सूर्य ग्रहण समय अवधि के दौरान धर्मावलंबियों द्वारा भजन कीर्तन
सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद सामर्थ्य अनुसार किया गया दान
मंगलवार को सूर्य ग्रहण के वजह से बंद रहे विभिन्न मंदिरों के पट
फतह सिंह उजाला
पटौदी । दीपावली के मौके पर और अमावस्या मंगलवार को वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण बच्चों से लेकर बुजुर्गों के बीच जिज्ञासा सहित उत्साह का विषय भी बना रहा। सूर्यग्रहण को लेकर भारतीय धर्म कर्म और सनातन संस्कृति सहित धर्माचार्य केकथन एवं वेद पुराणों में वर्णित सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम को लेकर भी लोगों में दिनभर जिज्ञासा बनी रही। सूर्य ग्रहण से पहले सूतक का समय आरंभ होने की वजह से मंगलवार को सूर्य उदय होने से पहले और सूर्य अस्त होने तक सभी मंदिरों और धार्मिक स्थानों के पट पूरी तरह से बंद रहे। इस दौरान वेद पुराणों में वर्णित मान्यताओं के मुताबिक धर्मावलंबियों के द्वारा विभिन्न प्रकार के परहेज भी किए गए। इतना ही नहीं धर्मावलंबियों और धर्म कर्म में आस्था रखने वालों के द्वारा भजन कीर्तन भी किया गया ।
पटौदी क्षेत्र में भी सूर्य ग्रहण दोपहर लगभग 2. 30 बजे आरंभ हुआ और इसका समापन दिन ढले हुआ । सर्दी के मौसम और दीपावली पर्व के मौके पर छोड़ी गई आतिशबाजी के कारण आसमान में फैले धुए के कारण सूर्य ग्रहण को बच्चों सहित बुजुर्गों व अन्य लोगों के द्वारा काले फिल्टर, काले ऐनक व अन्य सुरक्षा उपाय अपनाते हुए अपनी आंखों से भी सूर्य ग्रहण को देखा गया। खास बात यह रही कि बहुत से लोगों के द्वारा वर्ष के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को एक प्रकार से अपने अपने मोबाइल फोन में कैद करने की भी होड़ मची हुई देखी गई । सूर्य ग्रहण के चित्र अपने अपने मोबाइल में कैद करने के बाद इन फोटो को यार दोस्तों और अन्य परिजनों सहित परिचितों के पास भी खूब शेयर किया गया।
सूर्य ग्रहण समाप्त होने के साथ ही धर्मावलंबियों के द्वारा विशेष रुप से पूजा पाठ करते हुए पुण्य अर्जित किया गया। सूर्य ग्रहण के धर्माचार्यों के मुताबिक विभिन्न राशियों पर नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए संबंधित राशि के लोगों के द्वारा खास सावधानियां बरती गई । इस दौरान धर्माचार्यों के मार्गदर्शन और दिशानिर्देशों अनुसार अधिक से अधिक पुण्य अर्जित करने के लिए अनेक परिवारों के बीच भजन कीर्तन सहित अन्य शास्त्रोक्त उपाय भी किए गए । इसका मुख्य कारण यही बताया गया कि सूर्य ग्रहण के जो भी नकारात्मक प्रभाव है , उनका किसी भी प्रकार से किसी का भी अहित ना हो सके । दिन ढले सूर्य ग्रहण समाप्त होने के बाद ही विभिन्न मंदिरों के पुजारियों और संचालकों के द्वारा बुधवार को मनाए जाने वाले विश्वकर्मा दिवस, गोवर्धन पूजा और अन्नकूट पर्व के लिए विभिन्न प्रकार की सामग्री स्वेच्छा से भेंट करने का सिलसिला भी आरंभ हो गया।