पुलिस झंडा दिवस की श्रृंखला में 21 से 31 अक्टूबर तक में गुरुग्राम पुलिस द्वारा विभिन्न प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं। इस अवसर पर आज गुरुग्राम जिला के रहने वाले शहीद हुए पुलिस कर्मचारियों के पैतृक गांवों में जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गुरुग्राम, 22 अक्टूबर – ज दिनाँक 22.10.2022 को श्री मनबीर सिंह IPS, पुलिस उपायुक्त मानेसर, गुरुग्राम व श्री हरिन्द्र कुमार HPS सहायक पुलिस आयुक्त पटौदी, गुरुग्राम द्वारा मूल रूप से गाँव जाटोला (थाना फरुखनगर) के रहने वाले शाहिद उप–निरीक्षक रणबीर सिंह तथा गाँव लोकरी (थाना पटौदी) के रहने वाले शाहिद सहायक-उप-निरीक्षक ओम प्रकाश जो अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते हुए शहीद हुए थे के गाँवो में जाकर उनकी प्रतिमाओं पर फूलमाला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। उप–निरीक्षक रणबीर सिंह: ये मूल रूप से गाँव जाटौला, जिला गुरुग्राम के रहने वाले थे। दिनांक 03.08.2092 को ये हरियाणा पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे। दिनांक 15.11.2018 को सी.आई.ए. रेवाङी की पुलिस टीम को सूचना मिली थी कि हत्या के मामले का वान्छित आरोपी धारुडेङा के पास गाँव खरखडा में इन्डस्ट्रियल एरिया में घूम रहा है। जिस बदमाश को पकड़ने के लिए उप-निरीक्षक रणबीर सिंह ने अपने नेतृत्व में पुलिस टीम गठित की और बदमाश को ढूंढने निकल पड़े। जब इन्होनें बदमाश नरेश को ढूंढकर उसे पकड़ने की कौशिस की तो उसने इन पर गोलियां मारी। जिसके कारण श्री रणबीर सिंह अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए शहीद हो गए। सहायक उप निरीक्षक ओम प्रकाश: ये मूल रुप में गाँव लोकरी, जिला गुरुग्राम के रहने वाले थे। इन्होनें दिनांक 21.11.1986 को बतौर सिपाही हरियाणा पुलिस को ज्वाईन किया था। ये जिला पलवल में तैनात रहते हुए एक कैदी बच्चा सिंह को माननीय न्यायालय कोर्ट मथुरा में पेश करने के लिए हरियाणा रोडवेज की बस द्वारा लेकर जा रहे थे। बस नाश्ते के लिए जब दबचीक कॉम्पलैक्स होडल पहुंची तब 5/6 नौजवान लङको ने गोलियां चलाकर पुलिस टीम पर हमला कर दिया। इस वारदात में श्री ओम को गोलियां लगी और वो अपनी ड्यूटी का निर्वहन करते हुए शहीद हो गए। इस अवसर पर आसपास के गांवों के सरपंच, मौजिज व्यक्ति, संबंधित थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिसकर्मी/अधिकारी मौजूद रहे। ▪️क्यों मनाया जाता है पुलिस शहीदी दिवस: गौरतबल है कि 21 अक्तूबर 1959 को भारत-तिब्बत सीमा पर लद्दाख के क्षेत्र में केन्द्रीय रिर्जव पुलिस बल के दस जवान सीमा पर गश्त करते समय चीनी सैनिकों द्वारा घात लगा कर किए गए हमले का शिकार हुए थे। तभी से 21 अक्तूबर को पुलिस शहीदी दिवस के रूप में मनाने की परम्परा आरम्भ हुई थी। तब से आज तक देश में लगभग 35000 पुलिसकर्मियों ने कर्त्तव्य की वेदी पर सर्वोच्च बलिदान दिया है। इन वीर सपूतों की कर्मभूमि कश्मीर की पहाड़ियों से लेकर नागालैंड और मणिपुर के घने जंगलों तक व चम्बल के बीहड़ों से लेकर कच्छ के रण तक रही है। इन्होंने हर समय आतंकवादियों, उग्रवादियों, अपराधियों व असमाजिक तत्वों से निपटते हुए भारत के जनमानस और भारत माता की सेवा की है। इनमें केन्द्र पुलिस संगठन के तहत कार्यरत बल जैसे भारत तिब्बत सीमा बल, सी.आर.पी.एफ., सी.आई.एस.एफ. तथा बी.एस.एफ. के जवान भी शामिल हैं। Post navigation विभिन्न प्रकार से होने वाले साईबर अपराधों के बारे में जानकारी देकर किया जागरूक त्यौहार पर शहर में फैली गंदगी से विधायक सुधीर सिंगला ने दिखाए तेवर