मतदान से पहले निर्णायक रात्रि में जुनून सहित जोश के लिए इस्तेमाल शराब की 20 प्रतिशत अतिरिक्त सेल के अलावा बाहर से भी आपूर्ति शराब के साथ साथ वोट के लिए नोट की भी चर्चा का बाजार गरम फतह सिंह उजाला गुरुग्राम । जब भी कोई बड़ी राजनीतिक इवेंट में शामिल कहे जाने वाले पॉलीटिकल रैली , जलसा या फिर चुनाव का माहौल । ऐसे में जोश और जुनून के लिए शराब का चोरी-छिपे अपने अपने तरीके से भरपूर इस्तेमाल सहित आपूर्ति भी मतदाताओं के बीच में होती ही है । सूत्रों के मुताबिक पंचायती चुनाव से लेकर जिला परिषद प्रमुख सहित पार्षदों के चुनाव का मतदान होने से पहले की रात तक स्थानीय स्तर पर शराब की बिक्री में 20 प्रतिशत तक अधिक सेल का होना आका गया है । इसके अलावा आसपास के जिलों से भी चोरी-छिपे जैसे तैसे जहां-जहां जो भी जिस भी उम्मीदवार यह समर्थकों के संपर्क हैं , उन स्थानों से भी शराब की आपूर्ति का काम होता रहता है । वैसे भी देखा जाए तो सर्दी के मौसम में चुनाव का माहौल तथा समर्थकों सहित समर्थकों के द्वारा मतदाताओं में जोश और जुनून को गर्म करने के लिए शराब को एक बहुत बड़ा वोट प्राप्त करने का टॉनिक माना गया है । यही कारण है कि जितना अधिक संभव हो सके , जैसे तैसे शराब का वितरण और आपूर्ति करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी जाती है । चुनाव के लिए मतदान से पहले चुनाव प्रचार समाप्त होने के साथ ही वोटर सहित समर्थकों के बीच शराब की आपूर्ति और वितरण अपने चरम पर पहुंच जाता है । इसी कड़ी में कथित रूप से सूत्रों के मुताबिक एक-एक वोट को प्राप्त करने के लिए नोट की भी चर्चा गरम है । अब कैसे और कितने मूल्य के नोट का वितरण वोट प्राप्त करने के लिए हो रहा है? यह चुनाव में उम्मीदवार की हैसियत सहित जहां कहीं से भी जैसे तैसे भी वोट प्राप्त हो सके , उन सभी हालातों पर निर्भर होता है । लेकिन इतना अवश्य है कि देहात की सरकार के चुनाव हो या फिर अपनी छोटी शहरी सरकार के चुनाव का समय हो । शराब के साथ ही नोट का वितरण वोट प्राप्त करने के लिए एक प्रकार से राजनीतिक शगुन के तौर पर ही देखा जाता है । दूसरी ओर ऐसे कार्यकर्ता और समर्थकों की भी कमी नहीं जो दिन भर भाग दौड़ करने के बाद दिन ढले जिनके द्वारा आराम करने के लिए शराब थकान मिटाने के लिए एक टॉनिक के तौर पर ही इस्तेमाल की जाती है । सूत्रों की माने तो चुनाव की घोषणा होने के साथ ही चुनाव के लिए मतदान होने से पहले की अंतिम रात को सबसे महत्वपूर्ण और कत्ल की रात भी कहा गया है । यही कारण है कि अंतिम समय में विशेष रुप से ऐसे मतदाताओं का विशेष रूप से ध्यान रखते हुए हर प्रकार से सेवा की जाती है । जिसके माध्यम से उम्मीदवारों के समर्थन और पक्ष में अधिक से अधिक मतदान किया या करवाया जा सके। Post navigation जिला परिषद चुनाव… पहले उम्मीदवार कमल का फूल और अंतिम समय में मोदी का मुखौटा ग्रामीणों के समर्थन और आश्वासन पर पूरा भरोसा: पर्ल चौधरी