1810 एकड़ जमीन का मुद्दा……. जिला परिषद और पंचायत चुनाव में राजनीतिक नुकसान की टेंशन !

बुधवार को एमएलए जरावता ने जूस पिलाकर खत्म कराई भूख हड़ताल

भूख हड़ताली किसानों को दिया 15 तक समाधान का ठोस आश्वासन

भूख हड़ताल पर कासन के सरपंच सत्यदेव सहित अन्य किसान बैठे

किसानों के द्वारा लगाए गए किसान एकता जिंदाबाद गगनभेदी नारे

फतह सिंह उजाला

गुरुग्राम/मानेसर । जमीन तो जमीन होती है, फिर वह चाहिए किसी भी राजनीतिक दल के लिए सत्ता की जमीन हो या फिर अन्नदाता किसान के लिए मां के समान जमीन हो । जमीन को लेकर किसानों और सरकार के बीच विवादों का भी चोली दामन का साथ रहा है । इसी कड़ी में दिल्ली जयपुर नेशनल हाईवे के बगल में मौजूद मानेसर नगर निगम जो कि औद्योगिक क्षेत्र भी है , अब मानेसर सबडिवीजन भी बन चुका है । इसी मानेसर क्षेत्र के तहत आने वाले विभिन्न गांवों की 1810 एकड़ जमीन का मामला मौजूदा गठबंधन राज्य सरकार सहित सीएम मनोहर लाल खट्टर और एचएसआईडीसी के लिए जी का जंजाल बना हुआ है ।

कोई समाधान नहीं होता देख किसान बचाओ -जमीन बचाओ समिति के बैनर तले हरियाणा दिवस पर 1 नवंबर को गांव कासन के सरपंच सत्यदेव व अन्य किसानों के द्वारा भूख हड़ताल आरंभ कर दी गई । इधर 9 नवंबर से 12 नवंबर तक पंचायती राज चुनाव के लिए मतदान होना है , आचार संहिता को ध्यान में रखते हुए किसानों के द्वारा पहले ही साफ कह दिया गया था कि 14 नवंबर तक उनका शांतिप्रिय तरीके से भूख हड़ताल का क्रम जारी रहेगा । लेकिन इस भूख हड़ताल के लगातार चलते रहने से यह बात कहने में कोई संकोच नहीं कि सबसे अधिक राजनीतिक नुकसान सत्ता पक्ष भारतीय जनता पार्टी को ही झेलना पड़ सकता था । ऐसे में पटौदी के एमएलए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने पहल करते हुए बुधवार को धरना स्थल पर भूख हड़ताल किए बैठे किसानों के बीच पहुंच सत्यदेव सहित अन्य किसानों को अपने हाथों से जूस पिलाकर भूख हड़ताल को समाप्त करवाया । इसके साथ ही उन्होंने भूख हड़ताल पर बैठे सत्यदेव सरपंच कासन, भूपेंद्र बंटी लंबरदार कासन , राजू यादव कासन, राजेंद्र सहरावण , मुकेश जांगड़ा, चंद्र होलदार , मनतू पंडित, इमरत पहलवान , धर्मपाल प्रजापत , सुरेंद्र शर्मा, ओंकार बांस लांबी, सुंदर चौहान , अजीत पार्षद , राजवीर मानेसर, मोती वीरेंद्र यादव महिपाल यहित अन्य  किसानों का 15 नवंबर तक अपनी भूख हड़ताल को स्थगित करने का अनुरोध किया । इसके साथ ही उन्होंने यह ठोस आश्वासन भी धरना पर बैठे किसानों को दिया कि भूमि अधिग्रहण के मुद्दे को लेकर किसानों के द्वारा जो भी मांगे हैं , उन को ध्यान में रखते हुए 15 नवंबर तक मध्यस्था करते हुए बीते  137 दिन से किए जा रहे धरना और 1 नवंबर से आरंभ की गई भूख हड़ताल को ध्यान में रखते हुए पूरी तरह से समाधान करवा दिया जाएगा ।

