25 लाख की शराब के साथ चार तस्कर गिरफ्तार , कंटेनर जप्त नारनौल एसपी ने माना एक आरोपी सीआईए नारनौल कर्मी सिरसा सीआईए प्रभारी बोले अभी क्लियर नहीं पहले भी जिले के थाने में रखी जब्त शराब नष्ट करने की बजाय बेची शराब थी तस्कर को 2 पुलिस कर्मचारी हुये थे सस्पेंड, किए गए थे गिरफ्तार अशोक कुमार कौशिक नारनौल। जब पुलिस ही अपराधियों के साथ मिलकर अपराध करने लगे तो फिर कानून व्यवस्था कैसी होगी इसका सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है। नारनौल के पुलिस का अपराधियों के साथ शामिल होने का यह कोई पहला मामला नहीं है पूर्व में भी पुलिस ऐसे कारनामे करती रही है। हरियाणा के तेजतर्रार गृह मंत्री अनिल विज जिन्हें गब्बर सिंह का आ जाता है का कोई खौफ नारनौल पुलिस पर नजर नहीं आता। मामला हरियाणा के सिरसा में सीआईए ने अंग्रेजी शराब से भरा एक कंटेनर और उस कंटेनर को पायलट करने वाली Kia कार के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार व्यक्तियों में नारनौल सीआईए का एक पुलिस कर्मचारी भी शामिल है जो कंटेनर को पायलट कर रही कार में सवार था। नारनौल पुलिस अधीक्षक विक्रांत भूषण ने आरोपी के पुलिसकर्मी होने की पुष्टि की है। लेकिन जब इस मामले में सीआईए प्रभारी सिरसा से बात की गई तो उनका कहना है कि हम वेरीफाई कर रहे हैं और अभी तक कुछ क्लियर नहीं है।बता दें कि सिरसा में शनिवार को सीआईए सिरसा पुलिस ने नाकाबंदी कर करीब 25 लाख की अवैध शराब से लदे कंटेनर और उसे पायलट कर रही एक Kia गाड़ी को पकड़ा था। गाड़ी में 4 लोग सवार थे, जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। कंटेनर में 655 पेटी शराब जप्त की गई है। चर्चा है कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों में एक आरोपी रविंदर नारनौल पुलिस का कर्मी है। सीआईए सिरसा प्रभारी दिए वेरीफाई करने में जुटे हैं लेकिन अभी तक क्लियर नहीं हो पाया। वही नारनौल के एसपी विक्रांत भूषण ने आरोपी रविंदर के नारनौल सीआईए कर्मी होने की पुष्टि कर विभागीय कार्रवाई करने की बात कही है। कल यह समाचार नारनौल के सोशल मीडिया पर छाया रहा। बता दें कि पकड़े गए कंटेनर में भरी शराब पंजाब से लाई गई। यह कंटेनर डबवाली से होते हुए सिरसा होकर चरखी दादरी जा रहा था । शराब को गुजरात, हरियाणा व बिहार में सप्लाई करना था । अवैध शराब की कीमत करीब 25 लाख बताई गई। आरोपी शराब पंजाब के अबोहर से लेकर आए थे क्योंकि वहां पर होलसेल में सस्ती शराब मिलती है। आरोपी शराब की कुछ पेटियां हरियाणा के अतिरिक्त बिहार में गुजरात में पहले भी सप्लाई कर चुके हैं। अब यहां सवाल खड़ा होता है कि जिन लोगों की ड्यूटी स्पेशल स्टाफ में लगाई जाती है उन्हें क्राइम को रोकने के लिए तैनात किया जाता है। जब वह खुद क्राइम में सम्मिलित पाया जाये तो ऐसी पुलिस का राम ही रखवाला है। कहा जाता है काम टीम करती है नाम कप्तान का होता है। जब भी किसी वारदात का पर्दाफाश किया जाता है तो सारा श्रेय कप्तान को दिया जाता है। क्या इस मामले में यह कर्मचारी कप्तान की शह पर तो कार्य नहीं कर रहा था? अगर नहीं तो मामले को क्यों छुपाया जा रहा है। कमाल की बात तो देखिए पुलिस के आला अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं यह तक बताने को तैयार नहीं कि रविंदर जो उनका कर्मचारी है फिलहाल वह कहां पर है। यही मामला अगर किसी अन्य व्यक्ति पर होता तो पुलिस इसे बढ़ा चढ़ा कर पेश करती है अब चूंकि इस मामले में पुलिस कर्मी शामिल है तो इसे छुपाया जा रहा है ताकि खाकी की ज्यादा छीछालेदारी ना हो। पुख्ता सूत्रों की माने तो रविंदर जो कि इस मामले में सम्मिलित बताया जा रहा है की पोस्टिंग पहले महेंद्रगढ़ स्पेशल स्टाफ में थी और अभी नारनौल सीआईए में कार्यरत है। अपनी शाख बचाने के लिए अब पुलिस लीपापोती करने में लगी हुई है क्यों? सेवा सुरक्षा सहयोग की शेखी बघारने वाली पुलिस कीकी बात बेमानी लगती है। पहले भी जिले के थाने में रखी जब्त शराब नष्ट करने की बजाय बेची शराब तस्कर को, 2 पुलिस कर्मचारी सुरेश थे सस्पेंड नारनौल पुलिस का अपराध में लिप्त होना का यह पहला मामला नहीं है इससे पूर्व भी सदर थाना में नारनौल में