-हरियाणा हेल्थ डॉट एनआईसी पर करा सकते हैं पंजीकरण

गुरुग्राम, 17 अक्टूबर। गुरुग्राम जिला में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (सीईए) को प्रभावी ढंग से लागू कराने को लेकर लघु सचिवालय में संबंधित विभागों की बैठक बुलाई गई जिसकी अध्यक्षता उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने की। बैठक में गुरुग्राम के सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र यादव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की सचिव डॉ सारिका वर्मा, आईएमए के प्रतिनिधि डॉ रमेश व डॉ सुरेश, एसीपी हेडक्वार्टर अभिलक्ष जोशी सहित गुरुग्राम में सीईए के नोडल अधिकारी डॉ अनुज उपस्थित थे।
बैठक को संबोधित करते हुए डीसी श्री यादव ने कहा कि स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता व बेहतरी के उद्देश्य से क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू किया गया है जिसके तहत गुरुग्राम जिला में सभी लैब सहित 50 बेड से अधिक क्षमता वाले सभी अस्पतालों का हरियाणा हेल्थ डॉट एनआईसी पर पंजीकरण करवाना आवश्यक है। उन्होंने बताया कि एक्ट में अस्पतालों की विभिन्न सेवाओं में पारदर्शिता को लेकर कई प्रकार के प्रावधान किए गए हैं। जिसमें अस्पताल, डायग्रोस्टिक सेंटर, नर्सिग होम्स तथा क्लीनिक इत्यादि की जवाबदेही को तय किया गया है। एक्ट के मापदंडों की उल्लंघना पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।

बैठक में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट की विस्तृत जानकारी देते हुए सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र यादव ने बताया कि क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को हरियाणा में 25 जनवरी 2018 को लागू किया गया था जिसके तहत सभी लैब व 50 बेड से अधिक क्षमता वाले अस्पताल हरियाणा हेल्थ डॉट एनआईसी पर पंजीकरण करा सकते हैं। डॉ यादव ने बताया कि उपरोक्त पोर्टल पर लैब के पंजीकरण के लिए 500 रुपए, 51 से 100 बेड क्षमता वाले अस्पताल के लिए 2000 रुपए, 101 से 300 बेड क्षमता वाले अस्पताल के लिए ₹3000, 301 से 500 बेड क्षमता वाले अस्पताल के लिए ₹4000 व 500 बेड से अधिक क्षमता वाले अस्पताल के लिए ₹5000 की राशि बतौर पंजीकरण फीस जमा करवाने का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि गुरुग्राम में अभी तक 561 स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं ने उपरोक्त एक्ट के तहत स्वयं का पंजीकरण करवाया है जिसमें से 43 अस्पताल ऐसे हैं जहां 50 बेड से अधिक क्षमता है।

उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने निर्देश दिए कि संबंधित विभाग इस बात को सुनिश्चित करें कि पंजीकृत अस्पतालों द्वारा एक्ट के मापदंडों का पालन किया जा रहा है या नहीं। वर्ष में नियमित रूप से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों द्वारा लैब का निरीक्षण भी किया जाना चाहिए।

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