-कमलेश भारतीय खेल, फिल्म और राजनीति सब कुछ गड्डमड्ड हैं । आज से नहीं काफी पहले से ही । इस बार गुजरात में खेल और राजनीति में नयी नयी जुगलबंदी हुई है । क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की धर्मपत्नी रीवाबा जडेजा को भाजपा ने अपनी प्रत्याशी बनाया है । इस तरह रवींद्र जडेजा के फैन्स को अपने जाल में फंसाया है । ऐसे ही युवा चेहरे हार्दिक पटेल को भी भाजपा ने टिकट दिया है लेकिन अभी अल्पेश ठाकोर का नम्बर नहीं लगा । ये दोनों पिछली बार कांग्रेस के समर्थन में थे । अल्पेश ने कांग्रेस ज्वाइन नहीं की थी जबकि पाटीदार आंदोलन के बड़े चेहरे के रूप में उभरे हार्दिक पटेल कांग्रेस में शामिल हो गये थे लेकिन तब विधानसभा चुनाव लड़ने लायक उम्र न थी । जब उम्र हुई तो भाजपा में शामिल हो गये । इस तरह पाटीदार आंदोलन का फायदा भी भाजपा को ही मिलने वाला है । वैसे एक समय सपना चौधरी भी एक ही दिन में पलटी मारने वालों में शामिल है । प्रियंका गांधी से मिली और फोटो वायरल हुआ और फिर मनोज तिवारी सपना को भाजपा का सपना दिखाकर वहां ज्वाइन करवाने ले गये । सपना चौधरी को टिकट फिर भी न मिली और भाजपा को नागपुर के आर एस एस मुख्यालय से डांट अलग पड़ी कि ऐसे लोगों को शामिल कर क्या छवि बना रहे हो ? हालांकि कहा यही गया था कि सपने की उम्र चुनाव लड़ने लायक नहीं थी ! इस तरह सेलिब्रिटीज को राजनीतिक दल लगातार अपने पाले में लाने की कोशिश करते रहते हैं । गायक हंसराज हंस कभी अकाली दल तो कभी कांग्रेस से होते हुए भाजपा में आए और दिल्ली से सांसद भी बन गये । ऐसे ही क्रिकेटर गौतम गंभीर भी दिल्ली से भाजपा सांसद हैं । कभी दिल्ली से राजेश खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा भी आमने सामने लोकसभा चुनाव लड़े थे । आजकल शत्रुघ्न ममता बनर्जी की पार्टी से आसनसोल से सांसद हैं लेकिन दूसरों को खामोश करने वाले खुद खामोश हैं ! पश्चिमी बंगाल का उदाहरण देखिए न ! प्रसिद्ध गायक बाबुल सुप्रियो पहले भाजपा में गये । सांसद बने । मंत्री बनाये गये । जैसे ही भाजपा ने मंत्री पद छीना , बाबुल रूठ गये । भाजपा छोडकर दीदी ममता बनर्जी के पास चले गये । दीदी ने ममता दिखाई और विधायक बनवा दिया । मिथुन चक्रवर्ती क्या नहीं बोले थे ? और फिर क्या हुआ ? पश्चिमी बंगाल जाना ही भूल गये ! हरियाणा में पहलवान बबिता फौगाट चरखी दादरी से भाजपा टिकट पर आईं मैदान में लेकिन राजनीति के दांव के आगे चित्त हो गयीं ! हाॅकी खिलाड़ी संदीप सिंह जरूर पिहोवा में जीते , खेलमंत्री भी बने लेकिन गुस्सा जल्दी आ जाता है ! नगमा , उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस में रहीं लेकिन फिर भ्रम टूट गया और हाथ झटक कर चलती बनीं । सोनू सूद खुद तो कांग्रेस में नहीं आये लेकिन मोगा से अपनी बहन मालविका को कांग्रेस की टिकट दिलवाई जरूर लेकिन सफलता न मिली । परगट सिंह भी कांग्रेस से विधायक बने थे लेकिन नवजोत सिद्धू के पिछलग्गू की भूमिका में आये तो आगे न बढ़ पाये ! लोकसभा चुनाव में गुरदासपुर से विनोद खन्ना के बाद भाजपा ने सन्नी द्योल को उतारा और वे जीते ! गुरदासपुर वालों को वह सांसद फिर न मिला जिसे वे आसानी से मिल सकें ! हेमामालिनी मथुरा से सांसद हैं ।रजनीकांत आते आते दादा फाल्के अवाॅर्ड लेकर ही खुश हो लिये ! जैसे जैसे चुनाव आगे बढ़ेगा वैसे वैसे सेलिब्रिटीज भी आते जायेंगे । इससे राजनीति का , जनता का कोई भला नहीं होता ! फिर भी यह दस्तूर जारी है !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation एचएयू के छात्र शुभम को मिला बेस्ट थीसिस अवार्ड वानप्रस्थ संस्था ने गंगवा स्थित स्वास्थ्य केंद्र में टी. बी. मरीजों को बांटे प्रोटीन युक्त पौष्टिक आहार किट्स