-कमलेश भारतीय हरियाणा प्रदेश भाजपा के नव प्रभारी विप्लव देव ने आदमपुर के उपचुनाव को महाभारत से जोड़कर देखा और दिखाते कहा कि मुझे पांच गांवों की एक जनसभा से शुरूआत करने को कहा गया है । ये पांच गांव भर नहीं हैं बल्कि पांच पांडव हैं जो भाजपा प्रत्याशी का साथ देने आये हैं । आप जानते ही हैं कि हरियाणा महाभारत से जुड़ी पवित्र भूमि का प्रदेश है । हरियाणा के लोगों ने पानीपत में तीन तीन बड़ी लड़ाइयां भी झेलीं और देखीं । आप लोग बहुत जुझारू , जोशीले लोग हो । इसके बाद वे कांग्रेस पर हमला बोले कि हरियाणा में क्या केवल दो ही जाट हैं ? उनका इशारा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा की ओर था ! फिर आगे काग्रेस की गुटबाजी को निशाना बनाते सवाल किया कि क्या किरण चौधरी जाटनी नहीं हैं ? इस तरह इस महाभारत में कांग्रेस के अब तक आदमपुर न आने वाले स्टार प्रचारकों की ओर ध्यान दिलाया । जैसे पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सैलजा , पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी आदि की ओर इशारा कर गुटबाजी में फंसी कांग्रेस की पोल खोलने की कोशिश की लेकिन वे इतना भूल गये कि अभी तक भाजपा जजपा गठबंधन में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी सीधे तौर पर प्रचार करने नहीं आये हैं जबकि सभी जानते हैं कि एक लोकसभा चुनाव में दुष्यंत चौटाला व कुलदीप बिश्नोई आमने सामने प्रत्याशी थे जिस महाभारत में दुष्यंत चौटाला सबसे कम उम्र के सासंद बनने का दीपेंद्र हुड्डा का रिकाॅर्ड तोड़कर संसद में पहुंचे थे । हालांकि चुनाव शुरू होते ही यह नाराजगी सामने आई थी कि भव्य बिश्नोई के पोस्टरों में जजपा का कोई चेहरा नहीं दिखाई दे रहा । कुलदीप ने माफी मांगकर इन पोस्टरों को नये सिरे से बनवाने का वादा किया था । इसी प्रकार अभी पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से भव्य बिश्नोई ने भाजपा के बृजेंद्र सिंह के सामने चुनाव लड़ा और जमानत जब्त हुई । आज भव्य भी भाजपा की ओर से चुनाव में है । पोस्टर में भाजपा सांसद का चेहरा भी नहीं था । हालांकि इस पर सांसद बृजेंद्र ने कहा कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन प्रभारी विप्लव देव को यह तो पता चल गया होगा कि दूसरी पार्टी पर कुछ कहने या आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में भी झांक लेना चाहिए कि नहीं ? यह आदमपुर की महाभारत है । यहां अपने ही अपनों के खिलाफ आमने सामने खड़े हैं । सभी प्रत्याशी एक न एक समय कांग्रेस में थे । यह उपचुनाव होने की नौबत ही इसलिये आई कि कांग्रेस कुलदीप बिश्नोई की अंतरात्मा जाग उठी और राज्यसभा में अपनी ही पार्टी के खिलाफ वोट देकर विद्रोह कर दिया । सभी प्रत्याशी दलबदल में माहिर । क्या जेपी , क्या कुरड़ाराम नम्बरदार तो क्या सतेंद्र सिंह ! तो क्या नये नये भव्य बिश्नोई । सभी के सभी इस राजनीति के खेल में दलबदल कर खेल रहे हैं । इसलिए तो बृजेंद्र सिंह से पूछा गया कि आगे आप इसी भाजपा में रहेंगे ? अगला चुनाव किस दल से ? इस पर मीडिया को मुस्कुराते जवाब दिया कि राजनीति संभावनाओं का खेल है । अभी मैं जहां हूं , वहीं हूं । दूसरी ओर सतेंद्र सिंह ने बड़े जोश से कहा कि मैं विधानसभा से पहले ही शपथ लेने जा रहा हूं तो मीडिया की ओर से कहा कि आप एक शपथ ले लो आज ही कैमरे के सामने कि फिर दल नहीं बदलोगे ,,,,पर वही राजनीति संभावनाओं को खुला छोड़कर चल दिये मुस्कुराते हुए ! शपथ नहीं ली दलबदल नहीं करने की ! यह है महाभारत । यहां सभी कह रहे हैं कि आदमपुर में बाहर से लोग लाकर भीड़ जुटाई जा रही है । बाहर से प्रत्याशी लाये गये हैं । क्या आदमपुर में कोई नहीं मिला ? टिकट लेकर कोई बाहरी पैराशूट से आदमपुर क्यों उतारा गया ? कुलदीप बिश्नोई पर विदेश में रहने का आरोप तो नारा बना कि हमें तो न कलायती चाहिए , न विलायती चाहिए………… हमें तो हमारा हिमायती चाहिए ! इस तरह मजेदार दौर में आ पहुंचा है आदमपुर का महाभारत !यहां कोराना की विजय का श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को दिया जा रहा है तो सफाई कर्मियों की दस दिन से चल रही हड़ताल का ठीकरा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर पर फोड़ा जा रहा है । भाजपा नेताओं से सवाल पूछने पर वे कहते हैं कि आदमपुर के मुद्दों पर बात कीजिए । शिक्षा का मुद्दा उठाने पर एक दूसरे पर स्कूल बंद करने के आरोप प्रत्यारोप लगाये जाने लगते हैं ।आदमपुर के महाभारत के आखिरी दौर में बड़े बड़े नेता और बड़ी जनसभाएं होने वाली है ! तो अभी यह कलयुग की इक्कीस दिन की महाभारत है जबकि महाभारत अठारह दिन की थी ! सबके अपने अपने संजय हैं जो युद्ध के हाल सुना रहे हैं यानी हमारा मीडिया जो दिन रात इन नेताओं से भी ज्यादा सक्रिय है और उसके अपने कारण हैं । यह कहानी फिर कभी !-पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी । Post navigation आदमपुर उपचुनाव : भूपेंद्र सिंह हुड्डा और चौधरी भजन लाल की तीसरी पीढ़ी की दूसरी परीक्षा कांग्रेस से निकले प्रत्याशी तो नेतृत्व पर प्रश्नचिन्ह : सतेंद्र सिंह