीजेएम ललिता पटवर्धन ने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए समस्त गतिविधियों को रेखांकित किया। श्रीमति पटवर्धन ने दर्शाया कि किस प्रकार से व्यक्ति के गिरफतार होने से लेकर जेल में बंदी के तौर पर रखे जाने और उसकी रिहाई तक विधिक सेवाएं प्राधिकरण यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी व्यक्ति कानूनी सहायता से वंचित ना रहे। उन्होंने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायधीश, सीजेएम तथा अन्य न्यायिक अधिकारी समय-समय पर जेल का दौरा करते हैं और बंदियों से वार्तालाप करके यह पता लगाने का प्रयास करते हैं कि किसी को कानूनी सहायता की आवश्यकता तो नही है। उन्होंने बताया कि जिन बंदियों के अधिवक्ता नहीं होते उनके लिए विधिक सेवाएं प्राधिकरण पैनल अधिवक्ताओं में से अधिवक्ता मुकर्र करता है। इस प्रकार यह सुनिश्चित किया जाता है कि न्याय प्राप्त करने से कोई भी व्यक्ति वंचित ना रहे। उन्होंने यह भी बताया कि बंदियों को उनके अधिकारांे के बारे में जागरूक करने के लिए जागरूकता शिविर भी जेल में लगाए जाते हैं। नालसा के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन ने बताया कि तकनीक के प्रयोग से सभी को सुलभता से न्याय दिलवाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि लोगों को सस्ता व सुलभ न्याय दिलवाने के लिए लोक अदालतों का आयोजन करवाया जा रहा है। जेल विभाग के पुलिस महानिदेशक मोहम्मद अकिल ने बताया कि हरियाणा प्रदेश में 20 जेल हैं जिनमें से तीन सैंट्रल जेल तथा 17 जिला जेल हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 17 जेलों में वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की सुविधा उपलब्ध हैं जहां पर न्यायालय सीधे बंदी की सुनवाई जेल परिसर से कर सकता है। जेल विभाग के पुलिस महानिरीक्षक बी सतीश बालन ने हरियाणा की जेलों पर आधारित प्रेजेंटेशन देकर जेलों में बंदियों को दी जा रही सुविधाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस दौरे में संसदीय स्थाई समिति के साथ हरियाणा के जेल विभाग के पुलिस महानिदेशक मोहम्मद अकिल के अलावा, पुलिस महानिरीक्षक बी सतीश बालन व जगजीत सिंह, राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नालसा) के सदस्य सचिव अशोक कुमार जैन, हरियाणा विधिक सेवाएं प्राधिकरण के सदस्य सचिव सुभाष महला, गुरूग्राम के जिला एवं सत्र न्यायधीश तथा जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण (डीएलएसए) के अध्यक्ष सूर्य प्रताप सिंह, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी एवं डीएलएसए की सचिव ललिता पटवर्धन, जिला उपायुक्त निशांत कुमार यादव, भौंडसी जेल के अधीक्षक हरेंद्र सिंह, फरीदाबाद जेल के अधीक्षक जयकिशन छिल्लर, रोहतक जेल के अधीक्षक सुनील सांगवान सहित कई एनजीओ तथा जेल प्रशासन से जुडे़ अधिकारीगण उपस्थित थे। Post navigation भारतीय वायु सेना ने अग्निवीर वायु चयन परीक्षा के लिए आमंत्रित किए ऑनलाइन आवेदन संस्कारों से ही होती है परिवार की पहचान: देवर्षि सचान