बुधवार को भी पालिका कर्मचारियों द्वारा मांगों के समर्थन में प्रदर्शन

जगह जगह कूड़े करकट के ढेर बनते जा रहे हैं जी का जंजाल

चुनाव के बीज गणित में उलझ गए भाजपा और भाजपा के नेता

पालिका सफाई कर्मचारियों का साफ ऐलान जारी रहेगी हड़ताल

फतह सिंह उजाला

पटौदी । कुछ ही दिन पहले की बात है , जब पीएम मोदी के जन्म दिवस के मौके पर भाजपा और भाजपा नेताओं के द्वारा चरम उत्साह के साथ सेवा फगवाड़ा आयोजन किया गया। लेकिन दिवाली आते आते भाजपा और भाजपा पार्टी के तमाम नेता दिवाली की बधाई देने में ही अपने आप को व्यस्त रखे हुए हैं । एक पौधा भी लगाना हो तो पौधे के साथ में 50 भाजपा नेताओं के चेहरे दिखाई दिए, सेवा पखवाड़ा के दौरान अलग-अलग दिन के लिए अलग-अलग कार्य भाजपा संगठन के द्वारा तय करते हुए कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को दिशा निर्देश भी दिए गए। लेकिन यह सेवा पखवाड़ा का जुनून दिवाली की आतिशबाजी के बाद चल चुकी आतिशबाजी के जैसा ही दिखाई दे रहा है ।

बीते करीब 1 सप्ताह से पालिका के सफाई कर्मचारी राज्य में गठबंधन सरकार  और सरकार के मुखिया के द्वारा की गई घोषणा या फिर वायदे पूरे नहीं होने से आक्रोशित दिखाई दे रहे हैं । इसी आक्रोश को लेकर 1 सप्ताह से पटौदी मंडी नगर परिषद में साफ-सफाई सहित कूड़ा करकट उठाने का कार्य पूरी तरह से ठप है । परिणाम स्वरूप विभिन्न स्थानों पर कूड़े करकट के ढेर का अंबार बढ़ता चला जा रहा है और इसी कूड़े करकट के ढेर में गौमाता से लेकर अन्य आवारा पशु भी अपना पेट भरते हुए देखे जा सकते हैं ।

बुधवार को भी पटौदी मंडी नगर परिषद क्षेत्र में पालिका सफाई कर्मचारियों के द्वारा अपनी मांगों के समर्थन में विभिन्न स्थानों पर हाथों में झाड़ू लहराते हुए विरोध प्रदर्शन का सिलसिला बना रहा । इस दौरान कर्मचारी नेताओं ओमप्रकाश, मदनलाल, मोनू, देवेंद्र कुमार, श्यामलाल, प्रताप, जय सिंह, सुनीता रानी, निशा, भतेरी, शकुंतला सहित अन्य के द्वारा साफ साफ शब्दों में कहा गया जब तक सरकार अपने ही किए हुए वायदे को पूरा नहीं करेगी , सफाई कर्मचारियों की हड़ताल जारी रहेगी । कर्मचारियों ने यहां तक कहा कि जरूरत पड़ी तो 1996 के जैसी करीब 90 दिन तक चली हड़ताल की पुनरावृति करने से भी पूरे राज्य के सफाई कर्मचारी पीछे हटने वाले नहीं हैं । दूसरी ओर जिस प्रकार से कूड़े करकट के ढेर बढ़ते चले जा रहे हैं , बदलते मौसम में विभिन्न प्रकार की बीमारियां पांव पसार रही हैं । इन सब तथ्यों को देखते हुए आम जनमानस में अपनी सेहत और स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता परेशानी का कारण बनती चली जा रही है । अनेक स्थानों पर तो कूड़े करकट के छोटे-छोटे ढेर स्थानीय दुकानदारों के द्वारा या नागरिकों के द्वारा आग लगाकर जलाने का सिलसिला भी जोर पकड़ता जा रहा है । कूड़े करकट में आग लगाने से वातावरण और पर्यावरण दोनों ही प्रदूषित हो रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के साथ-साथ निर्देश हैं कि कूड़े करकट के ढेर में आग लगाना पूरी तरह से पाबंद है ।

बुधवार को दिन ढले समाचार लिखे जाने तक पालिका सफाई कर्मचारियों की तरफ से ऐसा किसी भी प्रकार का संदेश या इशारा नहीं मिला, जिसे यह महसूस किया जा सके की सरकार के द्वारा उनकी मांगों पर कोई चिंतन मंथन किया गया हो ? सफाई कर्मचारियों के द्वारा कहा गया कि कोरोना महामारी के दौरान जब आम आदमी, वीआईपी ,नेता ,मंत्री सभी लोग अपने अपने घरों में बंद होकर अपने आप को सेहतमंद रख रहे थे । उस समय हमारे जैसे सफाई कर्मचारियों के द्वारा ही विपरीत हालात में गली गली घर घर पहुंच कर कूड़े करकट की सफाई की गई । इतना ही नहीं सफाई कर्मचारियों को कोरोना सफाई योद्धा का तमगा देते हुए विभिन्न स्थानों पर फूलों की वर्षा दी की गई । लेकिन उस दौरान सरकार के द्वारा जो घोषणा और वायदे किए गए थे , सरकार के द्वारा उन्हें लगता है बर्फ में लगा कर भुला दिया गया है या फिर सरकार की नियत ही बदल गई है ।

सफाई कर्मचारी नेताओं के द्वारा कहा गया है कि कोरोना महामारी के दौरान ऑन ड्यूटी जो भी सफाई कर्मचारी अपना फर्ज अदा करते हुए जीवित नहीं रह सके, ऐसे सभी कर्मचारी परिवारों के आश्रितों को 50 लाख मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को नौकरी दी जानी चाहिए । सरकार के द्वारा घोषित किया गया जोखिम भत्ता भी सरकार को शायद याद नहीं । इसी कड़ी में सबसे महत्वपूर्ण मांग दोहराते हुए कहा गया कौशल रोजगार में शामिल किए गए सफाई कर्मचारियों को कौशल रोजगार से अलग रखा जाए । ठेका प्रथा पूरी तरह से समाप्त होनी चाहिए और जो भी सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं , सभी को नियमानुसार पक्का कर्मचारी नियुक्त किया जाए। बीच-बीच में कई बार सरकार और पालिका कर्मचारी संघ के नेताओं अथवा प्रतिनिधियों के बीच बातचीत होने के बाद भी कोई ठोस नतीजा सफाई कर्मचारियों के हित में सामने नहीं आ सका है । यदि सरकार का इसी प्रकार से अड़ियल रवैया रहा तो पालिका के सभी सफाई कर्मचारी जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती पूरी तरह से अनिश्चित कालीन हड़ताल पर जाने के लिए दृढ़ संकल्प है ।

ऐसे में आम जनमानस को होने वाली परेशानी के लिए केवल और केवल गठबंधन सरकार और सरकार के प्रतिनिधि दोनों ही जवाबदेय सहित जिम्मेदार भी हैं। अब देखना यह है कि जिस तेजी से कूड़े करकट के ढेर के अंबार ऊंचे होते चले जा रहे हैं और इसकी बदबू से आम जनमानस परेशान हो रहा है । इससे एक कदम आगे विभिन्न बीमारियां फूटने की संभावनाएं और अधिक प्रबल होती चली जा रही है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए सरकार क्या कुछ फैसला करेगी ? इसी बात पर सभी की नजरें टिकी हुई है।

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