किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए जरा भी काम नहीं कर रही पंजाब सरकार पराली प्रबंधन के लिए पंजाब को हरियाणा की तरह किसानों को देनी चाहिए प्रोत्साहन राशि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 25 प्रतिशत की कमी आई, पंजाब में 20% बढे पराली जलाने के मामले चंडीगढ़, 2 नवम्बर – हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान द्वारा की जा रही बयानबाजी को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने का हल निकालने के बजाय पंजाब के मुख्यमंत्री आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री किसानों को भड़का रहे हैं, उन्हें केंद्र सरकार पर अनर्गल आरोप लगाने की बजाय हरियाणा की तरह किसानों को राहत देकर पराली प्रबंधन करना चाहिए. मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में इस साल 25 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2022 में अब तक हरियाणा में पराली जलाने की महज 2249 घटनाएं सामने आई हैं जबकि पंजाब में इन घटनाओं में 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. पंजाब में अब तक पराली जलाने की 21500 घटनाएं सामने आई हैं।उन्होंने कहा कि हरियाणा की तरह पंजाब को भी पराली प्रबंधन के इंतजाम करने चाहिए। हरियाणा सरकार द्वारा पराली न जलाने व पराली के उचित प्रबंधन के लिए 1000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि का प्रावधान किया गया है। किसानों को पराली की गांठ बनाने के लिए 50 रुपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि और पराली प्रबंधन के उपकरणों पर सब्सिडी दी जाती है। किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के उपकरण 50 प्रतिशत तथा कस्टम हायरिंग सेन्टर पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसान करनाल और पानीपत के इथिनॉल टू प्लांट में पराली की गांठे बनाकर ले जाता है तो उन्हें 2 हज़ार रूपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाती है. अगर किसान किसी गौ शाला में पराली ले जाता है तो उसे 1500 रूपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है. यही नहीं रेड जोन क्षेत्र में पराली ना जलाने पर पंचायत को सरकार 10 लाख रूपये तक पुरस्कार देती है. पिछले वर्ष पराली प्रबंधन के लिए सरकार ने 216 करोड़ का प्रावधान किया था.मुख्यमंत्री ने कहा कि आप पार्टी के नेता पहले तो फ्री की घोषणाएं करते हैं और फिर उन्हें पूरा करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ देखते हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब और हरियाणा के किसानों को दोषी मानते थे और अब यह दोष सिर्फ़ हरियाणा के किसानों पर लगाया जा रहा है। यही हाल दिल्ली में यमुना का है जिसमें प्रदूषण इतना ज़्यादा है कि वह नाला बन कर रह गई है। आम आदमी पार्टी की सरकारों को चाहिए कि वह तुच्छ राजनीति करने की बजाए कुछ काम करके दिखाए ताकि जनता का भला हो सके।उन्होंने कहा कि पराली जलने की घटनाओं की मोनिटिरिंग सेटेलाइट से होती है और इसमें कोई दो राय नहीं है कि पंजाब सरकार राज्य में पराली प्रबंधन में पूरी तरह से फेल हुई है और अब वह अपनी नाकामी का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ रही है जो अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है. पराली का मुद्दा कई वर्षों से गंभीर है। पंजाब सरकार इसे लेकर जरा भी चिंतित नहीं है। पंजाब सरकार को किसानों को पराली ना जलाने के लिए हरियाणा की भांति प्रोत्साहित राशि देनी चाहिए ना कि उसे केंद्र सरकार या किसी और पर निर्भर रहना चाहिए। Post navigation हरियाणा में एमबीबीएस करने वाले छात्रों की बॉन्ड राशि का नहीं करना होगा भुगतान प्रदेश में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव के पहले चरण में 9 जिलों में पंच और सरपंच के लिए हुआ मतदान – धनपत सिंह