सूत्रों सहित उपलब्ध अन्य जानकारी के मुताबिक इस बात से कतई भी इनकार नहीं किया जा सकता कि आने वाले 1 सप्ताह के दौरान होने वाले जिला परिषद प्रमुख सहित जिला पार्षदों के चुनाव जो कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा अपने चुनाव चिन्ह पर उम्मीदवार उतारकर लगवाए जा रहे हैं, वही और पंचायतों के भी चुनाव है। ऐसे में कहीं भाजपा संगठन को राजनीतिक नुकसान नहीं उठाना पड़े ? संभवत इसी बात की चिंता से परेशान होकर भूख हड़ताल समाप्त करवाने का कदम उठाते हुए बिना देरी किए पहल की गई । जबकि किसान बचाओ जमीन बचाओ संघर्ष समिति और हरियाणा सरकार के मुखिया सीएम मनोहर लाल खट्टर के बीच आधा दर्जन से अधिक बार जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को लेकर बातचीत हो चुकी है । जिसका कोई भी नतीजा नहीं निकलने से प्रभावित किसानों के बीच में नाराजगी प्रति दिन बढ़ती ही चली जा रही है । दूसरी ओर इस बात से भी इनकार नहीं की आने वाले कुछ ही महीने में मानेसर, गुरुग्राम और फरीदाबाद के नगर निगम चुनाव होना भी प्रस्तावित है ।

राजनीतिक दल और राजनीतिक नेता जो भी कोई फैसला या कार्य करते हैं सबसे पहले उसका राजनीतिक नफा नुकसान का आकलन किया जाना ही प्राथमिकता में शामिल होता है । सीएम मनोहर लाल खट्टर से किसान बचाओ-जमीन बचाओ संघर्ष समिति के प्रतिनिधिमंडल की आधा दर्जन बार हुई नाकाम बातचीत के अतिरिक्त प्रभावित किसानों के द्वारा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम भी अपने-अपने ज्ञापन सोपें जा चुके हैं , लेकिन मामला जहां से चला था आज भी वहीं पर ही अटका हुआ है। अब देखना यह है कि जिस अति आत्मविश्वास के साथ बुधवार को पटौदी के एमएलए और भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश सचिव एडवोकेट सत्य प्रकाश जरावता ने धरना स्थल पर पहुंचकर किसानों को जूस पिलाकर उनकी भूख हड़ताल को समाप्त करवाया और 15 नवंबर तक जमीन के मुद्दे का समाधान कराने का भरोसा दिया है। क्या वह किसानों से किए गए इस वायदे पर कितना खरा उतर सकेंगे , यह तो 15 नवंबर के बाद ही तय हो सकेगा ? लेकिन इतना अवश्य कहा जा सकता है कि जिस मांग को लेकर पहले दिन से किसान 1810 एकड़ और 1128 एकड़ जमीन को लेकर यह मांग करते आ रहे हैं कि जमीन को अधिग्रहण के दायरे से मुक्त की जाए या रिलीज की जाए । यदि सरकार सहित एचएसआईडीसी को जमीन की बहुत अधिक आवश्यकता है तो इस जमीन का बाजार भाव के मुताबिक 11 करोड़ प्रति एकड़ का दाम भुगतान किया जाए । अब इसमें से कौन सी मांग किस हद तक किस पक्ष के द्वारा स्वीकार की जाएगी ? यह सब भविष्य के गर्भ में ही छिपा हुआ है । लेकिन कुल मिलाकर जिस प्रकार से पटौदी के एमएलए एडवोकेट जरावता ने बुधवार को किसानों की भूख हड़ताल जूस पिलाकर समाप्त करवाई , उस कार्य को एक मानवीय दृष्टिकोण से भी देखा जाना बहुत जरूरी है।

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