लाखों रुपये की जब्त की गई शराब नष्ट करने की बजाय पुलिस कर्मचारियों द्वारा शराब तस्कर को ही बेच थी। शराब तस्कर भी कोई और नही बल्कि क्षेत्र के नामी गैंगस्टर सुरेंद्र उर्फ चीकू का भाई रविन्द्र उर्फ लीला। मामला उजागर होते ही तत्कालीन पुलिस अधीक्षक के आदेश पर दोनों कर्मचारियों को सस्पेंड कर गिरफ्तार किया गया था। लेकिन इस मामले में तत्कालीन सदर थाना के एसएचओ और ड्यूटी मजिस्टेट पर अब तक कार्रवाई न होना भी दर्शाता है कि मामले की लीपापोती करने का प्रयास रहा है। याद रहे कि 23 जुलाई 2016 को सदर थाना पुलिस ने एक कैंटर को पकड़ कर उसमें से अवैध रूप से लाई गई अंग्रेजी शराब की लगभग 450 पेटी व बियर की 250 पेटी बरामद की थी। ये थे पकड़ी गई शराब के मार्का: पकड़ी गई शराब में मकडोवेल्स कई 50 पेटी, सिग्नेचर की 22, रॉयल चैलेंज की 198 व चेलम्स फोर्ड ब्रांड की 165 पेटी शामिल थी। इसके अलावा हेवर्डस बियर की लगभग 250 पेटी भी बरामद हुई थी। तब इस पर मुकदमा नंबर-208 के तहत सुरेंद्र दौंगली, गाड़ी चालक व एक अन्य व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। बाद में मांगेराम पुत्र पूर्णचंद उलसिया उदयपुर राजस्थान और अरविंद पुत्र सतेंद्र स्योपुरा चिड़ावा राजस्थान के नाम सामने आए थे, जिन्हें बाद में पुलिस ने पकड़ा भी था। तीन साल बाद हुए नष्ट करने के आदेश: मुकदमे का फैसला होने के बाद 26 दिसंबर 2019 को इस शराब को नष्ट करने के आदेश दिए गए। इसके लिए एसडीएम नारनौल द्वारा ड्यूटी मजिस्ट्रेट कर तौर पर नारनौल के तहसीलदार हर्ष कुमार को नियुक्त किया गया व कमेटी के सदस्य के रूप में एसएचओ महेश कुमार भी शामिल थे। उसी दिन कागजों में शराब को नष्ट कर उसकी रिपोर्ट भी बना दी गई और ड्यूटी मजिस्ट्रेट ने दस्तखत भी कर दिए। लेकिन असलियत में लगभग 10 लाख रुपये की कीमत की यह शराब नष्ट करने की बजाय अगले दिन शराब तस्कर रविन्द्र उर्फ लीला मोहनपुर को बेच दी गई थी। यूं हुआ था खुलासा: लॉक डाउन 2 के दौरान 16 अप्रैल को शहर थाना पुलिस को सूचना मिली कि स्थानीय केशव नगर गली नंबर 3 में अवैध शराब बेचने के लिए लाई गई है। इस पर छापेमारी के दौरान शराब तस्कर लीला तो भागने में कामयाब हो गया लेकिन उसकी पिकअप गाड़ी व अंग्रेजी शराब की 30 व देशी शराब की 10 पेटी बरामद हुई। अंग्रेजी शराब का मार्का चेलम्स फोर्ड था जो उस समय यहां चलन में नहीं था। यह उसी शराब का हिस्सा थी जो पुलिस कर्मचारियों द्वारा लीला को बेची गई थी। तब 3 मई 2020 को थाना शहर पुलिस ने फरार शराब तस्कर लीला को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ के दौरान लीला ने बताया कि उसे सदर थाना नारनौल के मुंशी विनोद व मालखाना मोहर्रिर रोहतास ने यह शराब बेची थी। बाकी शराब वो बेच चुका है ये आखिरी 30 पेटी बची थी जिन्हें वो बेचने लाया था। इस गौरखधंधे का पता चलते ही तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने दोनों पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर गिरफ्तार करने के आदेश जारी कर दिए। जिस पर उन्हें गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया जहां से उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में नसीबपुर जेल भेज दिया गया था। ड्यूटी मजिस्ट्रेट व एसएचओ पर कार्रवाई नही: बिना शराब नष्ट किये, नष्ट करने की रिपोर्ट पर दस्तखत करने को लेकर ड्यूटी मजिस्ट्रेट व थाना एसएचओ भी शक के दायरे में है कि आखिर उन्होंने किस लालच या दवाब में रिपोर्ट पर दस्तखत किए। लेकिन फिलहाल उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नही की गई है। उपरोक्त मामलों को लेकर सहज अनुमान लगा सकते हैं कितनी सेवा, सुरक्षा और सहयोग से कार्य होता होगा। सारी बातों से स्पष्ट हो गया और पुलिस की कार्यशैली को देखते हुए यह बिल्कुल क्लियर हो गया कि जिला महेंद्रगढ़ में फिलहाल पुलिस सरकार के लिए नहीं अपराधी और दो नंबर के कारोबार करने वाले लोगों के लिए कार्य कर रही है। Post navigation मेले में हुए मामूली विवाद के बाद खूनी संघर्ष मामले में बीती रात मुख्य आरोपी गिरफ्तार जब कैंप में नहीं दिखा वर्कर, मामला समझ उसके बेटे से मिलने पहुंचे मंत्री