चुनाव में सार्वजनिक रूप से नगदी लेना और देना गैरकानूनीनगद राशि लेने पर चुनावी खर्च में शामिल करने का प्रावधान

फतह सिंह उजाला
गुरुग्राम । 
आगामी 9 नवंबर और 12 नवंबर को पंचायती राज व्यवस्था के लिए मतदान होना है । नामांकन भरने और चुनाव चिन्ह आवंटन होने के बाद गांव की सरकार के मुखिया पद पर बैठने से लेकर जिला परिषद की चौधराहट सहित जिला पार्षद बनने के दावेदार उम्मीदवार सुबह से लेकर शाम तक अपना अपना चुनाव प्रचार गांव-गांव में पहुंचकर कर रहे हैं । चुनाव आयोग के मुताबिक चुनाव लड़ने के लिए बहुत ही जरूरी और महत्वपूर्ण गाइडलाइन सहित दिशा निर्देश भी जारी किए गए हैं, जिससे कि चुनावी प्रक्रिया संहिता चुनाव के दौरान सुचिता बनी रहे ।

लेकिन इसके विपरीत चुनावी दंगल में उतरे उम्मीदवारों पर नोटों की बरसात भी हो रही है । हैरानी इस बात को लेकर है कि सार्वजनिक रूप से नोटों की मालाएं पहनाई जा रही हैं, कथित रूप से नगदी भी भेंट की जा रही है । अब ऐसे में सवाल यह है कि जब चुनाव लड़ने के दौरान और चुनाव परिणाम आने से पहले ही इस प्रकार से नकदी सार्वजनिक रूप से लेते हुए सोशल मीडिया पर फोटो सहित वीडियो भी वायरल हो रहे हैं , तो ऐसे में चुनाव आयोग सहित चुनाव आचार संहिता उल्लंघन पर निगरानी रखने वालों की नजरें इस प्रकार के सार्वजनिक रूप से नगदी लेनदेन पर क्यों नहीं जा रही है ? उम्मीदवारों के निर्वाचन क्षेत्र में एक नहीं कई कई गांव शामिल हैं और इस दौरान चुनाव प्रचार करते हुए चुनाव खर्च के तौर पर समर्थकों के द्वारा दिल खोलकर उम्मीदवारों को नोटों की माला पहनाने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।

इस संदर्भ में जानकारी के मुताबिक साफ-साफ निर्देश दिए गए हैं कि पहली बात नगदी लेनदेन अनुचित तथा अस्वीकार्य है । यह चुनाव नियमावली का भी उल्लंघन माना गया है , दूसरा इसी कड़ी में जो भी नकदी उम्मीदवार के द्वारा स्वीकार की जाती है वह नकद राशि उम्मीदवार के चुनाव खर्च में शामिल करने का या गिनने का प्रावधान बताया गया है । इससे भी बड़ी हैरानी यह है कि जो भी उम्मीदवार चुनावी दंगल में इस समय अपनी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं , उनमें से अधिकांश उच्च शिक्षित पढ़े-लिखे उम्मीदवार हैं । अनेक उम्मीदवारों के परिजन चुनाव भी लड़ चुके हैं और चुनाव में इस प्रकार की सुचिता अपनाई जानी चाहिए, इस बात से भी भलीभांति परिचित होने से इनकार नहीं किया जा सकता । लेकिन फिर भी चुनावी सीजन में समर्थकों के द्वारा चुनावी खर्च के तौर पर अपने अपने पसंद के उम्मीदवारों को नकदी के रूप में नोटों की माला पहनाने सहित नगद राशि देने का सिलसिला मतदान के नजदीक आते-आते और तेज होता दिखाई दे रहा है ।

अब देखना यह है कि चुनाव खर्च पर्यवेक्षक, चुनाव पर्यवेक्षक तथा चुनाव संचालन करने वाले अधिकारी इस प्रकार के नगदी लेनदेन के मामले में क्या और किस प्रकार की कार्रवाई अमल में लाने की पहल कर सकेंगे। चुनाव के दौरान मतदाता और समर्थक किसी भी प्रकार से आकर्षित ना हो या अन्य किसी दूसरे को इस प्रकार के कार्य करके उकसाने का काम नहीं करें , यह भी चुनाव प्रक्रिया में ही शामिल है। जब चुनाव से पहले ही इस प्रकार सार्वजनिक रूप से नगदी का भुगतान किया जा रहा है। तो ऐसे में यह सवाल उठना भी स्वाभाविक है कि क्या उम्मीदवारों को मिल रही नकदी को अपने बैंक खाते में जो कि चुनाव आयोग के दिशा निर्देशानुसार अलग से खोला जाता है , वहां जमा करवाया जा रहा है ? यदि ऐसा नहीं है तो भी चुनाव नियमावली की अवहेलना ही माना जा सकता है।

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