-महिलाओं को लुभा रही डिज़ाइनर ज्वैलरी, बनारसी साड़ी हैंड वर्क के सूट

गुरुग्राम, 12 अक्टूबर। मौसम खुलते ही सेक्टर 29 के लेज़र वैली ग्राउंड में लगे सरस मेले में रोनक लौटने लगी है।

करवाचौथ की खरीदारी से राष्ट्रीय सरस आजीविका मेला गुलजार हो उठा है। गुरुग्राम में 07 अक्टूबर से 23 अक्तूबर के बीच आयोजित किए जा रहे इस मेले में शुरुआती दौर में भले ही बारिश की वजह से रंग में भंग पड़ गया था लेकिन मौसम साफ़ होते ही महिलाओं के इस पसंदीदा त्यौहार के चलते सरस की खोई रौनक फिर से लौट आई है। देशभर में वीरवार को मनाए जा रहे इस त्योहार को लेकर सरस मेले में मंगलवार शाम से ही खरीदारी जोरों पर है।

हरियाणा राज्य आजीविका मिशन से दीप्ति ढींढसा ने बताया कि करवाचौथ के लिए हमारे पारंपरिक बाजारों में विशेष तैयारियां की जाती है लेकिन गुरुग्राम में पहली बार आयोजित राष्ट्रीय सरस आजीविका मेले की अवधि में करवाचौथ का त्यौहार भी शामिल है। ऐसे में देश के विभिन्न राज्यों से आई हमारी महिलाशक्ति द्वारा सरस मेले में भी खास तैयारियां की गयी हैं।

दीप्ति ने कहा कि आमतौर पर हमारे भारतीय रीति रिवाजों में नारी श्रृंगार के लिए सोने अथवा चांदी के आभूषण पहनने का चलन है लेकिन पिछले कुछ समय से आए पारंपरिक बदलावों के चलते महिलाओं की पसंद और चलन को देखते हुए बाजार में भी फैशनेबल व डिज़ाइनर गहनों को वरीयता दी जा रही है। उन्होंने बताया कि सरस मेले में गुरुग्राम के बाजारों से कम दाम पर मिल रहे पायल एवं बिच्छू, डिजाइनर चेन, डिजाइनर अंगूठी व नेकलेस महिलाओं की खासी पसंद बने हुए हैं। वहीं सुहागिनों के लिए बेहद खास इस त्यौहार को लेकर मेले में मिल रही डिजाइनर थाली भी महिलाओं को खूब लुभा रही है। लाल रंग के वेलवेट पेपर से सजी थाली में तांबे का लोटा, दीपक और धूप-अगरबत्ती स्टैंड बना हुआ है। इसके अलावा मिट्टी के करवे एवं दीयों को भी नया लुक दिया गया है।

रोहतक के लाखन माजरा से आई शालू ने कहा कि श्रृंगार महिलाओं के जीवन का अभिन्न अंग है जिसमें चूड़ियों का विशेष महत्व है और महिलाओं में चूड़ियों के प्रति आकर्षण तब अधिक बढ़ जाता है यदि वो ‘लाख’ से बनी हो। शायद यही कारण है कि सरस मेले में आई पर्यटक महिलाएं विभिन्न स्टाल पर जमकर इनकी खरीदारी कर रही है। उन्होंने बताया कि विभिन्न राज्यो के स्टाल पर बिक रही चूड़ियों को ना सिर्फ अलग अलग रंग व रूप दिया गया है, बल्कि रेशमी धागों का उपयोग कर उनपर विभिन्न प्रकार की आकृतियां भी बनाई गई हैं। इसके अलावा, साड़ियों के स्टाल पर बिहार, महाराष्ट्र, बंगाल व राजस्थान सहित अन्य प्रदेशों से आई विभिन्न महिलाओं के समूहों द्वारा टीम वर्क के साथ तैयार की गई बनारसी, जयपुर, कोलकाता व औरंगाबाद की साड़ियों की विशाल रेंज देखी जा सकती है। इसके साथ ही हमारी पारंपरिक कला यानी हैंड वर्क किए रेडीमेड सूट और लहंगे भी सहज ही उपलब्ध हैं।

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